नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के 2021-22 के आम बजट से ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार की तरफ से कोविड-19 टीकाकरण पर खर्च का कोई प्रावधान नहीं किया गया है. दस्तावेज दर्शाते हैं कि टीकों के लिए 35,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है लेकिन इस राशि को टीकाकरण अभियान का समर्थन करने के लिए राज्यों को हस्तांतरित किया जाना है.
इसी का हवाला देते हुए कांग्रेस ने महामारी से निपटने और टीकाकरण अभियान को लेकर मोदी सरकार से सवाल किया है.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में राजनीतिक अर्थशास्त्री और चेयरपर्सन, डाटा एनालिटिक्स प्रवीण चक्रवर्ती ने ट्विटर पर लिखा, ‘केंद्र के इस वर्ष के खर्च में कोविड टीकाकरण के लिए शून्य राशि का प्रावधान है…35000 करोड़ का बजट सभी राज्यों को टीकाकरण के लिए ‘ऋण/अनुदान’ के लिए निर्धारित किया गया है.
As with most things about this government, this is also a half truth @ShashiTharoor
There was ZERO provision for Covid vaccination in this year’s expenditure of the Centre (see picture).
The ₹35,000 cr budgeted was ‘loans/grants’ to all the States for vaccination. https://t.co/kkVvTfGidH pic.twitter.com/unRIqKROMt
— Praveen Chakravarty (@pravchak) May 9, 2021
पिछले एक ट्वीट में उन्होंने यह भी बताया था कि केंद्र सरकार ने इस सबसे खुद को अलग कर लिया है और बजट में वैक्सीन की जिम्मेदारी राज्यों के हवाले कर दी.
उन्होंने कहा, ‘यह वैक्सीन मूल्य निर्धारण में गड़बड़ी को स्पष्ट करता है.’
कांग्रेस की तरफ से यह हमला ऐसे समय बोला गया है जब आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर दिन 4,000 से अधिक मौतों के साथ हर दिन रिकॉर्ड 4 लाख नए केस सामने आ रहे हैं.
I pointed out on Feb 1 that the govt has alarmingly, reduced its budget for Health in a Covid year
There was zero allocation of funds for the Centre for Covid
It absolved itself & shifted vaccine responsibility to the States in the budget
This explains the vaccine pricing mess https://t.co/XOI9NP25ac pic.twitter.com/VIftI8ZnOn
— Praveen Chakravarty (@pravchak) May 7, 2021
बीमारी के तेजी से प्रसार और टीकाकरण अभियान की धीमी गति ने मोदी सरकार को आलोचनाओं के घेरे में ला दिया है. वैक्सीन की कमी के बीच और टीकों की कीमतों को नियंत्रित किए बिना 18-44 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण का बोझ राज्यों पर डाले जाने के उसके फैसले की भी राज्यों की तरफ से तीखी आलोचना की जा रही है.
यह भी पढ़ें: पंजाब को 18+ का टीकाकरण शुरू करने के लिए 1 लाख टीकों का इंतज़ार पर 2.63 करोड़ की है और ज़रूरत
बजट दस्तावेज क्या दर्शाते हैं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में कहा था, ‘मैंने 2021-22 के बजट अनुमान में कोविड-19 वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. यदि आवश्यकता पड़ी तो मैं आगे भी फंड उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हूं.’
वित्त मंत्रालय ने 2020-21 के संशोधित अनुमान और 2021-22 के बजट अनुमान के बीच व्यय में बड़े बदलाव संबंधी अपने बयान में भी कहा था कि कोविड-19 टीकाकरण पर खर्च को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान व्यय वृद्धि का एक कारण है.
बजट दस्तावेजों पर बारीकी से नजर डालने पर पता चलता है कि 2021-22 में टीके के लिए 35,000 करोड़ रुपये का आवंटन राज्यों को हस्तांतरित करने के लिए किया गया है. जबकि, 2020-21 के बजट में स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के टीकाकरण के लिए 360 करोड़ रुपये का आवंटन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की केंद्रीय सेक्टर की योजना के तहत किया गया था.
आम बजट पेश होने के बाद एक साक्षात्कार में व्यय सचिव टी.वी. सोमनाथन ने कहा था कि यह आवंटन 50 करोड़ भारतीयों के टीकाकरण की पूरी लागत को कवर करने के लिए पर्याप्त होगा.
उस समय भारत में मंजूरी हासिल करने वाले दोनों स्वदेश निर्मित टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन की कीमत 150 रुपये प्रति खुराक तय की गई थी. हालांकि, यह मूल्य तब बढ़ गया जब सरकार ने निर्माताओं को राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों को बिक्री के लिए कीमतें तय करने की अनुमति दे दी.
राज्यों द्वारा खरीद के लिए कोविशील्ड की कीमत 300 रुपये प्रति खुराक और कोवैक्सीन की कीमत 400 रुपये प्रति खुराक है.
वित्त मंत्रालय ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए रविवार देर रात भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया. प्रतिक्रिया मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.
मोदी सरकार ने अब तक कोविशील्ड का उत्पादन कर रहे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को वैक्सीन की 26.6 करोड़ डोज के लिए 3,639.67 करोड़ रुपये और कोवैक्सीन की आठ करोड़ खुराक के लिए भारत बायोटेक (बीबी) को 1,104 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की तरफ से कल देर रात किए गए ट्वीट के मुताबिक, इसमें सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को क्रमश: 1,732.5 करोड़ रुपये और 787.5 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान शामिल हैं, 28 अप्रैल तक की स्थिति.
भारत में वैक्सीनेशन की गति का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि ये दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज टीकाकरण अभियान है, जिसमें 103 दिनों में 15 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है.
Hon. Sh @kharge ji has written to PM Sh @narendramodi ji.
Here is a point wise response elaborating measures taken and rectifying some of the misconceptions in the letter.
1/n pic.twitter.com/qhAdLsl7UZ
— Anurag Thakur (@ianuragthakur) May 9, 2021
इन अग्रिम भुगतानों की बात करें तो केंद्र सरकार ने टीके की खरीद के लिए 2021-22 में कुल 2,520 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसके लिए उसे वर्ष के दौरान अपने बजट में आवंटन करना होगा.
राज्यों ने की आलोचना
विरोधी दलों के शासन वाले केरल, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य टीके की कमी, युवा आबादी के टीकाकरण का पूरा बोझ केंद्र की तरफ से राज्यों पर डाले जाने, और वैक्सीन निर्माताओं पर किसी तरह के मूल्य नियंत्रण के अभाव को लेकर मुखर रहे हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो कहा था कि केंद्र की वैक्सीन मूल्य निर्धारण नीति राज्यों के हितों के लिए अहितकर है.
केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक का कहना था कि मोदी सरकार ने सार्वभौमिक टीकाकरण की अपनी जिम्मेदारी से किनारा कर लिया है.
तेलंगाना के उद्योग मंत्री के.टी. रामा राव ने इस पर सवाल उठाया था कि केंद्र और राज्य सरकारों के लिए टीके के दो अलग-अलग मूल्य क्यों हैं.
We agreed for One Nation – One Tax (GST)
But now we see, One Nation – Two different Vaccine prices !?
For Govt of India @ Rs 150
And State Govts @ Rs 400Can’t the GoI subsume any additional cost from PM CARES & help rapid vaccination across India?#SabkaSaathSabkoVaccine
— KTR (@KTRTRS) April 22, 2021
हालांकि, सार्वजनिक वित्त मामलों के एक विशेषज्ञ ने बताया कि चूंकि टीकाकरण तो आखिरकार राज्यों के स्तर पर ही किया जा रहा है, ऐसे में बजट का वर्गीकरण कोई मायने नहीं रखता.
बेंगलुरु स्थित डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी के कुलपति एन.आर. भानुमूर्ति ने कहा कि यहां तक कि जब टीकों की खरीद केंद्र सरकार कर रही है तो भी ये राज्यों को ही दिए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘35,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन या तो कैश ट्रांसफर या केंद्र की ओर से राज्यों को एक तरह का ट्रांसफर हो सकता है. इसलिए या तो केंद्र सरकार वैक्सीन खरीदकर राज्यों को दे सकती है या राज्य सीधे निर्माताओं से इसे खरीदकर वितरित कर सकते है.’
उन्होंने आगे जोड़ा कहा कि केंद्र सरकार की प्रारंभिक योजना कंपनियों से खरीदकर टीके राज्यों को मुहैया कराने की ही रही होगी, लेकिन राज्यों की तरफ से इस मामले में और अधिकार देने की मांग किए जाने के बाद उन्हें वैक्सीन खरीदने की अनुमति दी गई.
यह भी पढ़ें: हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस में ‘दरकिनार’ होने से कैसे छुटकारा पाया और असम के CM की कुर्सी तक पहुंचे
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)