तिरुवनंतपुरम, दो अगस्त (भाषा) केरल के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री साजी चेरियन ने फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार देने के निर्णय की शनिवार को कड़ी आलोचना की और आरोप लगाया कि संघ परिवार के राजनीतिक एजेंडे के तहत इस फिल्म को सम्मान दिया जा रहा है।
दिल्ली में 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा जूरी प्रमुख और फिल्म निर्माता आशुतोष गोवारिकर ने शुक्रवार को की।
इस वर्ष के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में ‘द केरला स्टोरी’ के लिए फिल्म निर्माता सुदीप्तो सेन को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिला है।
यह फिल्म इसलिए विवादों में रही थीं क्योंकि इसमें केरल की महिलाओं को जबरन धर्मांतरण कर आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट में भर्ती किए जाने के रूप में दिखाया गया था।
चेरियन ने एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि सुदीप्तो सेन निर्देशित यह फिल्म लोगों को बांटती है, समाज में नफरत फैलाती है और पूरे राज्य का अपमान करती है। ऐसी फिल्म को बिना किसी मापदंड पर खरा उतरे राष्ट्रीय पुरस्कार दे दिया गया।
उन्होंने कहा, “यह गर्व की बात है कि हमारे कलाकारों उर्वशी और विजयराघवन को पुरस्कार मिले हैं। लेकिन फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ को मान्यता कैसे दी जा सकती है? इस तरह से पुरस्कार कैसे दिया जा सकता है? मुझे समझ नहीं आ रहा कि किस मानदंड के आधार पर इस फिल्म को पुरस्कार के लिए चुना गया है।”
मंत्री ने कहा, “देश पर शासन करने वाली राजनीतिक पार्टी के लिए नफरत का माहौल मजबूत करना जरूरी है। इसके लिए वे हर चीज में दखल देते हैं… यहां तक कि छोटी-छोटी बातों में भी। यह पुरस्कार भी उसी का हिस्सा है। यह गलत निर्णय था।”
केरल के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री ने यह तीखी आलोचना ऐसे समय में की है जब एक दिन पहले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ‘द केरला स्टोरी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाने की कड़ी निंदा की और जूरी पर भारतीय सिनेमा की गौरवशाली परंपरा से विश्वासघात करने का आरोप लगाया।
केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी. डी. सतीशन ने भी फिल्म ‘द केरला स्टोर’ को राष्ट्रीय पुरस्कार देने के फैसले की आलोचना की और आरोप लगाया कि भाजपा सरकार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का इस्तेमाल अपनी नफरत फैलाने वाली मुहिम के तहत कर रही है।
भाषा
प्रीति रंजन
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