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Wednesday, 12 November, 2025
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केंद्र ने वन एवं वन्यजीवों के लिए जोखिम का हवाला देते हुए उप्र में बिजली परियोजना की मंजूरी टाली

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नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) केंद्र ने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 17,000 करोड़ रुपये की पंप स्टोरेज परियोजना के लिए 616 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैले घने जंगल को काटने के प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी टाल दी है।

विशेषज्ञों ने चेताया है कि इससे समृद्ध वन पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो जाएगा, दो लाख से अधिक पेड़ काटने पड़ेंगे और वन्यजीवों के आवासों को खतरा होगा।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति ने कहा कि किसी भी मंजूरी पर विचार करने से पहले एक उप-समिति परियोजना के संभावित प्रभाव का समग्र मूल्यांकन करने के लिए स्थल का दौरा करेगी। इस समिति की बैठक 26 सितंबर को हुई थी।

समिति ने राज्य सरकार से विस्तृत संभागवार भूमि आंकड़े, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और केंद्रीय जल आयोग से अनुमोदन की स्थिति और स्वीकृत जलग्रहण क्षेत्र एवं वन्यजीव प्रबंधन योजनायें प्रस्तुत करने को कहा है।

ग्रीनको एनर्जीज़ प्राइवेट लिमिटेड की परियोजना में सोनभद्र वन प्रभाग के पटना रेंज और ओबरा वन प्रभाग के तरिया रेंज में 616 हेक्टेयर वन भूमि पर दो जलाशय बनाने के लिए 2.08 लाख से अधिक पेड़ों की कटाई का प्रस्ताव है।

यह स्थल कैमूर वन्यजीव अभयारण्य के निकट है, जो उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।

लखनऊ स्थित पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय की एक क्षेत्रीय रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि लगभग 400 हेक्टेयर और 200 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले दो बड़े जलाशयों के निर्माण से मौजूदा वन पारिस्थितिकी तंत्र जलमग्न हो जाएगा और वनस्पतियों, जीवों एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को भारी नुकसान होगा।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि प्रस्तावित क्षेत्र लगभग 600 हेक्टेयर क्षेत्र में भूजल पुनर्भरण को अवरुद्ध करेगा और सूखे महीनों के दौरान भूजल एवं नदी के प्रवाह पर निर्भर वन्यजीवों तथा स्थानीय समुदायों, दोनों को प्रभावित करेगा।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में 17,180 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत में से जल और वन्यजीव संरक्षण के लिए निर्धारित कम बजट (क्रमशः केवल 1.45 करोड़ रुपये और 1.55 करोड़ रुपये) पर सवाल उठाया गया है।

इसमें चेतावनी दी गई है कि इतनी सीमित धनराशि पारिस्थितिक क्षति की भरपाई और प्रस्तावित भारी वनों की कटाई की भरपाई के लिए अपर्याप्त होगी।

राज्य सरकार ने समिति को सूचित किया कि 30 हेक्टेयर मौजूदा वृक्षारोपण प्रभावित होगा और उपयोगकर्ता एजेंसी नियमित प्रतिपूरक वनरोपण के अतिरिक्त 620 हेक्टेयर अवक्रमित वन भूमि पर वनरोपण के लिए धन उपलब्ध कराने पर सहमत हो गई है।

इसने दीर्घकालिक पुनर्स्थापन, निगरानी और आजीविका से जुड़े संरक्षण प्रयासों के वित्तपोषण के लिये परियोजना लागत के 0.5 प्रतिशत के बराबर एक अनिश्चितकाल वाली निधि के साथ एक ‘वन एवं भूदृश्य पुनर्स्थापन ट्रस्ट’ की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा।

अधिकारियों ने बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान ने परियोजना क्षेत्र के लिए एक वन्यजीव संरक्षण योजना तैयार की है, जहां अनुसूची-एक की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इस योजना को उत्तर प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से अंतिम अनुमोदन की प्रतीक्षा है।

राज्य सरकार को बांध टूटने और जलप्लावन जैसे जोखिमों को शामिल करते हुए एक आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया गया है, जिसमें वन्यजीव बचाव एवं आवास संरक्षण के लिए विशिष्ट प्रावधान शामिल हों।

समिति ने कहा कि ओबरा एवं सोनभद्र प्रभागों के बीच वन सीमाओं का अतिव्यापी होना, व्यपवर्तन प्रस्ताव को जटिल बनाता है।

इसने राज्य से 27.61 हेक्टेयर भूमि की कानूनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा, जो वन क्षेत्र की सीमा के भीतर आती प्रतीत होती है और एक अद्यतन स्थल निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

स्थल की पारिस्थितिक संवेदनशीलता और वनों की कटाई के पैमाने को देखते हुए, समिति ने कहा कि जब तक व्यापक क्षेत्र मूल्यांकन पूरा नहीं हो जाता और सभी पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय और कानूनी स्पष्टीकरण लागू नहीं हो जाते, तब तक कोई मंजूरी नहीं दी जा सकती।

भाषा रंजन धीरज

धीरज

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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