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Monday, 6 May, 2024
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पंजाब को 18+ का टीकाकरण शुरू करने के लिए 1 लाख टीकों का इंतज़ार पर 2.63 करोड़ की है और ज़रूरत

पंजाब में टीकाकरण कार्यक्रम वैक्सीन खुराकों की कमी से लड़खड़ा रहा है. राज्य अब प्राथमिकता समूहों और स्थानों पर पहले ग़ौर कर रहा है, ताकि संवेदनशील आबादी को पहले कवर किया जा सके.

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चंडीगढ़ : कोविड-19 वैक्सीन ख़ुराकों की भारी क़िल्लत से पंजाब के घिसटते टीकाकरण की हालत और बिगड़ गई है, जहां सरकारी टीका-केंद्रों पर 18 वर्ष की आयु से ऊपर के सभी लोगों का टीकाकरण अभी शुरू नहीं हो पाया है.

शुरू में अमरिंदर सिंह सरकार ने रोज़ाना 2 लाख लोगों को टीका लगाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य घोषित किया था, लेकिन राज्य के दैनिक कोविड बुलेटिन के अनुसार उसके बाद से हर रोज़ औसतन केवल 65,000 टीके ही लगाए जा रहे हैं. इसका प्रमुख कारण वैक्सीन की सप्लाई में कमी है.

पंजाब की आबादी में तक़रीबन 72 लाख लोग 45 वर्ष से अधिक के हैं, जिनके लिए वैक्सीन्स केंद्र सरकार को मुहैया करानी हैं. पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से दाख़िल रिपोर्ट के अनुसार राज्य ने बताया कि अभी तक उसे क़रीब 40 लाख डोज़ मिले हैं और 32 लाख ख़ुराकों का इंतज़ार है.

18 से 44 वर्ष के बीच की 1.32 करोड़ आबादी के टीकाकरण के लिए राज्य को 2.64 करोड़ ख़ुराकों की ज़रूरत है. पंजाब में रविवार को एक लाख डोज़ के पहले सेट के पहुंचने की उम्मीद है, जिन्हें सोमवार को सरकारी केंद्रों में लगाया जाएगा. अधिकारी अपेक्षा कर रहे हैं कि सरकारी केंद्रों पर भारी संख्या में लोग जुटेंगे और इस स्टॉक के एक ही दिन में, ख़त्म हो जाने की संभावना है.

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, हुसन लाल ने बताया, ‘इसके बाद 2.30 लाख टीकों की अगली खेप के 15 से 25 मई के बीच पहुंचने की संभावना है, जिसके बाद 18+ लोगों के टीकाकरण का अगला राउंड चलाया जाएगा’.

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निजी क्षेत्र में, महीने की शुरुआत से 18+ वर्ग में, 2,500 से कुछ अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है.

18+ आबादी के लिए वैक्सीन की भारी कमी के अलावा, पंजाब के पास 45+ आबादी के लिए केवल 1.5 लाख डोज़ बचे हैं. इनमें से बहुत से लोग अपने दूसरे डोज़ के इंतज़ार में हैं.

स्थिति को बेहतर करने के लिए सरकार अब प्राथमिकता समूह और क्षेत्र तय करने जा रही है, जिन्हें वैक्सीन्स पहले मुहैया कराई जाएगी. इसके अलावा आयु वर्गों के बीच, वैक्सीन आवंटन में भी बदलाव किया जाएगा.

लाल ने कहा, ‘ये तय किया गया है कि 45+ आयु वर्ग के लिए उपलब्ध वैक्सीन्स में से 70 प्रतिशत टीके उन लोगों को लगाए जाएंगे, जो दूसरे डोज़ के इंतज़ार में हैं और बाकी पहले डोज़ के लिए इस्तेमाल होंगे. लेकिन ये भी सिर्फ दो दिन ही चल पाएगा’.

शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने एक वर्चुअल कोविड समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों से कहा कि टीकाकरण के लिए, 18-45 आयु वर्ग में प्राथमिकता ग्रुप्स बनाए जाएं. इन समूहों में अधिक जोखिम वाले व्यक्तियों के तौर पर, निर्माण कार्यों में लगे मज़दूर, अध्यापक, सरकारी कर्मचारी आदि शामिल किए जाएं, जिन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं. सरकार का ये भी इरादा है कि बाक़ी राज्य के टीकाकरण से पहले, लुधियाना, मोहाली, जालंधर, पटियाला और बठिंडा जैसे सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों को लक्ष्य बनाया जाएगा.

लाल ने कहा, ‘हमने तीसरे चरण के टीकाकरण के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को 30 लाख डोज़ का ऑर्डर दिया था, जिसमें से 4.29 लाख डोज़ का भुगतान हम कर चुके हैं. भारत सरकार ने अब इस ऑर्डर के तहत पंजाब को इस महीने के लिए 3.30 लाख डोज़ आवंटित किए हैं. इनमें से एक लाख डोज़ आज (शनिवार) पहुंच जाने की संभावना है’.

कैसा है पंजाब का प्रदर्शन

16 जनवरी को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने के बाद से सीमित सप्लाई के कारण पंजाब में टीकाकरण अभियान लड़खड़ाता हुआ ही चल रहा है. इसके नतीजे में राज्य में केवल 32 लाख लोगों को ही वैक्सीन की पहली ख़ुराक मिल पाई है, जो वैक्सीन के पात्र लोगों की आबादी का 10.5 प्रतिशत से बस थोड़ा अधिक है. सरकार की ओर से जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार इनमें से 5.28 लोग दूसरी ख़ुराक भी ले चुके हैं.

राज्य के आंकड़ों से पता चलता है कि शीर्ष प्राथमिकता ग्रुप में- स्वास्थ्य सेवाकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर्स- 7 लाख से अधिक को टीके का उनका पहला डोज़ दिया जा चुका है. स्वास्थ्य सेवाकर्मियों में 1.8 लाख से अधिक को पहला डोज़ मिल चुका है, जिनमें से 93,000 (51 प्रतिशत से अधिक) को, उनका दूसरा डोज़ भी मिल चुका है.

इसी तरह, क़रीब 5.5 लाख फ्रंटलाइन वर्कर्स को पहला डोज़ मिल चुका है, जिनमें से केवल 1.2 लाख (22 प्रतिशत) को उनका दूसरा डोज़ मिला है.

टीकाकरण अभियान के दूसरे दौर में, जो 45 से अधिक की उम्र के लिए खोला गया था, सूबे ने बेहतर प्रदर्शन किया है. ऐसे 24.6 लाख लोगों को, उनका पहला डोज़ दिया जा चुका है. लेकिन, दैनिक बुलेटिन से पता चलता है कि केवल 3.13 लाख (क़रीब 12 प्रतिशत) लोगों को ही उनका पहला डोज़ मिल पाया है.

पंजाब कोविड कंट्रोल प्रोग्राम के इंचार्ज, डॉ राजेश भास्कर ने कहा, ‘दूसरा डोज़ कम लगाए जाने के पीछे एक कारण ये है कि वैक्सीन की दो ख़ुराकों के बीच का अंतराल बढ़ा दिया गया था. पहला डोज़ लगवाने के 8-12 हफ्ते बाद, बहुत सारे लोग दूसरे डोज़ का इंतज़ार कर रहे हैं’.

टीकाकरण कवरेज के मामले में, पंजाब देश के सबसे ख़राब प्रदर्शन वाले राज्यों में से एक है.

डॉ. भास्कर ने कहा, ‘हमने अपने लगभग 75-80 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाकर्मियों को टीके की कम से कम एक ख़ुराक दे दी है. टीका लगाए गए फ्रंटलाइन वर्कर्स की संख्या मूल लक्षित संख्या से अधिक है और 45+ आयु वर्ग में हम अभी तक लगभग 35 प्रतिशत को पहला डोज़ दे चुके हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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