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सोमवार, 19 मई, 2025
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सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती: रस्किन बॉन्ड

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नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) भारत के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक रस्किन बॉन्ड सोमवार को 91 वर्ष के हो गए। इस खास मौके पर उनकी नयी किताब “लाइफ्स मैजिक मोमेंट्स” का विमोचन किया गया। इस किताब में उन्होंने जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को लिखा है।

बॉन्ड अपनी किताब में एक गाने का जिक्र करते हैं जो उन्हें हमेशा आकर्षित करता है ‘व्हेन आई ग्रो टू ओल्ड टू ड्रीम’। हालांकि, इस गाने की एक पंक्ति को लेकर उनका कहना है, ‘यह गाना बहुत प्यारा है, लेकिन इसका सार गलत है। हम कभी भी सपने देखने के लिए बूढ़े नहीं होते।’

उनकी इस बात का यह मतलब है कि उम्र चाहे जितनी भी हो, सपने देखना नहीं छोड़ना चाहिए।

इस वर्ष रस्किन बॉन्ड ने अपने जन्मदिन पर सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया था, लेकिन पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए उन्होंने इसे रद्द कर दिया।

बॉन्ड का जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था। बॉन्ड जामनगर, शिमला, नयी दिल्ली और देहरादून में पले-बढ़े। 1963 में उन्होंने लंढौर को अपना स्थायी घर बना लिया।

अपनी लंबी साहित्यिक यात्रा के बारे में बॉन्ड कहते हैं, ‘लेखक के लिए सबसे अच्छा पाठक वह खुद होता है, क्योंकि उसकी किताब शायद सिर्फ कुछ ही पाठकों तक पहुंचे।’

बॉन्ड की पहली किताब ‘द रूम ऑन द रूफ’ 1956 में प्रकाशित हुई थी, जिसे जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार प्राप्त हुआ। उन्होंने सैंकड़ों किताबें लिखी हैं।

भाषा योगेश अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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