नई दिल्ली: कई मामलों में आरोपी – विस्फोटक अधिनियम के तहत दर्ज मामलों से लेकर हथियारों की तस्करी तक – इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) के प्रमुख लखबीर सिंह रोडे, जिनकी सोमवार को लाहौर में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई, वह 20 मोस्ट-वॉन्टेड लोगों में से एक था. अपनी मौत के वक्त वह 71 साल का था.
सिख अलगाववादी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का भतीजा, लखबीर, मूल रूप से पंजाब के मोगा जिले के रोडे गांव का निवासी था. उसे गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत “व्यक्तिगत आतंकवादी” के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और कथित तौर पर “भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने” के लिए पूरे भारत, यूरोप, ब्रिटेन और कनाडा में कई स्लीपर सेल को संभालने के लिए जिम्मेदार था.
खुफिया सूत्रों ने बताया कि रोडे जो 1996 में पाकिस्तान भाग गया था, उसके नाम पर इंटरपोल द्वारा एक रेड नोटिस भी जारी किया गया था.
प्रतिबंधित संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के संस्थापक, लखबीर पर “राजनीतिक नेताओं और वीवीआईपी को निशाना बनाकर” पंजाब में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश करने का आरोप है और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उस पर बनाए गए डोज़ियर में टारगेटेड हत्याओं, जबरन वसूली के मामले शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि उस पर आईईडी विस्फोट, कानून प्रवर्तन कर्मियों पर सशस्त्र हमले, आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना आदि शामिल हैं.
एक सूत्र ने कहा, “हमारी जांच से पता चला है कि लखबीर पंजाब भर में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से भारत में ड्रग्स और विस्फोटकों की तस्करी करता था.”
2002 में भारत ने पाकिस्तान से उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी.
ऊपर उद्धृत खुफिया सूत्र ने कहा, “आईएसवाईएफ यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में विभिन्न स्थानों पर ऑपरेट कर रहा था और हिंसक तरीकों से भारतीय क्षेत्र को खालिस्तान [सिखों के लिए एक अलग राज्य] के रूप में एक स्वतंत्र राज्य बनाने की आकांक्षा रखता था. लखबीर इसके सभी ऑपरेशनों की देखरेख कर रहा था.”
इस साल की शुरुआत में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मोगा के कोठे गुरुपुरा गांव में लखबीर की ज़मीन का एक टुकड़ा भी ज़ब्त कर लिया था. एनआईए की ओर से लगाए गए नोटिस में कहा गया है कि एनआईए कोर्ट के आदेश के बाद लखबीर सिंह की जमीन का एक-चौथाई हिस्सा जब्त किया जा रहा है.
एनआईए 2021 और 2023 के बीच आतंकी-संबंधित गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के लिए लखबीर के खिलाफ छह मामलों की जांच कर रही है.
इस नवंबर में द इंटरसेप्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में गुप्त पाकिस्तानी खुफिया आकलन का हवाला देते हुए भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर विदेशों में रहने वाले सिख और कश्मीरी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर हत्या की योजना बनाने का आरोप लगाया गया था.
द इंटरसेप्ट के कथित दस्तावेजों के अनुसार, रॉ कथित तौर पर व्यक्तियों को निशाना बना रहा था, जिनमें पाकिस्तान में रहने वाले सिख कार्यकर्ता भी शामिल थे और भारत सरकार द्वारा वांछित थे. रिपोर्ट में अन्य “लक्ष्यों” के बीच, लखबीर को भी भारतीय एजेंसियों के रडार पर बताया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद में एक कथित अज्ञात टारगेट है, जबकि दूसरा लखबीर सिंह रोडे है.
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि परिवार के सदस्यों के अनुसार, हाल के वर्षों में रोडे के लिए खतरे बढ़ गए हैं, जिससे उसे एकांत में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है, “उसके बेटे, भगत सिंह का कहना है कि उसके पिता की कार और आवास की निगरानी तस्वीरें पहले भारतीय खुफिया विभाग द्वारा पाकिस्तानी अधिकारियों को भेजी गई थीं, जो भारत की पाकिस्तान से उन्हें सौंपने की मांग का हिस्सा थी.”
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‘सीमा पार से आए टिफिन बम, हथियार’
सूत्रों के अनुसार, पंजाब पुलिस के डोजियर में लखबीर को “टिफिन बम” के मास्टरमाइंड के रूप में बताया गया है. यह एक विस्फोटक डिवाइस था जिसमें एक टिफिन बॉक्स में विस्फोटकों को भरा जाता था.
15 सितंबर, 2021 को पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद शहर में हुए टिफिन बम विस्फोट मामले में पंजाब पुलिस ने उस पर भी मामला दर्ज किया था.
लखबीर कथित तौर पर 2021 के लुधियाना कोर्ट विस्फोट में भी शामिल था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और छह घायल हो गए थे. उसी साल जालंधर में आरडीएक्स और टिफिन बम बरामद होने के बाद लखबीर के भतीजे को गिरफ्तार किया गया था.
उसके एक अन्य कथित सहयोगी हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी सिंह को एनआईए ने पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया था. सिंह, जो लुधियाना अदालत विस्फोट मामले में भी एक प्रमुख आरोपी है, को मलेशिया के कुआलालंपुर से नई दिल्ली पहुंचने के बाद गिरफ्तार किया गया था.
लखबीर कथित तौर पर 2021 के लुधियाना कोर्ट विस्फोट में भी शामिल था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और छह घायल हो गए थे. उसी साल जालंधर में आरडीएक्स और टिफिन बम बरामद होने के बाद लखबीर के भतीजे को गिरफ्तार किया गया था.
उनके एक अन्य कथित सहयोगी हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी सिंह को एनआईए ने पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया था. सिंह, जो लुधियाना अदालत विस्फोट मामले में भी एक प्रमुख आरोपी है, को मलेशिया के कुआलालंपुर से नई दिल्ली पहुंचने के बाद गिरफ्तार किया गया था.
सूत्रों के मुताबिक, डिवाइस को आईएसआई गुर्गों की मदद से पाकिस्तान से तस्करी कर लाया गया था. इसके बाद, उन्हें मामले में “वांछित” के रूप में नामित किया गया था.
एनआईए अधिकारियों के मुताबिक, सिंह लखबीर का सहयोगी था.
एनआईए अधिकारी ने कहा, “लखबीर के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए, उसने पाकिस्तान से अपने भारत स्थित सहयोगियों को कस्टम-निर्मित आईईडी की डिलीवरी का समन्वय किया, जिसका इस्तेमाल लुधियाना अदालत परिसर विस्फोट में किया गया था.”
पंजाब पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, लखबीर आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की मदद से जम्मू-कश्मीर के माध्यम से हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी करता था.
सूत्रों ने बताया कि लखबीर सक्रिय रूप से “पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सीमा पार से भारत में हथियारों और विस्फोटकों की खेप भेजने” में लगा हुआ था.
पंजाब पुलिस ने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न आरोपियों को गिरफ्तार किया है और हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक बरामद किए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि वे लखबीर के संपर्क में थे और उसके कहने पर भारत में हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों की खेप ले गए थे.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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