नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) दिल्ली के सभी निजी और गैर-सहायता प्राप्त विद्यालयों को, चाहे वे कहीं भी स्थित हों, अब से शुल्क में वृद्धि करने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अब तक सरकार द्वारा आवंटित भूमि पर बने केवल 350 विद्यालयों को ही शुल्क वृद्धि से पहले सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती थी।
सूद ने कहा, ‘‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 के लागू होने के साथ ही यह विनियमन अब शहर भर के सभी निजी स्कूलों पर लागू होगा।’’ उन्होंने इस कानून को मनमानी शुल्क वृद्धि को समाप्त करने और शिक्षा प्रणाली में जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। इस विधेयक को सोमवार को विधानसभा में पेश किया गया था।
मंत्री ने दोहराया, ‘‘यह विधेयक महज औपचारिकता नहीं है। यह अभिभावकों से वादा है कि अब फीस संरचना में मनमाने ढंग से हेरफेर नहीं किया जाएगा।’’
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ‘‘नया कानून मौजूदा प्रणाली की विभिन्न कमियों को भी दूर करता है, जो दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम, 1973 (डीएसईएआर) और कई अदालती फैसलों पर आधारित है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुराने नियम ज्यादातर सरकारी भूमि पर बने विद्यालयों पर लागू होते थे, जिनकी आवंटन की शर्तें विशिष्ट थीं। इसकी वजह से बड़ी संख्या में स्कूल शुल्क विनियमन के दायरे से बाहर थे।
आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक लगभग 1,443 निजी विद्यालय हैं जिनमें से अधिकांश निजी भूमि पर या बिना किसी शर्त के सरकारी भूमि पर स्थित हैं और वर्षों से नियमन से परे रहे हैं।
आशीष सूद के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली विधानसभा में मुख्य विपक्षी आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने विधेयक को ध्यान भटकाने वाला बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के मंत्री दिल्ली के मध्यम वर्ग को गुमराह कर रहे हैं। यह विधेयक 350 से ज़्यादा निजी विद्यालयों को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के उन फैसलों से बचाने के लिए बनाया गया है, जिनके तहत पहले उनकी शुल्क संरचना पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी।’’
भारद्वाज ने दावा किया कि मौजूदा कानूनों और अदालती निर्देशों के तहत इन विद्यालयों को शुल्क में वृद्धि करने से पहले शिक्षा निदेशक से अनुमति लेना अनिवार्य है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह विधेयक इन शर्तों को समाप्त करने का प्रयास है।’’
भाषा धीरज देवेंद्र
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