नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह तब्लीगी जमात की गतिविधियों में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर 35 देशों के कई नागरिकों को भारत की यात्रा के लिए 10 साल तक ब्लैक लिस्ट में डालने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मार्च में सुनवाई करेगा. इससे पहले केंद्र ने कहा कि इन मामलों में एक अहम सवाल विचार के लिए उठता है.
जस्टिस ए. एम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक बहुत ही महत्वपूर्ण ‘संवैधानिक प्रश्न’ विचार के लिए सामने आता है जो वीजा प्रतिबंधों के संबंध में किसी विदेशी के अधिकारों से संबंधित है.
मेहता ने कहा कि अदालत को इस मुद्दे पर विचार करते समय चार कानूनों – पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, विदेशी अधिनियम, विदेशी नागरिक पंजीकरण अधिनियम और नागरिकता अधिनियम पर गौर करना पड़ सकता है.
बेंच ने कहा, ‘जहां तक मुख्य विषय का संबंध है, छोटा और जरूरी सवाल भी शामिल हैं जिसे जल्दी निपटाने की जरूरत है, हम मुख्य मामलों को मार्च के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हैं.’
सुप्रीम कोर्ट ने 24 वर्षीय एक मलेशियाई नागरिक की याचिका पर भी गौर किया जिसने इसके निपटारे का निर्देश देने का अनुरोध किया है. उसके खिलाफ बिहार में एक आपराधिक मामला दर्ज है और उसे रद्द करने के अनुरोध वाली एक याचिका पटना उच्च न्यायालय में लंबित है.
आवेदक की ओर से पेश अधिवक्ता शोएब आलम ने बेंच से कहा कि पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में मामले को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिकाओं के जल्द निपटारे का निर्देश दिया था.
आलम ने कहा कि केंद्र ने आवेदक की याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए हाई कोर्ट से बार-बार समय दिए जाने का अनुरोध किया है.
बेंच ने कहा कि इस संबंध में पिछले आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जताई गई उम्मीद के बावजूद, आवेदन में की गई शिकायत हाई कोर्ट के समक्ष लंबित रिट याचिका पर सुनवाई में ‘कोई प्रगति नहीं’ तक सीमित है.
बेंच ने कहा कि इस आदेश के संदर्भ में कोई टिप्पणी करने की बजाए हम इस छूट के साथ आवेदन का निस्तारण करना उचित समझते हैं कि आवेदनकर्ता को लंबित याचिका के जल्द निपटारे के लिए पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का ध्यान आकर्षित कर सकता है.
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