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Wednesday, 5 November, 2025
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विधानसभा के विशेष सत्र में स्थायी राजधानी, मूल निवास के मुद्दे छाए रहे

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देहरादून, पांच नवंबर (भाषा) उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में स्थायी राजधानी, मूल निवास और जनसांख्यिकीय बदलाव जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से छाए रहे। इन मुद्दों पर कई बार विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली।

उत्तराखंड स्थापना की रजत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय विशेष सत्र बुधवार को संपन्न हुआ।

किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ ने कहा, ‘‘पहाड़ों से सबसे ज्यादा पलायन नेताओं का हो रहा है। जो विधायक या मंत्री बनते हैं वे देहरादून और हल्द्वानी में मकान बना लेते हैं। जब वे ही नीचे आ जाएंगे, तो पहाड़ का विकास कैसे होगा?’’

स्थायी राजधानी का मुद्दा उठाते हुए बेहड़ ने सुझाव दिया कि देहरादून में अरबों-खरबों रुपये की लागत से इतना बड़ा ढांचा तैयार हो चुका है और यहां बड़ी संख्या में कर्मचारी काम कर रहे हैं, इसलिए देहरादून को ही स्थायी राजधानी घोषित कर देना चाहिए।

गैरसैंण के संबंध में उन्होंने कहा कि उसे ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में और अधिक विकसित किया जाना चाहिए तथा वहां पहुंचने के मार्ग और अन्य सुविधाओं को भी बेहतर बनाया जाना चाहिए।

बेहड़ ने यह भी सुझाव दिया कि नौ नवंबर 2000 को राज्य बनने के समय से यहां निवास कर रहे सभी लोगों को राज्य का मूल निवासी माना जाए। उन्होंने कहा कि इससे बार-बार उठने वाला मूल व स्थायी निवास का मुद्दा समाप्त हो जाएगा।

हालांकि, उनके इस सुझाव का देहरादून के धर्मपुर से भाजपा विधायक विनोद चमोली सहित सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने विरोध किया, जिसके चलते सदन में कुछ देर के लिए नोकझोंक भी हुई।

तीन दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा को संबोधित किया था।

देहरादून के विकासनगर से भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने मूल निवास के मुद्दे का समर्थन करते हुए कहा कि जौनसार क्षेत्र की जनसांख्यिकी सख्त भू-कानूनों की वजह से ही अप्रभावित रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार का स्पष्ट रुख है कि प्रदेश के मौलिक स्वरूप से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होने दी जाएगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी मंगलवार को कहा था कि देवभूमि उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बदलने नहीं दिया जाएगा और उसे बचाए रखने के लिए ‘लैंड जिहाद’, ‘लव जिहाद’ और ‘थूक जिहाद’ जैसे कृत्यों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।

भाषा दीप्ति खारी

खारी

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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