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Wednesday, 24 April, 2024
होमदेशटूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने कहा- निकिता, शांतनु ने बनाई, दिशा ने टेलीग्राम से ग्रेटा थनबर्ग को भेजी

टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने कहा- निकिता, शांतनु ने बनाई, दिशा ने टेलीग्राम से ग्रेटा थनबर्ग को भेजी

पुलिस ने बताया कि दिशा रवि ग्रेटा थनबर्ग को जानती थीं उन्होंने ग्रेटा को टूलकिट टेलीग्राम के जरिए भेजा. ‘टूलकिट’ में ट्विटर पर किसी अभियान को ट्रेंड कराने के दिशानिर्देश होते हैं.

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नई दिल्ली: एक्टिविस्ट दिशा रवि की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली पुलिस ने बड़े खुलासे किए हैं. आंदोलन से संबंधित टूलकिट मामले में खुलासा करते हुए दिल्‍ली पुलिस ने कहा है कि दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु ने ‘टूलकिट’ बनाई और  सोशल मीडिया पर दूसरों के साथ शेयर किया.

दिल्ली पुलिस ने बताया कि यह टूलकिट बेहद ही सुनियोजित तरीके से बनाई गई है. इसमें किसान आंदोलन को किस तरह से समर्थन देना है उसकी पूरी जानकारी थी.

पुलिस ने दावा किया था कि बेंगलुरु से शनिवार को गिरफ्तार की गई दिशा ने टेलीग्राम ऐप के माध्यम से जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को ‘टूलकिट’ भेजी थी.पुलिस ने ये भी बताया कि गूगल ने टूलकिट को लेकर कई सवालों का जवाब दे दिया है, अन्य के जवाब भी जल्द ही मिल जाएंगे.

‘टूलकिट’ में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है.

संयुक्त पुलिस आयुक्त (साइबर) प्रेम नाथ ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि दिशा ने ‘टूलकिट’ फैलाने के लिए बनाए गए एक व्हाट्सएप समूह को हटा दिया था.

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‘खालिस्तानी संगठनों की मदद ने बनाया गया टूलकिट’

सोमवार को दिल्‍ली पुलिस साइबर सेल के ज्वाइंट कमिश्नर प्रेमनाथ ने कहा, ‘जैसा कि हम जानते हैं कि 26 जनवरी को बड़े पैमाने हिंसा हुई. 27 नवंबर से किसान आंदोलन चल रहा था. 4 फरवरी को हमें टूलकिट के बारे में जानकारी मिली जो कि खालिस्तानी सगठनों की मदद से बनाया गया था.’

प्रेम नाथ ने आगे यह भी कहा कि बेंगलुरु टीम ने दिशा से पूछताछ की और उसके फोन से महत्वपूर्ण जानकारी मिली. जानकारी से स्पष्ट हुआ कि दिशा अपने साथियों (निकिता और शांतनु) के साथ मिलकर टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट को बनाया और शेयर किया. दिशा ने टेलीग्राम के जरिए ही ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट भेजी थी.

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कहा कि सोशल मीडिया पर ‘टूलकिट’ कथित तौर पर साझा करने के लिए जैकब और शांतनु के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं.

नाथ ने दावा किया कि निकिता और शांतनु ने ‘खालिस्तान समर्थक समूह’ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीएफजे) द्वारा ऑनलाइन जूम ऐप के माध्यम से आयोजित एक बैठक में भाग लिया और कहा कि जैकब भी ‘टूलकिट’ दस्तावेज बनाने वालों में से एक था.

उन्होंने कहा, ‘दिशा, शांतनु और निकिता ने टूलकिट का निर्माण और संपादन किया. दिशा ने टेलीग्राम ऐप के जरिए ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट भेजी. दिशा ने उस व्हाट्सएप समूह को हटा दिया जो उसने टूलकिट को प्रचारित करने के लिए बनाया था. दिशा की गिरफ्तारी के दौरान विधिवत प्रक्रिया का पालन किया गया है.’

बेंगलुरु से 13 फरवरी को दिशा को गिरफ्तार किया गया और दिल्ली लाया गया.मेडिकल कराने के बाद दिशा को कोर्ट में पेश किया गया. यहां की एक अदालत ने रविवार को दिशा को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था.

निकिता और शांतनु नहीं मिल पा रहे हैं इसलिए NPW जारी किया गया है आगे की जांच जारी है.

ज्वाइंट कमिश्नर ने बताया कि हमें जांच के दौरान टूलकिट के ऑनलाइन मौजूद स्क्रीन शॉट्स की पड़ताल की और जानकारी मिलते ही इस टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट की संपादक निकिता जैकब के खिलाफ सर्च वारंट 9 फरवरी को जारी कर केस के आयोग समेत एक टीम को मुंबई भेजा गया. उनके पास से 2लैपटॉप और 1आईफोन मिला.

ज्वाइंट सीपी साइबर सेल प्रेम नाथ, ‘जांच में ये भी बात सामने आई कि काव्य न्याय फाउंडेशन के संस्थापक एम ओ धालीवाल अपने कनाडा में रह रहे सहयोगी पुनीत के जरिए निकिता जैकब से संपर्क किया. उनका मकसद गणतंत्र दिवस से पहले और बाद में ट्विटर स्टॉर्म और डिजिटल स्ट्राइक करना था.

दिल्ली पुलिस ने यह भी बताया है कि दिशा ने टूलकिट को व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर शेयर किया. सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई गई. टूलकिट को विश्वस्तर पर फैलाने साजिश थी. टूलकिट में गलत जानकारियां दी गईं.

इस टूलकिट का संबंध खालिस्तानी संगठन से है. इस टूलकिट को चार फरवरी को बनाया गया था. इस टूलकिट में योग से लेकर दूतावासों को भी नुकसान पहुंचाने की बात है. इससे भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई.

पुनीत नाम की कनाडा में रहने वाली एक महिला ने इन लोगों को खालिस्तानी गुट पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से मिलवाया. 11 जनवरी को निकिता और शांतनु ने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जूम मीटिंग की और किस तरह से सोशल मीडिया पर पूरा अभियान चलाया जाना है इसे लेकर बैठक की.


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