लखनऊ: मैं भाजपा ऑफिस के बगल में स्थित एक होटल में अपने पत्रकार दोस्तों के साथ शाम सात बजे नाश्ता कर रहा था कि तभी सादी वर्दी में कुछ पुलिसकर्मी आए और मुझे बात करने के लिए अलग बुलाया..लेकिन फिर वह जबरन जीप में बैठाने लगे.
मैं उन्हें कहता रहा कि ‘मैं पत्रकार हूं, और मैंने अपना पहचान पत्र भी दिखाया…’
लेकिन पुलिस तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी…
उन्होंने मेरा फोन छीन लिया और मेरे साथ बदसलूकी करने लगे…
मुझे हजरतगंज कोतवाली ले जाकर एक कमरे में बंद कर दिया..मेरे साथ मेरे दोस्त रॉबिन वर्मा के साथ तो उन्होंनें मारपीट भी की.
मैं बार बार पुलिसकर्मियों से मेरे लाए जाने के बारे में पूछता रहा….वे मुझे शांत रहने को कहते रहे और मेरे खिलाफ..आईपीसी की धारा 120 बी (ऐसे में साजिश में शामिल शख्स यदि फांसी उम्रकैद या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि के कठिन कारावास से दंडनीय अपराध करने की आपराधिक साजिश में शामिल होगा तो धारा 120 बी के तहत उसको भी अपराध करने वाले के बराबर सजा मिलेगी अन्य मामलों में यह सजा छह महीने की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.) के तहत मामला दर्ज करने की धमकी तक दे डाली…
पुलिस वालों की बदसलूकी यहीं खत्म नहीं हुई उन्होंने मुझे कहा, ‘आज तेरी सारी पत्रकारिता निकाल देंगे.’
‘थाने में बैठे दूसरे पुलिस वाले ने तो मेरी दाढ़ी के बाल तक नोचने की धमकी दे डाली.’
ये सारी बाते दिप्रिंट से बातचीत में बताई द हिंदु के पत्रकार उमर राशिद ने, जिन्हें यूपी पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. उमर को पुलिस ने दो घंटे तक थाने में बैठा कर रखा ही नहीं बल्कि प्रताड़ित भी किया.
पुलिस ने उनके कश्मीरी होने पर उनपर अभद्र टिप्पणियां भी कीं. जब अन्य संस्थान के पत्रकार थाने पहुंचे और मुख्यमंत्री कार्यालय ने हस्तक्षेप किया उसके बाद उमर को छोड़ा गया.
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पिछले दो दिनों से लगातार उत्तर प्रदेश सुलग रहा है. गुरुवार को लखनऊ में जमकर उपद्रव हुआ लेकिन पुलिस ने शुक्रवार को आरोपियों को ढूंढ़ते वक्त ‘द हिंदू’ के संवाददाता उमर राशिद को ही हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.
उमर ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि पुलिस वालों को मेरे ‘कश्मीरी’ होने से दिक्कत थी. वह बार-बार ये शब्द इस्तेमाल कर रहे थे कि उसके साथी ही उपद्रव करने में शामिल थे.
पुलिस ने बताया ‘मिसअंडरस्टैंडिंग’
हजरतगंज पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए पत्रकार उमर राशिद ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के कहने पर उन्हें छोड़ा गया. राशिद के अनुसार बाद में हजरतगंज के पुलिस क्षेत्राधिकारी अभय मिश्रा आये और माफी मांगते हुए कहा कि कुछ गलतफहमी की वजह से पुलिस उन्हें ले आयी.
उमर की मदद करने पहुंचे एनडीटीवी के पत्रकार आलोक पांडे ने बताया कि उन्हें जैसे ही जानकारी मिली वे सुल्तानगंज पुलिस चौकी पहुंचे और वहां से डीजीपी ओपी सिंह को फोन किया. डीजीपी ने माफी मांगते हुए इसे ‘मिसअंडरस्टैंडिंग’ बताया.
दिप्रिंट ने इस मामले में यूपी पुलिस के अधिकारियों से बात करने की कोशिश लेकिन फिलहाल इस पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं.
यूपी में लगातार हो रहा उपद्रव
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यूपी में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. बीते गुरुवार लखनऊ में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी. शुक्रवार को भी हिंसा भड़क गई.पुलिस की तमाम सक्रियता के बाद लखनऊ तो शांत रहा लेकिन मेरठ, फीरोजाबाद, बहराइच, बलरामपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर बिजनौर, गोरखपुर, कानपुर तथा गोंडा में भीड़ ने माहौल खराब किया. अभी तक यूपी की हिंसा में करीब 15 लोगों की मौत हो गई है जबकि 400 से अधिक लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. भड़की हिंसा को नियंत्रण करने के लिए पुलिस ने इन लोगों पर नियंत्रण करने के लिए लाठीचार्ज किया.