नई दिल्ली: शुक्रवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) निवासी एक 53 वर्षीय महिला सोशल एक्टिविस्ट को कथित तौर पर एक फोन आया, जिसमें बताया गया कि एक कूरियर उनका इंतजार कर रहा है. इसके दो घंटे बाद एक और कॉल आया, जिसमें सामने वाले व्यक्ति ने खुद को पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का अधिकारी बताया. उन्होंने पहले फोन पर सोशल एक्टिविस्ट को फुसलाया और फिर धमकी भी दी. फोन पर बात कर रहे व्यक्ति ने कथित तौर पर पूर्व सीबीआई प्रमुख सुबोध जयसवाल होने का नाटक किया. बाद में सोशल एक्टिविस्ट को पता चला कि उसे धोखा देने के लिए एक बड़ी “चाल” रची गई थी.
एक्टिविस्ट, जो अपना नाम नहीं बताना चाहता, ने कथित तौर पर साइबर जबरन वसूली के प्रयास के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल – साइबर अपराध के मामलों को दर्ज करने के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल – पर शिकायत दर्ज की है. दिप्रिंट के पास शुक्रवार को दायर की गई शिकायत की एक प्रति है.
शिकायत करने वाली महिला का कहना है कि उनके मोबाइल पर दोपहर में एक कॉल आई, जिसमें कॉल में दूसरी ओर वाले व्यक्ति ने खुद को एक कूरियर कंपनी का आदमी होने का दावा किया और उसके नाम पर एक पार्सल के बारे में बताया गया.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मेरे दिमाग में यह ख्याल आया कि मेरा क्रेडिट कार्ड आया होगा, क्योंकि मैं दो दिन के बाद लंदन की यात्रा करने वाली थी, इसलिए मैं इसे जल्द से जल्द चाहती थी. लेकिन, कॉल ने मुझसे एक कार्यकारी से बात करने के लिए एक नंबर दर्ज करने के लिए कहा और यहीं से चीजें संदिग्ध हो गईं.”
उसके बाद उत्तर देने वाले उस कथित “कार्यकारी” ने उन्हें कथित डिलीवरी के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि एक पैकेज है जिसमें बाघ की खाल, एक अवैध वस्तु है और उसपर डिलीवरी का पता आपका लिखा हुआ है. फोन करने वाले ने कथित तौर पर उन्हें बताया कि पैकेज मलेशिया से आया था, जिसे मुंबई हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क अधिकारियों ने जब्त कर लिया था और अंधेरी पूर्व में रखा गया है.
जल्द ही, कॉल डरावनी हो गई क्योंकि काफी तेजी से उन्हें फोन पर धमकी मिलने लगी. महिला के अनुसार, कई लोग कॉल पर आ गए और यहां तक यह भी कहा कि यह एक “राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा” था और इसकी जांच के लिए उन्हें देश की खुफिया एजेंसी का सामना भी करना पड़ेगा. उन्होंने दावा किया कि उनका प्रयास इसलिए विफल हो गया क्योंकि उन्होंने “बहुत सारे प्रश्न” पूछे.
जैसा कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज शिकायतों की प्रक्रिया है, उसकी शिकायत को जांच के लिए “निकटतम साइबर सेल, जिसके अधिकार क्षेत्र में उसका क्षेत्र आता है” में ट्रांसफर कर दिया गया है. पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि मामले की जांच चल रही है.
हालांकि, समाचार रिपोर्ट्स से पता चलता है कि यह कोई अलग मामला नहीं है.
देश भर में पुलिस कथित तौर पर फर्जी केवाईसी, बैंक और ऋण वसूली घोटालों और यहां तक कि सेक्सटॉर्शन (किसी की यौन गतिविधि के सबूत उजागर करने की धमकी देकर उससे पैसे ऐंठने की प्रथा) की शिकायतों से जूझ रही है.
उदाहरण के लिए, सितंबर 2021 में गुरुग्राम निवासी एक वकील कथित तौर पर सेक्सटॉर्शन घोटाले का शिकार हो गए थे, जब एक महिला ने उन्हें वीडियोकॉल करते समय कथित तौर पर कपड़े उतार दिए और अंततः उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल किया. अंततः मामले में महिला पर मामला दर्ज किया गया था.
दिल्ली के स्पेशल सीपी (स्पेशल सेल) एच.जी.एस धालीवाल ने दिप्रिंट को बताया, “तरीका अलग-अलग होता है लेकिन मकसद एक ही रहता है- पैसे ऐंठना. वे अधिकतर नहीं जानते कि वे किसे निशाना बना रहे हैं और यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि कॉल कैसे जाती है. फिर सॉफ्ट टारगेट की पहचान की जाती है.”
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‘बाघ की खाल’ से लेकर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ तक – कॉल करने वालों ने क्या कहा
सोशल एक्टिविस्ट के अनुसार, वर्तमान मामले में उसके साथ बातचीत करने वाले पहले व्यक्ति – जो कथित कूरियर कंपनी का कार्यकारी बता रहा था- ने उसे मुंबई पुलिस में किसी से बात करने के लिए कहा. उसके बाद फोन पर आए व्यक्ति ने खुद को मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन से राम मोहन के रूप में बताया. उसने सोशल एक्टिविस्ट को कथित तौर पर वीडियो कॉल ऐप स्काइप डाउनलोड करने के लिए कहा. इसके बाद सोशल एक्टिविस्ट का दिमाग खटका. उन्होंने बाद में दिप्रिंट से कहा, “अब कोई भी स्काइप का इस्तेमाल नहीं करता, लेकिन वह मुझे स्काइप डाउनलोड करने के लिए कह रहा था.”
आखिरकार, फोन करने वाले ने कथित तौर पर उससे पूछताछ शुरू कर दी, बार-बार पूछा कि क्या वह विपुल सिंह नामक व्यक्ति को जानती है और कथित तौर पर उसे मामले में इंटेलिजेंस ब्यूरो की संलिप्तता की धमकी भी देनी शुरू कर दी.
उन्होंने आरोप लगया, “मुझसे कहा गया कि मैं किसी से बात नहीं कर सकती. उन्होंने मुझे व्हाट्सएप वेब पर चैट करते हुए भी देखा और मुझसे कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है.”
उन्होंने दिप्रिंट को बताया. “उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई है और यह करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का हिस्सा है. साथ ही इसमें 24 परिवार शामिल हैं. मुझे एक बैज और सुप्रीम कोर्ट के कुछ दस्तावेज़ दिखाए गए. इस सब ने मुझे डरा दिया.”
उन्होंने आगे कहा कि जब उन्होंने मांग की कि उन्हें किसी वरिष्ठ से बात करने की अनुमति दी जाए, तो कथित तौर पर पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त और पूर्व सीबीआई निदेशक सुबोध जयसवाल का नाम लेकर एक व्यक्ति कॉल पर आया.
उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझे बॉम्बे आने के लिए कहा और कहा कि मैं देश से बाहर नहीं जा सकती. मुझे अपने टिकट (लंदन के लिए) रद्द करने और उसी दिन मुंबई पहुंचने के लिए कहा गया. बहस कुछ देर तक चलती रही, उन्होंने धमकी दी कि वे मुझे बंबई ले जाने के लिए दिल्ली आएंगे, जिस पर मैंने उन्हें नजदीकी पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा.”
उन्होंने कहा कि उन्हें जमानत के रूप में 50,000 रुपये देने के लिए कहा गया था.
उसके “पूछताछकर्ताओं” ने भी बार-बार उसके बैंक खातों के बारे में पूछा और उनमें कितने पैसे थे.
महिला ने दावा किया, “मैं पूरी बातचीत से चिढ़ने लगी और जब मैं थोड़ा कड़क हुई तो तो वे पीछे हट गए.” उन्होंने आगे कहा कि आखिरकार, उसने और परिवार के कुछ सदस्यों ने उन नंबरों पर कॉल करने की कोशिश की, जिस नंबर के कॉल किए गए थे, लेकिन वे बाद में स्वीच ऑफ थे.
इस मामले की जांच अभी स्थानीय साइबर सेल द्वारा की जा रही है. दिल्ली के स्पेशल सीपी (स्पेशल सेल) एच.जी.एस धालीवाल ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसी कॉल करने वाले लोग अक्सर ‘डराने के लिए सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करते हैं’. उन्होंने कहा कि यह कोई नया मामला नहीं है, पहले भी इस तरह का मामला देखा जा चुका है.
उन्होंने कहा, “हम जनता से अनुरोध करेंगे कि वे लिंक पर क्लिक न करें और कॉल करने और मांगने वाले किसी भी व्यक्ति को अपनी पहचान का विवरण साझा न करें. अगर किसी के पास ऐसी कोई कॉल आती है, तो उन्हें तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए. इन धोखेबाजों की पहचान करने के लिए विभिन्न पुलिस टीमें इन मामलों पर काम कर रही हैं.”
उन्होंने कहा, दिल्ली पुलिस के पास नागरिकों के लिए कई साइबर जागरूकता कार्यक्रम हैं.
अधिकारी ने कहा, “नियमित विज्ञापन भी दिखाए जाते हैं. विद्यार्थियों को साइबर योद्धा के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है. इन मामलों से निपटने के लिए आधुनिक उपकरण तैनात किए गए हैं और इन मामलों से निपटने वाले पुलिस कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया है.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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