हैदराबाद, चार मई (भाषा) केंद्रीय मंत्री बंदी संजय कुमार ने माओवादियों के साथ शांति वार्ता की संभावना से इनकार करते हुए रविवार को कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) एक प्रतिबंधित संगठन है और इसके सदस्यों को हथियार डालकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करना चाहिए।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने करीमनगर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह एक प्रतिबंधित संगठन है और उसके साथ बातचीत करने का कोई सवाल ही नहीं है।’’
संजय कुमार ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आश्चर्य जताया कि हथियार रखने वाले किसी भी व्यक्ति से सामाजिक दृष्टिकोण से कैसे संपर्क किया जा सकता है।
रेवंत रेड्डी ने एक बयान में कहा था कि उनकी सरकार नक्सलवाद को कानून और व्यवस्था के मुद्दे के रूप में देखने के बजाय सामाजिक दृष्टिकोण से देखती है।
कुमार ने कहा कि यह कांग्रेस सरकार थी जिसने भाकपा (माओवादी) पर प्रतिबंध लगाया था और जानना चाहा कि क्या रेवंत रेड्डी सरकार में इसे हटाने का साहस है।
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव द्वारा केंद्र से ‘ऑपरेशन कगार’ रोकने के आह्वान पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय कुमार ने कहा कि कांग्रेस और बीआरएस अब सरकार से शांति वार्ता करने का आग्रह करने में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
राव ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में माओवाद विरोधी अभियानों में आदिवासी और युवा मारे जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि माओवादियों ने ही बारूदी सुरंगें बिछाकर निर्दोष लोगों, आदिवासियों, सुरक्षाकर्मियों को मारा है तथा अतीत में कांग्रेस, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की भी हत्या की है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे संगठन के साथ कोई सरकार शांति वार्ता कैसे कर सकती है? जब माओवादियों ने निर्दोष लोगों की हत्या की थी, तब किसी राजनीतिक दल या जन संगठन ने उनके हिंसक कृत्यों पर सवाल नहीं उठाया था।’’
छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर 21 अप्रैल को बड़े पैमाने पर नक्सल-विरोधी अभियान शुरू होने के बाद, तेलंगाना के कई कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने मांग की कि अभियान को तुरंत रोक दिया जाए और सरकार नक्सलियों के साथ शांति वार्ता के लिए आगे आए।
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