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Wednesday, 1 October, 2025
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भारत-ईएफटीए व्यापार समझौता लागू करने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था: स्विस मंत्री

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(मानस प्रतिम भुइंया)

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) स्विट्जरलैंड की आर्थिक मामलों की मंत्री हेलेन बुडलिगर ने कहा है कि यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) में शामिल चार देशों और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा और समझौते को लागू करने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था।

यह महत्वाकांक्षी समझौता बुधवार को अमेरिकी शुल्क विवाद के कारण उत्पन्न व्यापार व्यवधानों के बीच प्रभावी हो गया है।

नयी दिल्ली और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (जिसमें स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल हैं) के बीच हस्ताक्षरित व्यापार व आर्थिक भागीदारी समझौते (टीईपीए) से 92.2 प्रतिशत भारतीय उत्पादों पर शुल्क कम होने की उम्मीद है।

पिछले वर्ष मार्च में हुए समझौते के प्रावधानों के तहत चारों देशों ने अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करने का संकल्प लिया था। इसके अलावा, उन्होंने प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, वस्त्र, चमड़ा और खाद्य उत्पादों के क्षेत्रों में व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई थी।

बुडलिगर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, “यह एक बूस्टर की तरह होगा। भारत में निवेश के लिए स्विट्जरलैंड ने काफी रुचि व्यक्त की है। मुझे लगता है कि यह कहना सही होगा कि (वैश्विक व्यापार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए) यह हमारे लिए और भी अधिक सार्थक है।”

यह व्यापार समझौता ऐसे समय में लागू हुआ है जब भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश से भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। इसमें से 25 प्रतिशत शुल्क रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए लगाया गया है।

हालांकि, बुडलिगर ने कहा कि भारत-ईएफटीए व्यापार समझौते का वाशिंगटन की व्यापार नीति से उत्पन्न वर्तमान स्थिति से कोई लेना देना नहीं है, क्योंकि यह समझौता 16 वर्षों की बातचीत के बाद हुआ है।

उन्होंने कहा, “यह एक बेहतरीन मौका है और इससे हमारे प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। लेकिन यह कहना गलत होगा कि हम यह सब दुनिया में हो रही घटनाओं की वजह से कर रहे हैं।”

भारत, ईएफटीए का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और पिछले कुछ वर्षों में दोनों के बीच व्यापार बढ़ा है।

उन्होंने कहा, “(समझौते को लागू करने का) इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था। लेकिन मैं नहीं चाहती कि हमें अवसरवादी समझा जाए। ऐसा नहीं है कि दुनिया में हालात खराब होने पर हमें अचानक भारत की अहमियत समझ में आई — ऐसा बिल्कुल नहीं है।”

उन्होंने कहा, “इसीलिए मैंने जोर देकर कहा कि हम पिछले 16 वर्षों से यह समझौता चाहते थे। हम 16 साल से इस पर बातचीत कर रहे थे। भारत के साथ हमारे लंबे समय से मजबूत रिश्ते रहे हैं, और हमें भारत का मित्र व साझेदार होने पर बेहद गर्व है।”

भाषा जोहेब नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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