नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के मौजूदा कार्यकाल में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ व्यवस्था लागू करने की तैयारी के बीच सरकार को सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रमुख घटक जनता दल (यूनाईटेड) का समर्थन मिला वहीं विपक्षी दलों ने इस कदम को अव्यावहारिक करार दिया और कहा कि यह सिर्फ स्थिति को भांपने के लिए छोड़ा गया शिगूफा है।
सूत्रों ने रविवार को कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राजग सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही ‘एक देश, एक चुनाव’ व्यवस्था लागू करेगी और उसे भरोसा है कि इस सुधार को सभी दलों का समर्थन मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर सूत्रों ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर एकजुटता शेष कार्यकाल में भी बनी रहेगी।
जनता दल (यूनाईटेड) ने सोमवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का समर्थन करते हुए कहा कि इससे नीतियों में निरंतरता बनी रहेगी तथा बार-बार चुनाव से होने वाली परेशानियों से भी बचा जा सकेगा।
जद (यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने एक वीडियो जारी कर कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ पर उनकी पार्टी और राजग की राय एक समान है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह मानते हैं कि इससे देश में नीतियों की निरंतरता जारी रहेगी। बार-बार होने वाले चुनाव से विकास की योजनाओं की गति अवरूद्ध होती है और अन्य परेशानियां भी आती हैं। इनसे निजात मिलेगी।’’
राजग के प्रमुख सहयोगी का यह बयान ऐसे समय आया है जब सरकार के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने रविवार को कहा कि भाजपा नीत मौजूदा सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही ‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मौजूदा संविधान के तहत यह संभव नहीं है तथा इसके लिए कम से कम पांच संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता है।
भाजपा नीत राजग सरकार द्वारा अपने मौजूदा कार्यकाल में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ को लागू किए जाने की खबरों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इन संवैधानिक संशोधनों को करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के पास न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा में पर्याप्त संख्या है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि कई विधानसभाएं हैं, जिन्हें भंग नहीं किया जा सकता है।
सुप्रिया ने कहा, ‘‘सरकार सूत्रों पर कब तब चलती रहेगी? सरकार के अधिकृत व्यक्ति इस बारे में बात क्यों नहीं करते? सरकार कोई मसौदा क्यों नहीं पेश करती? सरकार सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाती?’’
उन्होंने कहा कि असलियत यह है कि तमाम ऐसी विधानसभाएं हैं, जिन्हें आप भंग नहीं कर सकते हैं।
तृणमूल कांग्रेस ने सवाल किया कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के साथ महाराष्ट्र चुनावों की घोषणा क्यों नहीं की गई।
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लोकतंत्र विरोधी भाजपा का एक और हथकंडा है।’
उन्होंने कहा, ‘‘हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावों के साथ महाराष्ट्र चुनावों की घोषणा क्यों नहीं की गई?’’
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने भी कहा कि उनकी पार्टी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के पक्ष में नहीं है। वास्तव में मैं पूर्व राष्ट्रपति (रामनाथ कोविंद) से मिला जो समिति का नेतृत्व कर रहे थे।’’
राजा का कहना था कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है और यहां संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव होते रहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान लोकसभा, राज्य विधानसभा के कार्यकाल, निर्वाचित मुख्यमंत्रियों और राज्यों में सरकारों की शक्तियों को स्पष्ट करता है।’’
भाषा हक हक अविनाश
अविनाश
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