नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एनआरआई कोटा का दायरा बढ़ाने के फैसले को खारिज करने के पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दाखिल पंजाब सरकार की अपील मंगलवार को खारिज कर दी। राज्य सरकार ने राज्य के चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए ‘एनआरआई कोटा’ के लाभार्थियों की परिभाषा को विस्तृत कर दिया था।
शीर्ष न्यायालय ने पंजाब सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा, ‘‘यह धोखाधड़ी अब बंद होनी चाहिए।’’
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 10 सितंबर को आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के 20 अगस्त के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसमें अनिवासी भारतीय (एनआरआई) कोटा के तहत लाभ लेने के लिए दायरे को बढ़ाकर उनके दूर के रिश्तेदारों ‘जैसे चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई’’ को भी इसमें शामिल किया था। एनआरआई कोटा के तहत 15 प्रतिशत का आरक्षण चिकित्सा महाविद्यालय में प्रवेश के लिए निर्धारित किया गया है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘यह और कुछ नहीं बल्कि पैसा कमाने की मशीन है।’’
पीठ ने कहा,‘‘हम सभी याचिकाएं खारिज कर देंगे। यह एनआरआई व्यवसाय एक धोखाधड़ी के अलावा और कुछ नहीं है। हम यह सब खत्म कर देंगे… अब तथाकथित नजीरों को कानून की प्रधानता स्थापित करने देना चाहिए।’’
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को ‘बिल्कुल सही’ बताते हुए कहा, ‘‘हानिकारक परिणामों को देखें… जिन उम्मीदवारों के अंक तीन गुना अधिक हैं, वे (एनईईटी-यूजी पाठ्यक्रमों में) प्रवेश नहीं ले पाएंगे।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि विदेश में बसे ‘मामा, ताई, ताया’ के दूर के रिश्तेदारों को मेधावी उम्मीदवारों से पहले प्रवेश मिल जाएगा और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
भाषा धीरज मनीषा
मनीषा
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