नई दिल्ली : देश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने एक नया फॉर्मूला खोज निकाला है. केंद्र सरकार गायों को कृत्रिम गर्भाधान करा रही है. कृत्रिम गर्भाधान पद्धति के जरिए देसी गाय सिर्फ बछिया को जन्म देती है. इस पद्धति से आवारा पशुओं पर भी लगाम लगेगी.
उत्तराखंड और महाराष्ट्र में खोले गए गर्भाधान सेंटर की सफलता के बाद केंद्र सरकार देशभर में 12 नए सेंटर खोले हैं, इन सेंटरों में किसानों बढ़े दुग्ध उत्पादन और किसानों की बढ़ी आय को देखते हुए सरकार कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देने जा रही है.
दो लाख किसानों को पहुंचा सीधा फायदा
इस कड़ी में एक कदम और बढ़ाते हुए सरकार ने गायों को कृत्रिम गर्भाधान कराने का फैसला लेने वाले किसानों को ‘शुक्राणु’ में सब्सिडी देने का फैसला लिया है. पशुपालन, डेयरी विभाग के सूत्रों के अनुसार पहले यह सीमेन किसानों को 600 रुपए में सेंटर से दिया जाता था. लेकिन अब केंद्र सरकार इस पर 200 रुपए सब्सिडी देने जा रही है. कृत्रिम गर्भाधान के जरिए बछिया पैदा होने से पिछले डेढ़ वर्षों में देश के करीब दो लाख किसानों को सीधा फायदा पहुंचा है और किसान बढ़-चढ़कर अब अपनी गायों को कृत्रिम गर्भाधान करा रहे हैं.
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वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने प्रयोग के तौर पर उत्तराखंड के ऋषिकेश और महाराष्ट्र के पुणे में कृत्रिम गर्भाधान के सेंटर खोले. वहां किसानों में बढ़ती रुचि और दुग्ध पैदावार में मिली बढ़त को देखते हुए सरकार ने केरल, हिमाचल, उत्तराखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलगांना और महाराष्ट्र में भी नए केंद्र खोले है.
इंडियन वेटनेरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. चिरंतन कादियान ने दिप्रिंट हिंदी को बताया, ‘केंद्र में भाजपा सरकार के आने के बाद देश में कई सेंटर खुले हैं. आज हम देशी नस्लों के कृत्रिम गर्भाधान में भी दूसरे देशों से आगे होने जा रहे हैं. कुछ राज्यों में ‘शुक्राणु’ में सब्सिडी भी मिल रही है. अगर केंद्र इसमें सब्सिडी देती है तो इससे किसानों को फायदा होगा.’
देसी गाय को बढ़ावा और नर पशुओं को किया जाएगा नियंत्रित
इस सेंटर में देसी गोवंशीय पशुओं में सिर्फ बछिया को पैदा करने वाले इंजेक्शन तैयार किए जाने लगे हैं. पहले इस तरह के इजेक्शन का विदेशों से आयात किया जाता था, लेकिन अब इस पद्धति पर भारतीय वैज्ञानिकों ने भी सफलता प्राप्त कर ली है और भारत में ही विदेशी नस्ल की फ्रिजियन, क्रॉसब्रीड, होलस्टीन गायों के साथ देसी नस्ल की गायों के सीमेन को फ्रीज कर गायों को कृत्रिम गर्भाधान कराया जा रहा है. आर्टीफीशियल पद्धती से पैदा कराई जा रही गायों में 97 प्रतिशत निश्चितता के साथ गाय से सिर्फ बछिया ही पैदा हो रही हैं. यही नहीं इन प्रयोगशालाओ में नर पशुओं की जनसंख्या को भी नियंत्रित किए जाने पर भी शोध चल रहा है.
डॉ. चिरंतन कादियान के मुताबिक, ‘इस प्रक्रिया से गायों की प्रकृति पर कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. देश में दूध बढ़ाने के उद्देश्य से पहले हम यह विदेशी नस्लों की गायों का कृत्रिम गर्भाधान करते थे, लेकिन अब हम देशी गायों का भी करने लगे है.’
क्या है तकनीक, सस्ते में होगा उपलब्ध
सॉर्टेड (चयनित) सीमन तकनीक के जरिए बछिया पैदा करने के लिए तैयार होने वाला इंजेक्शन को लिक्विड नाइट्रोजन में माइनस 196 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाता है. इसे करीब 10 वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इसके एक डोज में मादा व नर पुश के बीस मिलियन स्पर्म रखे जाते है. अन्य देशों से आयात किए जा रहे सीमन की कीमत भारत में करीब पंद्रह सौ रुपए पड़ती है. केंद्र सरकार के खोले गए कृत्रिम गर्भाधान सेंटरों में यह अब महज़ छह सौ से सात सौ रुपये में मिलने लगा है. बड़े दुग्ध व्यापारी और डेयरी उद्योग में इससे बड़ा फायदा पहुंचने की उम्मीद है.
दूध का उत्पादन 17.6 करोड़ टन बढ़ जाएगा
विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार कृत्रिम गर्भाधान के जरिए देश में हर वर्ष पौने चार करोड़ दुधारु पशुओं की संख्या में इजाफा होगा. जिससे दूध का उत्पादन भी 17.6 करोड़ टन तक बढ़ जाएगा.
लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कृषि राज्यमंत्री कृष्णा राज ने कहा, ‘2016-2017 में भारत का दुग्ध उत्पादन 165.4 करोड़ टन हुआ था जो 2017-2018 में 6.6 फीसदी बढ़कर 176.35 करोड़ टन हुआ है.’ इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि 2021-22 में दूग्ध उत्पादन बढ़कर 254.5 फीसदी होने की उम्मीद जताई थी.
पशुपालन एवं डेयरी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार देश में इस समय 30 फीसदी गायों को कृत्रिम गर्भाधान कराया जा रहा है. सरकार इस तकनीक के जरिए इसे 80 फीसदी करने की योजना बना रही है. इस तकनीक से यह सिर्फ देसी गाय और भैंस में बढ़ोतरी ही होगी.
डॉ. कादियान ने कहा, ‘अब वैज्ञानिक गायों में सेरोगेसी की तरफ बढ़ रही है. फिलहाल गायों की सेरोगेसी को लेकर गुजरात और उत्तराखंड में प्रयोग किए जा रहे हैं.’ कादियान ने कहा, ‘कृत्रिम गर्भाधान का प्रयोग फिलहाल सिर्फ देसी गायों पर किया जा रहा है जिससे आने वाले तीन चार पुश्तों में दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके.’
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 2018 में देश में गाय, भैस, बैल और भैसें आदि की संख्या 30 करोड़ से ज्यादा है. इनमें करीब आठ करोड़ बैल, भैसे शामिल हैं. जिनका कोई भी मालिक नहीं है. वर्तमान समय में खेतों में काम चूंकि ट्रैक्टरों से होने लगा है इसके चलते इनकी संख्या में लगातार इजाफा भी हो रहा है. कुछ लोग इन्हें खुला भी छोड़ देते हैं जिससे यह पशु फसलों को नुकसान पहुंचाते है. इस पद्धति के जरिए बैल, सांढ और भैसे की उत्पत्ति पर भी रोक लगाई जा सकी. इन सभी को देखते हुए सरकार ने लिंग सॉर्टैड सीमन तकनीक शुरू की है.