नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने 2008 के मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा की अपने परिजनों से बात करने के अनुरोध संबंधी याचिका खारिज कर दी।
विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने कहा, ‘‘अनुमति नहीं है।’’
राणा ने अपने वकील के माध्यम से याचिका दायर की और कहा कि अपने परिजनों से बात करना उसका मौलिक अधिकार है तथा उन्हें उसके सुख-दुख के बारे में चिंतित होना चाहिए।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इस अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि अगर उसे अपने परिजनों से बात करने की अनुमति दी जाएगी तो वह महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर सकता है।
आतंकवाद-रोधी एजेंसी ने कहा कि जांच महत्वपूर्ण चरण में है।
अदालत ने 10 अप्रैल को पाकिस्तानी मूल के 64-वर्षीय कनाडाई व्यवसायी को 18 दिन की हिरासत में भेज दिया था।
एनआईए ने आरोप लगाया कि आपराधिक साजिश के एक हिस्से के रूप में आरोपी डेविड कोलमैन हेडली ने भारत आने से पहले राणा के साथ पूरे ऑपरेशन पर चर्चा की थी।
एनआईए ने राणा की हिरासत की मांग करते हुए अदालत को बताया कि संभावित चुनौतियों की आशंका को देखते हुए हेडली ने राणा को अपने सामान और संपत्तियों का ब्योरा देते हुए एक ई-मेल भेजा था।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि हेडली ने राणा को इस साजिश में पाकिस्तानी नागरिकों- इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान की संलिप्तता के बारे में भी बताया था। ये दोनों भी इस मामले में आरोपी हैं।
मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के करीबी सहयोगी राणा को चार अप्रैल को अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज करने के बाद भारत लाया गया था।
छब्बीस नवंबर, 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के एक समूह ने अरब सागर में समुद्री मार्ग का उपयोग करके भारत की वित्तीय राजधानी में घुसने के बाद एक रेलवे स्टेशन, दो लक्जरी होटलों और एक यहूदी केंद्र पर समन्वित हमला किया।
लगभग 60 घंटे तक चले हमले में 166 लोग मारे गए थे।
भाषा सुरेश माधव
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