(आसिम कमाल)
टोंक, 19 नवंबर (भाषा) राजस्थान के टोंक विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के लिये कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में उनके कद तथा यहां प्रभावशाली समुदायों में उनकी गहरी पैठ के भरोसे जीत की उम्मीद है। वहीं दूसरी ओर भाजपा का दांव हिंदुत्व की आवाज को मुखरता से उठाने और “स्थानीय बनाम बाहरी” पर है।
टोंक से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार अजीत सिंह मेहता “स्थानीय बनाम बाहरी” का मुद्दा जोरशोर से उठा रहे हैं और उनका दावा है कि पायलट को इस बार “मुख्यमंत्री पद का चेहरा होने का लाभ” नहीं मिलेगा जो उन्हें 2018 में मिला था।
मेहता का कहना है कि वह टोंक निवासी हैं जो लोगों की समस्याओं को जानते हैं। वह दावा कर रहे हैं कि पायलट एक “बाहरी व्यक्ति” हैं जिन्होंने पिछली बार ‘मुख्यमंत्री पद का चेहरा’ होने का लाभ उठाते हुए बड़ी जीत हासिल की थी।
कांग्रेस के कार्यकाल में उनके मुख्यमंत्री नहीं बनने या इस बार उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किये जाने से पायलट के समर्पित मतदाता बेफिक्र दिख रहे हैं।
यहां मुख्य बाजार में दर्जी का काम करने वाले मोहम्मद रिजवान अली कहते हैं, “पायलट आज नहीं तो कल या परसों मुख्यमंत्री बनेंगे। वह भविष्य है। इस चुनाव में लोग टोंक की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। वह एक राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वह एक अच्छे व्यक्ति हैं।”
मेहता और भाजपा जानते हैं कि पायलट के साथ एकजुट दिख रहे मुस्लिम-गुर्जर वोट बैंक में सेंध लगाना मुश्किल होगा, और ऐसे में वह (विरोधी दल) गुर्जरों के अलावा हिंदू वोटों को एकजुट करने के लिए काम कर रहे हैं।
भाजपा ने पार्टी सांसद रमेश बिधूड़ी को टोंक में चुनाव की जिम्मेदारी दी है। बिधूड़ी ने हाल में कहा था कि राजस्थान और टोंक के चुनावों पर लाहौर की नजर है।
बिधूड़ी ने मेहता द्वारा आयोजित युवा कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा था, “देखना होगा कि 25 तारीख को चुनाव के बाद देश में लड्डू बंटेंगे या लाहौर में…देश के बाहर बैठे दुश्मन की नजर इस चुनाव पर है। यह हमारी पहचान का सवाल है।”
इस बीच, पायलट ने अच्छे अंतर के साथ इस सीट से फिर निर्वाचित होने का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि वह पिछली बार की तरह अच्छा जनादेश हासिल करेंगे।
पायलट ने विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मुझे लगता है कि पिछले चुनाव में टोंक की जनता ने मुझे बहुत आशीर्वाद और समर्थन दिया है। इन पांच वर्षों में हम वह विकास करने में सफल रहे जो इस क्षेत्र में नहीं हुआ था। इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि कांग्रेस पिछली बार की तरह अच्छा जनादेश हासिल करेगी।”
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, “हमने जो काम किया है, उससे पता चलता है कि हम सभी को एक साथ लेकर चलने में और बिना किसी पक्षपात के विकास कर सके हैं। इसलिए बहुत सारे ग्रामीण बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, युवा लोगों का भविष्य, हम उन क्षेत्रों में लेकर आने में सक्षम हुए।”
पायलट ने कहा, “इस जिले में कांग्रेस पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। न केवल मेरा अपना निर्वाचन क्षेत्र, बल्कि पूरा जिला, पिछली बार, हमने चार में से तीन सीट जीती थीं, इसलिए इस बार हमें उतना या बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है।”
टोंक में पायलट ने 2018 में भाजपा के अपने प्रतिद्वंद्वी यूनुस खान को 54 हजार से अधिक मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराया था।
भाजपा समर्थकों और मतदाताओं का तर्क है कि पिछली बार उन्होंने भी पार्टी उम्मीदवार खान का समर्थन नहीं किया था, लेकिन इस बार चूंकि एक स्थानीय व्यक्ति चुनाव लड़ रहा है, वे उसका समर्थन करेंगे।
टोंक में मुसलमानों और गुर्जरों की एक बड़ी आबादी है और मुस्लिम आबादी के एक वर्ग ने पायलट से सीधे संपर्क नहीं कर पाने के कारण अपनी निराशा व्यक्त की थी।
कांग्रेस के कई मुस्लिम बागियों ने पायलट के खिलाफ अपना नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बाद में उन्हें वापस ले लिया।
अली ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “हमारे समुदाय को कुछ चिंताएं थीं लेकिन पायलट साहब हमारे बुजुर्गों के पास पहुंचे और सभी शंकाओं को दूर कर दिया। अब हर कोई दृढ़ता से उनके पीछे है।”
बाजार के एक अन्य दुकानदार अलीमुद्दीन ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ महीनों में पायलट सीधे सभी तक पहुंचे हैं और कुछ वर्गों के मन में जो भी शंकाएं थीं, उन्हें दूर किया गया है।
आगामी विधानसभा चुनाव में टोंक सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार अशोक बैरवा ने भी पायलट को समर्थन दिया है।
बैरवा ने कहा कि वह पायलट के लिए प्रचार करेंगे। उन्होंने कहा कि वह अपनी उम्मीदवारी वापस लेना चाहते थे, लेकिन नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन समय की कमी के कारण वह ऐसा नहीं कर सके।
शहर के इस बाजार में स्थित एक चाय की दुकान पर चुनावी परिदृश्य पर चर्चा करते हुए संजय दीक्षित नाम के स्थानीय निवासी कहते हैं, “पिछली बार बात अलग थी, इस बार एक स्थानीय उम्मीदवार है और भाजपा समर्थक उसका समर्थन कर रहे हैं। उनसे संपर्क करना आसान है जबकि पायलट साहब तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता अपनाना पड़ता है।”
पेशे से चिकित्सक कैलाश भागवानी का कहना है, “चुनावी तस्वीर साफ नहीं है। पायलट साहब से अब कड़ी मेहनत कराई जा रही है। वह जीत सकते हैं लेकिन कम अंतर से।”
भाषा
प्रशांत देवेंद्र
देवेंद्र
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