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Sunday, 17 November, 2024
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संविधान के सार की रक्षा की जानी चाहिए: गडकरी

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मुंबई, 17 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को संविधान के मूल तत्व की रक्षा के महत्व पर जोर दिया और पिछले संशोधनों के लिए कांग्रेस की आलोचना की।

अहिल्यानगर जिले के कर्जत जामखेड विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार राम शिंदे के समर्थन में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए गडकरी ने कांग्रेस पर आपातकाल के दौरान संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी को भी डॉ. आंबेडकर के संविधान को बदलने की अनुमति नहीं देंगे। संविधान का सार लोकतंत्र, समाजवाद, निष्पक्षता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों में निहित है। कोई भी इन विशेषताओं को कभी नहीं बदल सकता।’’

उन्होंने ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले का हवाला देते हुए बताया कि उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि संविधान की मुख्य विशेषताओं को बदला नहीं जा सकता है और इस सिद्धांत को हमेशा बरकरार रखा जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर आपातकाल के दौरान संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘जब इंदिरा गांधी के चुनाव को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अवैध घोषित कर दिया था, तो कांग्रेस ने आपातकाल लगाया और डॉ. आंबेडकर के संविधान को बदल दिया। बाद में, जब 1977 में जनता पार्टी सत्ता में आयी, तो उन्होंने सुधार किए, लेकिन कांग्रेस ने सत्ता में वापस आने के बाद उन बदलावों को उलट दिया। जिस पार्टी ने संविधान को बदला, वह अब झूठ फैला रही है।’’

भाजपा नेता गडकरी ने मुसलमानों के बीच भय फैलाने के लिए कांग्रेस की आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस मुसलमानों से कहती है कि भाजपा उन्हें नुकसान पहुंचाएगी, उन्हें पाकिस्तान भेज देगी और उन्हें सुरक्षा के लिए पार्टी पर भरोसा करना चाहिए। लेकिन हमारा पिछला रिकॉर्ड देखिए। उज्ज्वला योजना के तहत हमने 9.5 करोड़ लोगों को गैस सिलेंडर मुहैया कराए। आयुष्मान योजना के जरिये करोड़ों परिवारों को स्वास्थ्य सेवा मिली है। लाडकी बहन योजना के तहत माताओं और बहनों को मासिक वित्तीय सहायता मिलती है। क्या हमने कभी कहा कि इन योजनाओं में दलितों या मुसलमान शामिल नहीं हैं?’’

गडकरी ने मतदाताओं से विभाजनकारी राजनीति को खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘हमारी दृष्टि सभी के समर्थन, प्रयास, विश्वास और विकास पर आधारित है। हमें जातिवाद और सांप्रदायिकता की राजनीति पर भरोसा नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब हम किसी रेस्टोरेंट में जाते हैं, तो हम अपने पसंदीदा भोजन का चयन करते हैं, मालिक की जाति नहीं। इसी तरह, डॉक्टर का चयन करते समय हम उनके धर्म या जाति पर विचार नहीं करते बल्कि उनके कौशल पर विचार करते हैं। नेता का चयन करते समय भी यही तर्क लागू होना चाहिए।’’

भाषा अमित रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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