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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशवो 13 दिन जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान को घुटने पर ला दिया था..1971 युद्ध के 50 साल का विजय पर्व

वो 13 दिन जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान को घुटने पर ला दिया था..1971 युद्ध के 50 साल का विजय पर्व

दिल्ली के इंडिया गेट पर साल 1971 में पाकिस्तान से लड़े गए युद्ध को स्वर्णिम विजय पर्व के रूप में मनाया गया. जिसमें इस युद्ध की झलकियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई.

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नई दिल्ली: साल 1971 में  पाकिस्तान के साथ हुए भारत के युद्ध को 50 साल का समय बीत गया. लेकिन, आज भी जब युद्ध के उस समय को याद किया जाता है तो हर भारतीय की नसों में खून खौल जाता है.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी देश 93 हजार सैनिकों ने घुटनों पर आकर सरेंडर कर दिया था. भारतीय सेना ने पाकिस्तान को घुटने पर ला दिया था. साल 1971 में हुए इस युद्ध से एक नए देश का जन्म हुआ था और वो था बांग्लादेश.

पाकिस्तान से लड़े युद्ध में भारत ने अपनी जांबाजी के झंडे गाड़ दिए थे.

दिल्ली के इंडिया गेट पर साल 1971 में पाकिस्तान से लड़े गए युद्ध को स्वर्णिम विजय पर्व के रूप में मनाया गया. इस उपलक्ष्य में पूर्वी पाकिस्तान से लेकर पश्चिमी क्षेत्र तक भारतीय सेना के शूरवीरों की वीरगाथा को प्रदर्शित किया गया. एक ओर जहां सैन्य बलों को स्टैचू के जरिए दिखाने की कोशिश की गई वहीं जनरल मानेकशॉ के द्वारा पहने गए कपड़ों और बेल्ट को भी प्रदर्शित किया गया था. जिसे लोगों ने बहुत रुचि लेकर देखा.

अमर जवान ज्योति के इर्द-गिर्द पहुंचे सभी लोगों में उस युद्ध के मंजर को देखकर अजीब ही उत्साह देखने को मिला.

1971 के युद्ध के 50 साल पूरे होने पर मनाए जा रहे इस ‘स्वर्णिम विजय पर्व’ को पहले धूमधाम से मनाने की तैयारियां की गई थीं, लेकिन हेलिकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका समेत 11 लोगों के निधन के बाद इसे सादगी से मनाने से फैसला लिया गया.

राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और भारतीय सशस्त्र बलों के अदम्य साहस का जश्न मनाया गया.

स्वर्णिम विजय पर्व एक ऐतिहासिक घटना थी. यह 1971 के युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों की स्मारक निर्णायक सैन्य जीत का प्रतीक है, इसी के चलते बांग्लादेश को क्रूर पाकिस्तानी शासन से मुक्ति मिली.

कई इतिहासकारों ने इस युद्ध के महत्व के बारे में विस्तार से लिखा है, लेकिन यह जीत सेना की सीमा से परे है क्योंकि यह राष्ट्रीय भावना, सम्मान और सशस्त्र बलों की व्यावसायिकता के सामूहिक सार को बताती है.

दो दिनों तक चले इस कार्यक्रम का आयोजन ईस्टर्न कमांड द्वारा ईस्टर्न थिएटर पवेलियन में किया गया था जिसमें चित्रों के जरिए पाकिस्तान पर भारत की जीत की कहानी को दर्शाने की कोशिश की गई थी. इन झलकियों में भारत की वीरता से लेकर उसके पराक्रम का जिक्र किया गया था.

आयोजन में जबरदस्त एनीमेशन के साथ बनाया ये वीडियो भारत-पाकिस्तान के संघर्ष से शुरू हुआ था जिसमें दोनों देशों के सैन्य अभियान दिखाए गए थे. इसके बाद वीडियो के आखिर में दिखाया गया कि कैसे इस बड़े युद्ध के बाद एक स्वतंत्र देश बांग्लादेश का जन्म हुआ.

कार्यक्रम में भी इन ऐतिहासिक किस्सों और घटनाओं को सामने लाने पर विशेष जोर दिया गया. इस शो का मुख्य आकर्षण था लाइट-एंड-साउंड शो. जिसमें  भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना की वीर गाथा को अनोखे अंदाज में पेश किया गया.

भारत के सामने आत्मसमर्पण करने वाली पाकिस्तानी सेना के जनरल एएके नियाज़ी की आत्मसमर्पण की गई मर्क कार, उनकी मूल पिस्तौल, मूल परिचालन मानचित्र जैसी मूल कलाकृतियों का प्रदर्शन आकर्षण का केंद्र रहा. इन मूल कलाकृतियों ने उस वीरता और साहस को चित्रित किया जिसके साथ भारतीय सैनिकों ने युद्ध लड़ा और युद्ध की एक शानदार याद दिला दी.

रंगमंच में चार सबसे शानदार संचालन को ड्रामा के जरिए दोबारा बनाया गया. पाकिस्तानी पहाड़ी क्षेत्र में हमला करने वाले पीटी -76 टैंक के मॉडल, एमआई -4 हेलीकॉप्टर 3 डी मॉडल हेलिबोर्न ऑपरेशन शुरू करते हैं, प्रसिद्ध तंगेल पैरा ड्रॉप के दौरान पैराट्रूपर्स के जीवन आकार के मॉडल को छूने के लिए असाधारण वीरता की काहानी बताई. लांस नायक अल्बर्ट एक्का को परमवीर चक्र, 31 महावीर चक्र और 156 वीर चक्र से सम्मानित किया गया द वॉल ऑफ फेम युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान को प्रदर्शित किया गया.

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 93,000 पाकिस्तानी कर्मियों ने भारत के मुठ्ठी भर सेना के सामने सबसे बड़ा सरेंडर किया. यह तानाशाही पर लोकतंत्र की जीत थी जो वास्तव में एक नए राष्ट्र के जन्म का कारण बनी.

विजय पर्व पर लाइट शो और संगीतो के साथ किया 1971 के वीरों को किया गया याद: फोटो / पूजा मेहरोत्रा : दिप्रिंट

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वो 13 दिन

साल 1971 में 3 दिसंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच जंग शुरू हुई थी और मात्र 13 दिनों में 16 दिसंबर को भारत ने इस लड़ाई को जीत लिया था. इस युद्ध के बाद पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना था.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह  ने साल 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के उपलक्ष्य में ‘स्वर्णिम विजय पर्व’ के उद्घाटन समारोह में अपने भाषण में कहा – भारत ने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ प्रत्यक्ष युद्ध जीता था और यह पाकिस्तान द्वारा भड़काए जा रहे आतंकवाद के खिलाफ जारी परोक्ष जंग भी जीत जाएगा. ‘यह (1971) युद्ध यह भी दर्शाता है कि धर्म के आधार पर भारत का विभाजन एक ऐतिहासिक गलती थी. पाकिस्तान का जन्म एक धर्म के नाम पर हुआ, लेकिन यह एक नहीं रह सका.’

राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान की मिसाइलों का नाम क्रूर आक्रमणकारियों – गौरी, गजनवी और अब्दाली के नाम पर रखा गया है जिन्होंने भारत पर आक्रमण किया था. भारतीय सशस्त्र बलों ने 1971 के युद्ध में उसकी सभी योजनाओं को विफल कर दिया और फिलहाल वे आतंकवाद के खतरे को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं.

बिपिन रावत को याद करते हुए कहा ‘ये आयोजन बहुत ही दिव्य और भव्य रूप में करने का निर्णय हुआ था, मगर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य बहादुरों के निधन के बाद इसे सादगी के साथ मनाने का निर्णय लिया गया है.’

इस स्वर्णिम विजय पर्व के उत्सव को लेकर वे बेहद उत्साहित थे. उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मुझसे व्यक्तिगत रूप से चर्चा की थी, इसलिए मुझे आज उनकी बहुत याद आ रही है.

पाकिस्तान ने सोमवार को भारत के रक्षा मंत्री की उस टिप्पणी को ‘अनुचित और भड़काऊ’ करार दिया जिसमें राजनाथ सिंह ने कहा था कि इस्लामाबाद ने अपनी मिसाइलों का नाम भारत पर आक्रमण करने वालों आक्रांताओं के नाम पर रखा है.

1971 के वीरों को किया गया याद: फोटो / पूजा मेहरोत्रा : दिप्रिंट
1971 के वीरों को किया गया याद: फोटो / पूजा मेहरोत्रा : दिप्रिंट
1971 के वीरों को किया गया याद: फोटो / पूजा मेहरोत्रा : दिप्रिंट

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