नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी की जमीनी स्तर पर व्यापक कवरेज के लिए दिप्रिंट को प्रतिष्ठित इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) इंडिया अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म 2022 से सम्मानित किया गया है.
प्रेस से जुड़े इस अंतरराष्ट्रीय संगठन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दिप्रिंट को इसकी ऐसी ‘स्टोरीज की सीरीज के लिए ये पुरस्कार देने का फैसला किया गया है जिन्होंने कोविड के खिलाफ जंग के दौरान सपोर्ट सिस्टम को लेकर विभिन्न राज्यों के अस्पतालों, स्थानीय निकायों और सरकारों के कुप्रबंधन को उजागर किया.’
पुरस्कार के लिए बनी जूरी में प्रतिष्ठित संपादकों का एक समूह शामिल था, जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर ने किया.
पुरस्कार के तहत प्रत्येक टीम को एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक ट्रॉफी और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.
यह पुरस्कार अब तक प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 17 मीडिया संगठनों और पत्रकारों को दिया जा चुका है.
आईपीआई का इंडिया चैप्टर अखबारों, पत्रिकाओं और न्यूज एजेंसियों के संपादकों, प्रकाशकों और सीनियर एक्जिक्यूटिव का एक एक्टिव फोरम है, जो सभी इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट के सदस्य हैं. इंडियन चैप्टर 1996 और 2001 में भारत में आईपीआई की वर्ल्ड कांग्रेस और जनरल असेंबली की सफलतापूर्वक मेजबानी कर चुका है, और समय-समय पर प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़े तमाम मुद्दे उठाता रहा है.
72 साल पहले न्यूयॉर्क में 15 देशों के संपादकों के एक समूह की तरफ से स्थापित किया गया आईपीआई अब एक वैश्विक संगठन बन चुका है, जिसका लक्ष्य प्रेस की आजादी को नए मुकाम पर पहुंचाना है. वियना स्थित आईपीआई विभिन्न राष्ट्रों के बीच सटीक और संतुलित खबरों के मुक्त आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रेस की स्वतंत्रता के किसी भी तरह से उल्लंघन और सूचना के मुक्त प्रवाह पर पाबंदी जैसी किसी भी स्थिति में यह सरकारों और संगठनों के खिलाफ विरोध जताकर प्रेस की आजादी की रक्षा करने में सबसे आगे रहा है.
दिप्रिंट के अलावा, एनडीटीवी के सौरभ शुक्ला को भी पुरस्कार प्रदान दिया गया, जिन्होंने हरिद्वार में कुछ कथित धर्मगुरुओं के नफरती भाषणों पर स्टोरी की थी.
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