scorecardresearch
Wednesday, 26 June, 2024
होमदेशबंगाल में राजभवन में उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला ने कहा- 'चुप कराने की हुई कोशिश'

बंगाल में राजभवन में उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला ने कहा- ‘चुप कराने की हुई कोशिश’

कोलकाता पुलिस ने राज्यपाल के ओएसडी, पेंट्री कर्मचारी और चपरासी के खिलाफ महिला को राज्यपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने से रोकने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया है.

Text Size:

कोलकाता: कोलकाता पुलिस ने राज्यपाल के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) सहित राजभवन के तीन कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इन कर्मचारियों पर 2 मई को राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने से एक महिला को रोकने का आरोप है.

शुक्रवार को जारी पुलिस बयान के अनुसार, 15 मई को हरे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना) और 166 (सरकारी कर्मचारी द्वारा कानून का उल्लंघन) के तहत एफआईआर दर्ज की गई.

पुलिस ने एफआईआर में ओएसडी संदीप सिंह राजपूत, पेंट्री कर्मचारी और सहायक कुसुम छेत्री और चपरासी संत लाल का नाम दर्ज किया है. पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि तीनों को पूछताछ के लिए रविवार को पुलिस के सामने पेश होने के लिए नोटिस दिया गया है.

पुलिस ने शुक्रवार को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायतकर्ता का बयान भी दर्ज किया.

2 मई को शिकायतकर्ता ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस चौकी का रुख किया और आरोप लगाया कि राजभवन के अंदर दो मौकों पर उनका “यौन उत्पीड़न” किया गया था – राजभवन ने एक बयान में इन आरोपों को “गढ़ी हुई कहानी” बताकर खारिज कर दिया.

दिप्रिंट से बात करते हुए शिकायतकर्ता ने कहा, “ओएसडी संदीप राजपूत मेरे साथ बहुत ही बदतमीजी से बात करते थे, लेकिन 24 अप्रैल को जब पहली बार यह घटना हुई, तो वे दोपहर करीब 3.45 बजे मेरे कार्यालय आए और बहुत विनम्रता से बात की, जैसे कि मेरे प्रति उनका मन बदल गया हो. अब, मुझे लगता है कि यह एक योजना का हिस्सा था कि उनका व्यवहार मुझे परेशान करेगा और मैं राज्यपाल के पास उनके खिलाफ शिकायत करने जाऊंगी क्योंकि राज्यपाल मुझसे पूछते रहते थे कि क्या मुझे कोई समस्या है.”

2 मई को हुई घटना को याद करते हुए शिकायतकर्ता ने कहा, “2 मई को जब मैं राज्यपाल से बात करने के लिए सुपरवाइजर को अपने साथ ले गई थी, तो ओएसडी संदीप राजपूत ने उसे तीन बार मना किया था कि वह मेरे साथ न जाए.लेकिन मैं इतनी डरी हुई थी कि मैंने जोर देकर कहा कि जब मैं राज्यपाल से मिलूं तो वह मेरे साथ रहे. लेकिन राज्यपाल ने सुपरवाइजर को बीच में ही चले जाने को कहा.”

घटना की रिपोर्ट करते हुए शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसे मदद मांगने और पुलिस से संपर्क करने से रोका गया.

शिकायतकर्ता ने दिप्रिंट को बताया, “राज्यपाल द्वारा मुझे अनुचित तरीके से छूने के बाद, ओएसडी राजपूत एडीसी (सहायक) मनीष जोशी के साथ पेंट्री स्टाफ कुसुम छेत्री को लेकर आए और मुझे शांत रहने को कहा. ओएसडी ने मुझे लगातार इस घटना के बारे में किसी से बात न करने को कहा.”

उसने आगे कहा कि राजपूत ने उसे अपनी मां को फोन करने से भी रोक दिया. “ओएसडी के निर्देश पर कुसुम छेत्री ने मेरा फोन छीन लिया. एडीसी मनीष जोशी ने कहा कि राजभवन की गाड़ी मुझे घर छोड़ देगी. ओएसडी ने छेत्री से आग्रह किया कि वह मुझे गाड़ी तक ले जाए और मेरा बैग ले जाए और कहा कि मैं बाहर जाते समय किसी से बात न करूं.

दिप्रिंट ने कॉल और टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए राजपूत और छेत्री से संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

शिकायतकर्ता ने दिप्रिंट को बताया कि जो कर्मचारी दौड़े और उसकी मदद करने की कोशिश की, उन्हें कमरे से बाहर जाने के लिए कहा गया और उसे अंदर बंद कर दिया गया.

चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 मई को राजभवन में रात को रुकने वाले थे, इसलिए राजभवन में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के कर्मचारी मौजूद थे, जो यह जानना चाहते थे कि क्या चल रहा है. शिकायतकर्ता के अनुसार, ओएसडी ने जवाब दिया कि यह एक “निजी मामला” था.

महिला ने आरोप लगाया, “जो लोग मेरी मदद करने आए थे, उन्हें बाद में ओएसडी ने मुंह बंद करने के लिए मजबूर किया.”

उन्होंने आगे बताया कि ओएसडी के निर्देशों का पालन करते हुए छेत्री ने एक पल के लिए भी अपना बैग नहीं छोड़ा. दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने बताया, “जब मैं गाड़ी आने तक क्वार्टर में जाना चाहती थी, तो उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया. इसके बजाय, उन्होंने कहा, मुझे चुपचाप घर जाना चाहिए. मुझे राजभवन में ‘शांति कक्ष (Peace Room)’ में बंद कर दिया गया, जहां मैं काम करती थी.”

एफआईआर नामित चपरासी के बारे में बात करते हुए, शिकायतकर्ता ने कहा, “राज्यपाल ने संत लाल को भेजा था. वह बहुत ही उग्र था और मुझे चुप कराने की कोशिश कर रहा था और यहां तक कि मुझ पर चिल्लाया भी ताकि मैं चुप रहूं. लेकिन मैं वापस चिल्लायी, जिससे वह चकित रह गया और फिर उसने मुझसे धीरे से बात करते हुए चुप रहने को कहा और बोला कि राज्यपाल मुझसे बाद में बात करेंगे.”

राजभवन के सूत्रों ने कहा कि ओएसडी राजपूत एफआईआर दर्ज होने के दिन ही कोलकाता से चले गए थे.

राजभवन के अधिकारियों के अनुसार, राजपूत को राज्यपाल ने अपने ओएसडी के रूप में 14 अन्य लोगों के साथ चुना था जो उनकी कोर टीम का हिस्सा हैं. राजपूत कोलकाता में उनके साथ जुड़ने से पहले कई सालों तक राज्यपाल बोस के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े रहे थे.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः ममता का हिंदू कार्ड, मोदी का तंज और अस्पताल का वादा — उत्तर बंगाल की लड़ाई में TMC और BJP के दांव पेंच


 

share & View comments