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Monday, 14 October, 2024
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‘थिएटर्स ने दर्शकों के खराब रिस्पॉन्स से ‘द केरला स्टोरी’ को दिखाना बंद किया’, TN सरकार का SC को जवाब

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश हलफनामे में कहा गया है कि सिनेमाघरों ने दर्शकों की खराब प्रतिक्रिया से खुद ही फिल्म को दिखाना बंद कर दिया, थिएटर्स को सुरक्षा देने के सिवाय सरकार कुछ नहीं कर सकती.

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नई दिल्ली : तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फिल्म निर्माता राज्य में ‘द केरला स्टोरी’ पर अघोषित प्रतिबंध की बात जानबूझकर गुमराह करने के लिए कह रहे हैं. जबकि सिनेमाघरों ने दर्शकों के खराब रिस्पॉन्स की वजह से फिल्म को दिखाना बंद किया.

वहीं इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने से मना कर दिया था. अदालत ने कहा था कि फिल्म महज एक कहानी है, न कि इतिहास.

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश किए गए एक हलफनामे में कहा गया है, ‘दर्शकों की खराब प्रतिक्रिया की वजह से प्रदर्शकों ने खुद ही फिल्म को दिखाना बंद कर दिया, थिएटर्स को सुरक्षा देने के सिवाय सरकार उक्त फिल्म के दर्शक बढ़ाने में कोई मदद नहीं कर सकती.’

इससे पहले शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार से फिल्म निर्माताओं की याचिका जिसमें उन्होंने राज्य सरकार पर ‘नजर न आने वाला प्रतिबंध’ लगाने का आरोप लगाया था, का जवाब देने को कहा था.

तमिलनाडु सरकार का जवाब

हलफनामा पेश करते हुए राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि सिनेमाघर मालिकों ने अदाकारों के खराब परफॉर्मेंस/ फिल्म को लेकर दर्शकों की खराब प्रतिक्रिया या कम चर्चित कलाकारों की वजह से अपनी मर्जी से फिल्म को 7 मई के बाद से दिखाना बंद कर दिया था.

हलफनामे में कहा गया है, ‘मल्टीप्लेक्स के मालिकों ने फिल्म की आलोचना/कम चर्चित कलाकारों के न होने/खराब परफॉर्मेंस/दर्शकों की खराब प्रतिक्रिया के बाद 5 मई से फिल्म की स्क्रीनिंग बंद करने का फैसला किया. उनके फैसलों को राज्य सरकार नियंत्रित नहीं करती. इसने दोहराया कि यह फैसला थिएटर्स के मालिकों ने खुद से लिया और राज्य सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है.’

तमिलनाडु सरकार ने फिल्म निर्माताओं के इन आरोपों का खंडन किया कि उसने ‘अघोषित प्रतिबंध’ या फिल्म के रिलीज होने पर किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन को लेकर ‘अलर्ट’ जारी किया है, जिसकी वजह से थिएटर्स ने फिल्म को हटा लिया.

राज्य सरकार ने कहा कि फिल्म पूरे 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज की गई थी और फिल्म निर्माताओं ने ऐसा कोई दस्तावेज नहीं पेश किया जो दिखाता हो कि राज्य सरकार ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाया हो.

इसने कहा कि, सच तो यह है कि राज्य सरकार ने प्रत्येक मल्टीप्लेक्स के लिए काफी पुलिस फोर्स तैनात की थी, ताकि लोग बिना किसी कानून और व्यवस्था के मुद्दे के फिल्म को देख सकें.

हलफनामे में कहा गया है कि 25 डीएसपी समेत कुल 965 पुलिसकर्मियों को फिल्म दिखाने वाले 21 फिल्म थिएटर्स की सुरक्षा में तैनात किया गया था.

फिल्म निर्माताओं ने शीर्ष अदालत में तमिलनाडु में फिल्म पर ‘अघोषित’ प्रतिबंध का भी आरोप लगाया था और इस राज्य में फिल्म की स्क्रीनिंग को सुरक्षा देने की मांग की थी.


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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से किया था सवाल

वहीं इससे पहले, शीर्ष अदालत ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर यह कहते हुए सवाल उठाया था कि यह फिल्म देश के अलग-अलग हिस्सों में चल रही है.

भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा था, ‘यह फिल्म पूरे देश में रिलीज की जा रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल की सरकार इसे चलाने की इजाजत क्यों नहीं दे रही.’

इसमें कहा गया था कि अगर जनता सोचती है कि फिल्म देखने के लायक नहीं है तो वे इसे नहीं देखेंगे और पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल किया कि वह किसलिए फिल्म को राज्य में चलने की इजाजत नहीं दे रही है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘नफरत और हिंसा की किसी भी घटना से बचने के लिए और शांति बनाए रखने के लिए’ राज्य में तत्काल फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था.

फिल्म निर्मताओं ने विरोध करते हुए कहा था कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन से प्रमाणित फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार के पास कोई शक्ति नहीं है.

फिल्म निर्माताओं की याचिका में कहा गया था कि फिल्म की स्क्रीनिंग को लेकर राज्य सरकार कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं उठा सकती, जो कि उन्हें मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.

फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे हजारों महिलाओं का ब्रेनवाश कर इस्लामिक स्टेट (आईएस) में ज्वाइन कराया गया और अफगानिस्तान, सीरिया जैसे देशों में ले जाया गया.

अदा शर्मा अभिनीत फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ को 5 मई को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था.

‘यह फिल्म एक कहानी है, न कि इतिहास’

इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने 5 मई को ‘द केरल स्टोरी’ पर रोक लगाने से मना कर दिया था. जस्टिस एन नागारेश और जस्टिस मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने यह फैसला कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया था. इन याचिकाओं में फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रद्द करने की मांग की गई थी.

फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा था कि फिल्म केवल ‘सच्ची घटनाओं से प्रेरित’ कहानी कहती है. पीठ ने यह भी कहा था कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने इसको पास किया है. पीठ ने फिल्म का ट्रेलर भी देखा और कहा कि इसमें किसी विशेष समुदाय के लिए कुछ भी आपत्तिजनक बात नहीं है. पीठ ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ताओं में से किसी ने भी इस फिल्म को नहीं देखा है और निर्माताओं ने एक डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) जोड़ा है कि फिल्म घटनाओं का एक काल्पनिक वर्जन है.

अदालत ने इस बात पर जोर देते हुए कहा था कि केरल एक धर्मनिरपेक्ष समाज वाला राज्य है और फिल्म को उसी रूप में स्वीकार करेगा जैसा कि वह है, उच्च न्यायालय ने कहा था कि जिस फिल्म को उसने देखा, वह एक कहानी है न कि इतिहास, यह कैसे समाज में संप्रदायिकता और संघर्ष पैदा करेगी? अदालत ने जानना चाहा था कि क्या पूरा ट्रेलर समाज के खिलाफ था.

केरल उच्च न्यायालय ने कहा था कि वह ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म की स्क्रीनिंग के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश देना नहीं चाहता.

वहीं, द केरल स्टोरी के निर्माता ने केरल हाईकोर्ट को बताया था कि फिल्म का टीजर, जिसमें कि केरल की 32,000 महिलाओं के आईएसआईएस में भर्ती होने का दावा किया गया है जिसे वह अपने सोशल मीडिया अकाउंटों से हटा देंगे.

न्यायमूर्ति एन. नागारेश और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की खंडपीठ ने फिल्म के टीजर को लेकर निर्माता की दलील दर्ज कर ली थी.

अदालत ने कहा था, ‘सिर्फ फिल्म दिखाए जाने से कुछ नहीं होगा. फिल्म का टीजर नवंबर में रिलीज हुआ था. फिल्म में क्या आपत्तिजनक था? यह कहने में क्या गलत है कि अल्लाह ही एक भगवान है? देश नागरिकों को अपने धर्म और भगवान में विश्वास करने और इसके प्रसार का अधिकार देता है. ट्रेलर में ऐसा क्या आपत्तिजनक था?’

कोर्ट ने कहा था, ‘इस तरह के संगठनों के बारे में कई फिल्में पहले ही आ चुकी हैं. पहले भी कई फिल्मों में हिंदू पुजारियों और ईसाई पादरियों के खिलाफ संदर्भों का जिक्र किया गया है. क्या आपने यह सब काल्पनिकता के साथ देखा है? अब इसमें ऐसा क्या खास है? यह फिल्म कैसे समाज में संघर्ष और सांप्रदायिकता पैदा करती है.’

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि फिल्म सीधे-साधे लोगों के दिमाग में जहर भर देगी. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि अभी तक किसी भी एजेंसी ने केरल में ‘लव जिहाद’ का पता नहीं लगा पाई है.

सुदीप्तो सेन ने बनाई है फिल्म

सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल अमृतलाल शाह द्वारा निर्मित ‘द केरल स्टोरी’ में अदा शर्मा, योगिता बिहानी, सिद्धि इडनानी और सोनिया बलानी ने प्रमुख भूमिका निभाई है.

सेन की फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के ट्रेलर की आलोचना हो रही है, क्योंकि इसमें दावा किया गया है कि राज्य की 32,000 लड़कियां लापता हो गईं और बाद में आतंकवादी समूह, आईएसआईएस को ज्वाइन कर लिया.

विरोध का सामना करने के बाद निर्माताओं ने इस आंकड़े को वापस ले लिया था और अपनी फिल्म के ट्रेलर में शामिल किया कि यह महज केरल की तीन महिलाओं की कहानी है.


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