उदयपुर, एक सितंबर (भाषा) उदयपुर की एक अदालत ने अपनी पत्नी को जलाकर मारने के दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी के जुर्म की घोर निंदा करते हुए इसे जघन्य अपराध करार दिया।
आरोपी पर आरोप था कि उसने पत्नी के सांवले रंग व ‘मोटापे’ के चलते उसके शरीर पर ज्वनशील पदार्थ डाला और उसे आग लगा दी।
यह हृदयविदारक घटना 24 जून 2017 को नवानिया गांव में हुई। आठ साल की कानूनी लड़ाई के बाद मावली (उदयपुर) के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने शनिवार को फैसला सुनाया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी किशनलाल को अपनी पत्नी लक्ष्मी के रूप-रंग से गहरी नफरत थी। अपराध वाली रात उसने अपनी पत्नी को कपड़े उतारकर पूरे शरीर पर एक ज्वलनशील रसायन लगाने को कहा और उसे विश्वास दिलाया कि वह इससे गोरी हो जाएगी।
अदालत के अनुसार लक्ष्मी को रसायन की अजीब गंध के कारण संदेह हो गया लेकिन फिर भी उसने अपने पति पर भरोसा करके पूरे शरीर पर इसे लगा लिया।
इसके बाद किशनलाल ने एक अगरबत्ती जलाई और उसे पत्नी के पेट के पास ले गया जिससे शरीर पर लगे ज्वलनशील तरल पदार्थ ने आग पकड़ ली।
गंभीर रूप से जल चुकी लक्ष्मी मदद के लिए चिल्लाई और भागने लगी, लेकिन आरोपी ने पहले ही साजिश के तहत कमरा अंदर से बंद कर दिया था इसलिए वह बाहर नहीं जा पाई।
इसके बाद ससुराल वाले उसे अस्पताल ले गए जहां कुछ दिन बाद लक्ष्मी की मौत हो गई।
अपने आदेश में अदालत ने किशनलाल के कृत्य को ‘दुर्लभ’ मामला बताते हुए इसकी निंदा की।
अदालत ने कहा कि आरोपी किशनलाल का यह कृतय समाज के सामूहिक अंतःकरण को झकझोरता है।
सरकारी अभियोजक दिनेश पालीवाल ने कहा कि उन्होंने 14 गवाह और 36 दस्तावेज पेश करके साबित किया कि किशनलाल बार-बार लक्ष्मी को ‘मोटी व काली’ कहकर ताने मारता था और इसके चलते ही उसने यह अपराध कृत्य किया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि लक्ष्मी का मृत्यु पूर्व बयान महत्वपूर्ण साक्ष्य है जिससे पुष्टि होती है कि पति उसके रंग रूप व शारीरिक बनावट के लिए उसे ताने मारता था और उसे खुद के लिए योग्य नहीं बताता था।
लक्ष्मी द्वारा दिए गए मृत्यु पूर्व बयान ने उसके साथ हुए उत्पीड़न की पुष्टि की। अपने बयान में लक्ष्मी ने बताया कि कैसे किशनलाल ने उसे कमरे में बंद कर दिया, उसके रंग-रूप का मजाक उड़ाया और अंततः उसे जिंदा जलाने की अपनी साजिश को अंजाम दिया।
भाषा स. पृथ्वी
संतोष
संतोष
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