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न्यायालय महिला को पुलिस हिरासत में लिये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर करेगा सुनवाई

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नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक व्यक्ति की उस याचिका पर दो जून को सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की जिसमें उसने दावा किया है कि बांग्लादेश में गुप्त निर्वासन के व्यापक आरोपों के बीच उसकी मां को असम पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में रखा है।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर की पीठ ने याचिकाकर्ता युनूस अली का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता शोएब आलम की दलीलों पर गौर किया कि उनकी मां को राज्य पुलिस ने हिरासत में लिया है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि याचिका सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी।

अली (26) ने अपनी मां मोनोवारा बेवा की तत्काल रिहाई का अनुरोध किया, जिन्हें 24 मई को बयान दर्ज करने के बहाने धुबरी पुलिस थाने बुलाकर कथित तौर पर हिरासत में लिया गया था।

आलम ने असम में जारी उस प्रथा के बारे में भी गंभीर चिंता जताई जिसके तहत लोगों को हिरासत में लिया जाता है और रातों-रात बांग्लादेश निर्वासित कर दिया जाता है जबकि उनके कानूनी मामले लंबित रहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘महिला द्वारा 2017 में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की गई है। नोटिस जारी किए गए हैं और फिर भी लोगों को निर्वासित किया जा रहा है जबकि इस अदालत में सुनवाई अभी भी जारी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे कई वीडियो प्रसारित हो रहे हैं, जिनमें दिखाया गया है कि लोगों को रातों-रात पकड़कर सीमा पार भेज दिया गया।’’

बेवा 12 दिसंबर, 2019 से उस मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद जमानत पर थी, जिसमें असम के विदेशी हिरासत शिविरों में तीन साल से अधिक समय बिताने वाले बंदियों को सशर्त रिहाई की अनुमति दी गई थी।

याचिका के अनुसार, जब याचिकाकर्ता ने अगले दिन पुलिस थाने में जाकर अधिकारियों को बताया कि उनका मामला अभी भी उच्चतम न्यायालय में लंबित है तो उसे उसकी मां से मिलने नहीं दिया गया और उनकी रिहाई से भी इनकार कर दिया गया।

याचिका में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है, जिसने बेवा को विदेशी घोषित करने वाले विदेशी न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा था ।

याचिका में अधिकारियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि वे बेवा को धुबरी पुलिस थाने में ‘‘अवैध हिरासत’ से तुरंत रिहा करें।

इसमें हिरासत में लिए गए व्यक्ति को किसी भी भारतीय सीमा के पार निर्वासित करने या ‘‘वापस भेजने’’ पर रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

भाषा देवेंद्र नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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