नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक आदेश में निर्देश दिया है कि केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में महानिरीक्षक स्तर तक के आईपीएस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति दो वर्षों में ‘उत्तरोत्तर’ की जानी चाहिए ताकि कैडर अधिकारियों को अधिक अवसर मिल सकें।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 23 मई को आदेश सुनाते हुए कहा कि सीएपीएफ में कैडर अधिकारियों की पदोन्नति में विलंब से मनोबल पर ‘‘प्रतिकूल’’ प्रभाव पड़ सकता है।
इन संगठनों के अधिकारियों द्वारा दायर कई शिकायत याचिकाओं का निपटारा करते हुए उच्चतम न्यायालय की पीठ ने यह भी कहा कि इन सीएपीएफ की बहुप्रतीक्षित कैडर समीक्षा छह महीने में की जानी चाहिए, जिस पर शीर्ष अदालत ने 2020 में रोक लगा दी थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन पांच केंद्रीय पुलिस बल – सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी को विभिन्न प्रकार के कानून-व्यवस्था संबंधी कर्तव्यों, सीमा सुरक्षा जैसे आंतरिक सुरक्षा कार्यों, आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने तथा चुनाव कराने के लिए तैनात किया जाता है।
याचिकाकर्ताओं, जिनमें शुरू में इन बलों के 18 हजार अधिकारी शामिल थे, ने 2009 में आवेदन दायर कर गृह मंत्रालय से उनमें से प्रत्येक को संगठित समूह ए सेवा (ओजीएएस) के रूप में मानते हुए कैडर समीक्षा की मांग की थी, ताकि समय पर पदोन्नति में देरी से संबंधित उनके मुद्दे का समाधान किया जा सके।
न्यायालय ने कहा कि यह ‘‘पूरी तरह से स्पष्ट’’ है कि सीएपीएफ को कैडर मुद्दों और अन्य सभी संबंधित मामलों के लिए ओजीएएस के रूप में माना गया है।
इसने कहा कि जब सीएपीएफ को ओजीएएस घोषित किया गया है, तो ओजीएएस को उपलब्ध सभी लाभ स्वाभाविक रूप से सीएपीएफ को मिलने चाहिए, यह नहीं हो सकता कि उन्हें एक लाभ दिया जाए और दूसरे से वंचित रखा जाए।
आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं के अनुसार, चूंकि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (महानिरीक्षक रैंक) तक के पदों पर आसीन हैं, इसलिए उनकी पदोन्नति की संभावनाएं ‘‘बाधित’’ हो रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप सेवा पदानुक्रम में ठहराव आ रहा है।
उच्चतम न्यायालय की पीठ ने आदेश दिया, ‘‘सभी सीएपीएफ में कैडर समीक्षा, जो वर्ष 2021 में होनी थी, आज से छह महीने की अवधि के भीतर पूरी की जाए।’’
वर्तमान में, इन बलों में महानिरीक्षक स्तर पर 50 प्रतिशत पद आईपीएस अधिकारियों के लिए आरक्षित हैं, जबकि उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) स्तर के लगभग 15 प्रतिशत पद सेना (5 प्रतिशत) के अलावा अखिल भारतीय सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों के लिए रखे गए हैं।
गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ कैडर अधिकारियों की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आईपीएस अधिकारी पदानुक्रम का एक ‘‘महत्वपूर्ण’’ हिस्सा हैं।
मंत्रालय ने अपने वकील के माध्यम से कहा कि चूंकि ये बल विभिन्न राज्यों में तैनात हैं, इसलिए आईपीएस अधिकारी सीएपीएफ के प्रभावी संचालन के लिए ‘‘आवश्यक’’ हैं, जिससे संबंधित राज्य सरकारों और उनके संबंधित पुलिस बलों के साथ सहयोग की सुविधा मिलती है, जिससे संघीय ढांचे को संरक्षित किया जा सकता है।
न्यायालय ने इस बात पर सहमति जताई कि केंद्र सरकार के नीतिगत निर्णय के आधार पर आईपीएस अधिकारी इन बलों में प्रतिनियुक्ति पर हैं, लेकिन इसने कहा कि वह ‘‘सीएपीएफ के अधिकारियों द्वारा व्यक्त की गई शिकायत से भी अनभिज्ञ नहीं रह सकता’’।
भाषा
नेत्रपाल नरेश
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