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Monday, 25 November, 2024
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डिजिटल माध्यम से अदालतों में हो रही सुनवाई से बहुत सारी समस्याएं हैं: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा एक साल तक इस तरह काम करने के बावजूद हम रोज़ाना 30-35 मामलों की तुलना में 60-65 मामलों की सुनवाई कर रहे हैं. डिजिटल माध्यम से सुनवाई में बहुत सारी समस्याएं हैं.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें अनुरोध किया गया था कि डिजिटल माध्यम से अदालतों में सुनवाई को याचिकाकर्ता का मौलिक अधिकार घोषित किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजिटल माध्यम से अदालतों में हो रही सुनवाई जारी रखने से समस्या हो सकती है.

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की बेंच ने कहा कि डिजिटल माध्यम से सुनवाई में बहुत सी समस्याएं हैं. बेंच इस मामले को अगली सुनवाई के लिए दिसंबर में सूचीबद्ध किया है. बेंच ने कहा, ‘डिजिटल माध्यम से सुनवाई एक समस्या हो सकती है. एक साल तक इस तरह काम करने के बावजूद हम रोज़ाना 30-35 मामलों की तुलना में 60-65 मामलों की सुनवाई कर रहे हैं. डिजिटल माध्यम से सुनवाई में बहुत सारी समस्याएं हैं.’


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कोर्ट ने कहा, ‘जरनैल सिंह (पदोन्नति में आरक्षण) मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रत्यक्ष रूप से पेश हुए थे जहां वकीलों ने कहा कि यहां आकर दलीलें देने में कितना अच्छा लगता है. हम भी अब (अदालत) खोल रहे हैं. पूरी तरह खुलने के बाद हम सुनवाई करेंगे.’

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने यह याचिका दायर की थी और मामले की सुनवाई तत्काल करने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा, ‘आज याचिकाकर्ता कहीं से भी बैठकर मामले की सुनवाई देख सकता है.’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 70 सालों से बिना शिकायत के न्याय मिल रहा है लेकिन आज प्रत्यक्ष उपस्थिति के साथ समस्या आ गई. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुनवाई के मिलेजुले माध्यम से काम नहीं हो पा रहा हैं और फिर से सामान्य रूप से कामकाज होना चाहिए.

अदालत गैर सरकारी संगठन ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फॉर फास्ट जस्टिस’ और कुछ प्रमुख नागरिकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई को वादकारियों का मौलिक अधिकार घोषित करने का अनुरोध किया गया है.


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