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गुरूवार, 1 मई, 2025
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सरकार ने ‘हैडलाइन’ तो दे दी लेकिन ‘डेडलाइन’ नहीं दी: कांग्रेस ने जातिगत गणना के फैसले पर कहा

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(शीर्षक, इंट्रो में आवश्यक बदलाव के साथ रिपीट)

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) कांग्रेस ने आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने के फैसले की घोषणा के बाद बृहस्पतिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘‘डेडलाइन बताये बिना हैडलाइन बनाने में माहिर हैं’’।

कांग्रेस ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग के मद्देनजर जाति आधारित गणना पर सरकार के फैसले को ‘‘ध्यान भटकाने का हथकंडा’’ बताया।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस फैसले को लेकर कई सवाल उठते हैं, खासकर सरकार की मंशा पर। उन्होंने पूछा कि जनगणना कराने की ‘‘समय सीमा क्यों नहीं बताई गई।’’

पार्टी के 24, अकबर रोड स्थित कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए रमेश ने कहा कि वह ‘‘डेडलाइन (समय सीमा) बताये बिना हैडलाइन (खबर का शीर्षक) बनाने में माहिर हैं’

रमेश ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा जाति आधारित गणना पर सहमति जताना उसकी ‘‘नैतिक और राजनीतिक हार’’ को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पहले दिन से ही जाति आधारित गणना के सख्त खिलाफ रहे हैं। यही कारण है कि कल राहुल गांधी ने कहा कि यह अचानक हुआ घटनाक्रम है।’’

रमेश ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने अपना सबसे बड़ा ‘यू-टर्न (रुख बदलना)’ ले लिया है, उन्होंने जीएसटी, आधार, मनरेगा, खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर ‘यू-टर्न’ लिया था और अब उन्होंने जाति आधारित गणना पर भी ‘यू-टर्न’ ले लिया है। अब हमें पता चला कि (बिहार के मुख्यमंत्री) नीतीश कुमार को ‘यू-टर्न’ लेने की आदत कहां से लगी, ‘यू-टर्न’ की जुगलबंदी है। ‘यू-टर्न’ लेने में प्रधानमंत्री जैसा कोई दूसरा नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि देश के सामने सबसे बड़ा मुद्दा पहलगाम हमला है।

रमेश ने कहा, ‘‘सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि हम आतंकवाद से कैसे निपटें और आतंकवादी हमले के षडयंत्रकर्ता को क्या जवाब दिया जाए। केवल यही मुद्दा है, बाकी सभी चीजें महत्वपूर्ण हैं और उनका समय आएगा लेकिन मुख्य मुद्दा यह है… आप पाकिस्तान को क्या जवाब देंगे, पीड़ित परिवारों को क्या न्याय देंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सोच रहा था कि मोहन भागवत (आरएसएस प्रमुख) की उनसे मुलाकात, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) और राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपीए) की बैठक का आयोजन पहलगाम हमले के संदर्भ में है। मैं इससे (जाति आधारित गणना के निर्णय से) पूरी तरह आश्चर्यचकित हूं। मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था कि वह ऐसा करेंगे और इसी के कारण मुझे संदेह है कि यह हैडलाइन में जगह बनाने के लिए है और ध्यान भटकाने का हथकंडा है।’’

आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने की मांग करते हुए रमेश ने पूछा कि मोदी सरकार को ऐसा करने से कौन रोक रहा है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस मांग करती है कि संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना तभी सार्थक होगी जब ऐसा किया जाएगा।

उन्होंने सरकार से अनुच्छेद 15(5) को लागू करने का भी आग्रह किया, जो निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण से संबंधित है।

रमेश ने दिसंबर 2019 की एक मंत्रिमंडल बैठक की प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8,254 करोड़ रुपये की लागत से 2021 में भारत की जनगणना कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

उन्होंने कहा कि उस प्रेस विज्ञप्ति में जाति आधारित गणना का कोई उल्लेख नहीं था।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि जनगणना नहीं हुई है और छह साल बीत चुके हैं। हैरानी की बात है कि सरकार ने कल इसकी घोषणा की।’’

रमेश ने सरकार से जातिगत जनगणना के लिए देश के सामने एक रूपरेखा प्रस्तुत करने का आग्रह किया।

उन्होंने दावा किया कि 2025-26 के बजट में जनगणना आयुक्त के कार्यालय को केवल 575 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘तो वे 575 करोड़ रुपये में किस तरह की जनगणना कराने की योजना बना रहे हैं? तो इरादा क्या है- क्या यह सिर्फ हैडलाइन देने के लिए है? उनका इरादा क्या है? इरादे पर कई सवाल उठते हैं।’’

रमेश ने कहा, ‘‘आपको 2021 में जनगणना करवानी चाहिए थी। वे कोविड महामारी का हवाला देते हैं, लेकिन 50 से ज्यादा देशों ने कोविड के दौरान जनगणना की। 2023, 2024 में महामारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने इसे नहीं कराया।’’

उन्होंने कहा कि जब पिछले साल प्रधानमंत्री टीवी चैनलों को साक्षात्कार दे रहे थे, तो उन्होंने जातिगत जनगणना की बात करने वालों को ‘शहरी नक्सली’ कहा था।

रमेश ने कहा, ‘‘वह कब से शहरी नक्सली बन गए? गृह मंत्री अमित शाह कब से शहरी नक्सली बन गए?’’

उनकी टिप्पणी केंद्र द्वारा यह घोषणा किए जाने के एक दिन बाद आई है कि जातिगत गणना अगली जनगणना का हिस्सा होगी, जिसमें आजादी के बाद पहली बार जाति विवरण शामिल किया जाएगा।

कांग्रेस नेता ने याद दिलाया कि 2011 में ग्रामीण और शहरी भारत में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत गणना की गई थी, जिसमें लगभग 25 करोड़ परिवारों से जानकारी एकत्र की गई थी।

रमेश ने कहा, ‘‘यह सच है कि इस सर्वेक्षण में जाति के बारे में जानकारी प्रकाशित नहीं की गई, क्योंकि इसमें कई खामियां पाई गई थीं। मैं खुद मंत्री था और मैंने राज्य सरकारों के साथ मिलकर यह पता लगाने की कोशिश की थी कि हम प्रत्येक राज्य में पाई गई कमियों को कैसे सुधार सकते हैं। लेकिन बाद में चुनाव आ गए, आचार संहिता लागू हो गई और हम जानकारी प्रकाशित नहीं कर सके।’’

उन्होंने इस बात को लेकर प्रसन्नता व्यक्त की कि उस सर्वेक्षण से प्राप्त सामाजिक और आर्थिक स्थिति की जानकारी का इस्तेमाल मोदी सरकार आज भी कर रही है।

भाषा

देवेंद्र माधव

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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