नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ द्रमुक सरकार की अपील पर छह अगस्त को सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें सरकार से कल्याणकारी योजनाओं में वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम और तस्वीर का उपयोग नहीं करने को कहा गया था।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलों पर गौर किया कि उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कल्याणकारी योजनाओं में मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम और तस्वीरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
रोहतगी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि कल्याणकारी योजनाओं में मुख्यमंत्री के नाम और तस्वीर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पीठ बुधवार को याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई।
मद्रास उच्च न्यायालय ने 31 जुलाई को तमिलनाडु सरकार को किसी भी नयी या पुनः पेश की गयी जन कल्याणकारी योजना का नाम जीवित व्यक्तियों के नाम पर रखने से रोक दिया।
अदालत ने ऐसी योजनाओं के प्रचार के विज्ञापनों में पूर्व मुख्यमंत्रियों, वैचारिक नेताओं या द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के किसी भी प्रतीक, चिह्न या झंडे के चित्रों के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी।
मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की खंडपीठ ने अन्नाद्रमुक सांसद सी. वी. षणमुगम द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था।
सांसद ने सरकार के जनसंपर्क कार्यक्रम ‘उंगलुदन स्टालिन’ (आपके साथ, स्टालिन) के नामकरण और प्रचार को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि यह स्थापित मानदंडों का उल्लंघन करता है।
हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया था कि आदेश राज्य को किसी भी कल्याणकारी योजना को शुरू करने, लागू करने या संचालित करने से नहीं रोकता है, लेकिन उसने कहा कि पाबंदियां केवल ऐसी योजनाओं से जुड़े नामकरण और प्रचार सामग्री पर लागू होती हैं।
भाषा गोला माधव
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