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Sunday, 22 December, 2024
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‘FIR दर्ज की और बैठे रहे’ — मणिपुर में मारे गए बच्चों की तस्वीरें आने के बाद माता-पिता ने उठाया सवाल

एक बयान में मणिपुर सरकार का कहना है कि मामला पहले ही CBI को सौंप दिया गया था और जांच जारी है. लेकिन इस जांच का अब दोनों किशोरों के माता-पिता के लिए कोई मतलब नहीं है.

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नई दिल्ली: मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट बहाल होने के कुछ दिनों बाद, दो मैतेई स्टूडेंट्स की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं, जो 6 जुलाई को ट्यूशन क्लास के बहाने घर से निकलने के बाद लापता हो गए थे.

एक तस्वीर में दोनों स्टूडेंट्स को एक सशस्त्र समूह के अस्थायी जंगल शिविर के घास वाले परिसर में बैठे हुए दिखाया गया है. उनके पीछे दो आदमी बंदूकें लेकर खड़े हैं. अगली फोटो में उनके शव जमीन पर गिरे हुए नजर आ रहे हैं.

उनके लापता होने के तुरंत बाद, 19 वर्षीय हेमनजीत विएटिमबॉय और 17 वर्षीय लड़की के परिवारों ने कई बार पुलिस से संपर्क किया और साथ ही खुद भी उन्हें ढूंढने लगे.

परिवार के सदस्यों ने दिप्रिंट को बताया कि हर बार पुलिस ने उन्हें ‘स्थिति सामान्य होने’ का इंतज़ार करने के लिए कहकर लौटा दिया. उन्होंने कहा, “पुलिस ने हमें विफल कर दिया है.”

हालांकि, माता-पिता को अपने बच्चों के वापस लौटने की बहुत कम उम्मीद थी, लेकिन तस्वीरों ने दोनों परिवारों के लिए इस प्रकरण का दर्दनाक अंत कर दिया.

मणिपुर सरकार ने सोमवार को एक बयान में कहा कि मामला पहले ही CBI को सौंप दिया गया था और जांच जारी है.

इसमें आगे कहा गया है कि पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से, दोनों स्टूडेंट्स के लापता होने की परिस्थितियों का पता लगाने और उनकी हत्या करने वाले अपराधियों की पहचान करने के लिए मामले की “सक्रिय रूप से जांच” कर रही है. बयान में कहा गया, “सुरक्षा बलों ने अपराधियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान भी शुरू कर दिया है.”

हालांकि, लड़की के पिता ने कहा कि उन्हें सरकार और उनकी बातों पर कोई भरोसा नहीं है.

उन्होंने दिप्रिंट से फोन पर बात करते हुए कहा, “इस पूरे समय, हम मदद के लिए कई दरवाजे खटखटाते रहे और उन्हें बताते रहे कि बच्चों का अपहरण कर लिया गया है. हमने उन्हें सुराग भी दिये, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. आज जब उनकी तस्वीरें वायरल हो गई हैं तो उन्होंने एक बयान जारी किया है. अब तक बिल्कुल कोई कार्रवाई नहीं हुई. वे कहते हैं कि उन्होंने मामला CBI को दे दिया है, लेकिन उस टीम ने भी कुछ नहीं किया.”

फिजाम इबुंगगोबी सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने वह स्थान भी पुलिस को बताया जहां उनके बेटे हेमनजीत का फोन चालू था, लेकिन पुलिस ने “कूकी क्षेत्र” होने के कारण जाने से इनकार कर दिया.

उन्होंने कहा, “उन्हें बचाया जा सकता था. मैंने उनकी जांच की और उन्हें बताया कि एक इलाके में फोन चालू था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. उन्होंने मुझसे कहा कि वे इस वक्त कुकी इलाके में नहीं जा सकते. मैंने उनसे अपने समकक्षों से बात करने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने सिर्फ FIR दर्ज की और बैठे रहे. अब जब तस्वीरें वायरल हो गई हैं, तो वे यह बयान जारी कर रहे हैं, जिसका हमारे लिए कोई मतलब नहीं है.”


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जिस दिन वे लापता हुए

6 जुलाई को दोनों पीड़ित – इम्फाल पश्चिम के 11वीं कक्षा के दोनों छात्र – ने तब बाहर निकलने का फैसला किया जब मणिपुर सरकार ने क्षेत्र में कर्फ्यू में ढील दी थी. दोनों बस कुछ समय साथ बिताना चाहते थे. जबकि लड़की ने अपने माता-पिता को बताया कि वह ट्यूशन क्लास के लिए जा रही है, तो हेमनजीत फुटबॉल खेलने के बहाने घर से निकल गया.

उन्हें क्या पता था कि यह यात्रा उनकी आखिरी यात्रा है.

जैसे-जैसे दिन बीतता गया, उनकी वापसी का कोई संकेत नहीं मिला और फिर उनके फोन बंद हो गए. उनके परिवार को उनकी चिंता होने लगी और उन्होंने उनकी तलाश शुरू की. लड़की के परिजन ट्यूशन सेंटर पहुंचे, जहां उन्हें सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि वह अपने पुरुष मित्र के साथ बाइक पर निकली थी. दोपहर तक उन्होंने लड़के के परिवार से संपर्क किया, लेकिन पता चला कि वह भी गायब था.

हेमनजीत के पिता ने दिप्रिंट को बताया कि दोनों घूमने निकले थे.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “वे इस संघर्ष के बारे में बहुत कम जानते थे. न ही उन्हें बाहर हालात इतने ख़तरनाक होने का अंदाज़ा था. उन्हें पता था कि मणिपुर में कुछ हो रहा है, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि क्या और क्यों हो रहा है. उन्होंने खबरों पर अमल भी नहीं किया, वे बच्चे थे. उन्होंने कुछ समय साथ बिताने के बारे में सोचकर पहाड़ियों की ओर कदम बढ़ाया, लेकिन इससे उनकी जान चली गई.”

मणिपुर में मई में मैतेई-कुकी जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से 175 से अधिक लोग मारे गए हैं और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

लड़की भी सुबह 6 बजे क्लास के लिए घर से निकली थी, लेकिन जब वह 8.30 बजे तक घर नहीं लौटी तो उसकी मां ने उसे फोन करके उसके बारे में पूछा.

दिप्रिंट से बात करते हुए, उसके पिता ने कहा था कि कॉल के दौरान, उनकी बेटी ने शुरू में नंबोल बाज़ार के आसपास होने की बात कहीं, लेकिन कुछ सेकंड के भीतर उसने कहा कि दोनों 15 किमी दूर खौपुम में है. तभी अचानक किसी ने उसका फोन छीन लिया और कॉल काट दी.

7 जुलाई को, दोनों परिवार फिर से तलाश में निकले. दोनों परिवार दोनों बच्चों को खोजने के लिए संभावित रास्ते की ओर गए. दोनों परिवार चूड़ाचांदपुर के करीब, बिष्णुपुर जिले की तलहटी में एक गांव फौगाकचाओ इखाई तक पहुंचा, लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला.

परिवार के लोगों ने फौगाकचाओ इखाई पुलिस स्टेशन में पुलिस को बताया कि जब उन लोगों ने स्थानीय लोगों से उन्होंने बात की थी, उन्होंने उन्हें बताया कि उनका अपहरण हो गया है. हालांकि, उनके पास कोई महत्वपूर्ण सुराग नहीं था. उसके पिता ने दावा किया कि कुछ दिनों बाद 11 जुलाई को चुराचांदपुर के एक गांव लमदान में हेमनजीत का फोन ऑन हुआ.

हेमनजीत के पिता ने याद किया, “उनका हैंडसेट लम्दान में पुनः ऑन हुआ, लेकिन एक अलग सिम कार्ड से. साइबर-क्राइम यूनिट से किसी ने मुझे यह बताया. मैंने उनसे कहा कि आप जाकर उस व्यक्ति को गिरफ्तार क्यों नहीं कर लेते? उन्होंने मुझसे कहा कि चल रहे संघर्ष के कारण उनके लिए चुराचांदपुर की ओर जाना मुश्किल है.”

(संपादन : ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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