बेंगलुरु, एक मई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जाति जनगणना कराने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने कांग्रेस खासकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष द्वारा बनाए गए दबाव के कारण भी यह फैसला लिया है।
सिद्धरमैया ने संवाददाता में कहा, “भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बुधवार को जिस जल्दबाजी में जाति जनगणना के बारे में फैसला लिया, उससे मुझे विश्वास हो गया कि यह बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर किया गया है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा में ढील दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि एससी/एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों की सामाजिक-आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति का विश्लेषण किया जाना चाहिए और उसके अनुसार उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए।
सिद्धरमैया के अनुसार, 50 प्रतिशत की सीमा तय करने का फैसला 1992 में इंद्रा साहनी मामले में दिया गया था। उन्होंने कहा कि मंडल आयोग के बारे में सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ ने आरक्षण पर सीमा तय की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आरक्षण की अधिकतम सीमा तय करने के पीछे कोई वैज्ञानिक या संवैधानिक कारण नहीं थे, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत की तय कर दी।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आरक्षण की अधिकतम सीमा में संशोधन नहीं कर सकती क्योंकि यह केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आता है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केवल केंद्र सरकार को सिफारिश कर सकती है।
कर्नाटक सरकार द्वारा तैयार की गई जाति जनगणना रिपोर्ट के भाग्य के बारे में पूछे जाने पर सिद्धरमैया ने कहा, ‘जाति जनगणना के अलावा रिपोर्ट के शेष भाग, जैसे सामाजिक व शैक्षिक सर्वेक्षण की सिफारिशें लागू की जाएंगी।
जाति जनगणना रिपोर्ट राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत की गई थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या केन्द्र की जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट आने के बाद भी वह सामाजिक एवं शैक्षणिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को लागू करेंगे, तो मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा तैयार की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट अब भी सरकार में चर्चा के स्तर पर है।
उन्होंने कहा, “हम इस पर कैबिनेट में चर्चा करेंगे और अपने मंत्रियों की राय लेंगे। सबसे अधिक संभावना है कि कैबिनेट की बैठक नौ मई को बुलाई जाएगी।’
भाषा जोहेब माधव
माधव
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