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Wednesday, 17 December, 2025
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‘जलवायु संकट से निपटने के लिए विद्युत चालित वाहनों के साथ शत-प्रतिशत अक्षय ऊर्जा उपयोग जरूरी’

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(अपर्णा बोस)

नयी दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में विद्युत चालित (इलेक्ट्रिक) वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज किए जाने के साथ कुछ पर्यावरणविदों ने संदेह जताया है कि क्या इस तरह के वाहनों को अपनाने से वाकई दीर्घकालिक रूप से वैश्विक जलवायु संकट से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इनके साथ ही अक्षय ऊर्जा के स्रोतों को अपनाने की तत्काल आवश्यकता है।

एक पर्यावरणविद ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन एक स्थानीय बिजली नेटवर्क से नियमित चार्जिंग पर निर्भर होते हैं, ऐसे में जाहिर है कि एक अन्य स्रोत के रूप में कोयले का इस्तेमाल किया जा रहा है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में 21 मार्च, 2022 की स्थिति के अनुसार दिल्ली में पंजीकृत विद्युत चालित वाहनों की संख्या 1,39,945 है।

ग्रीनपीस इंडिया के अविनाश चंचल ने कहा कि जलवायु संकट से निपटने के लिए तत्काल आवश्यकता है कि विद्युत चालित वाहनों के प्रयोग के साथ ही शत-प्रतिशत अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाए।

चंचल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि जलवायु परिवर्तन में परिवहन क्षेत्र और वाहनों की बड़ी भागीदारी है, इसलिए आंतरिक दहन इंजन कारों को चलन से बाहर करने के लिए क्षेत्र में आमूल-चूल बदलाव की जरूरत है।

पर्यावरणविद् भवरीन कंधारी ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन किसी स्थानीय बिजली नेटवर्क से नियमित चार्जिंग पर निर्भर होते हैं, इसलिए एक अन्य स्रोत के रूप में कोयले का इस्तेमाल होना लाजिमी है।

वैश्विक रूप से ख्याति प्राप्त 10 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता लिसीप्रिया कंगूजाम ने कहा कि केवल विद्युत चालित वाहनों से अंतरराष्ट्रीय जलवायु संकट की समस्या का समाधान नहीं निकलेगा और जीवाश्म ईंधनों पर निवेश और सब्सिडी को हतोत्साहित करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें सभी कोयला चालित विद्युत संयंत्रों और ताप विद्युत संयंत्रों की जगह सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने होंगे। सड़कों पर ज्यादा मोटर वाहनों के बजाय साइकिल का चलन बढ़ाना होगा। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हमारे उत्सर्जन को कम करने के साथ ही अंतिम समाधान पौधे रोपना है।’’

भाषा

वैभव पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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