नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) थलसेना 100 के-9 वज्र हॉवित्जर तोप, ड्रोन, गोला-बारूद और निगरानी प्रणाली खरीदकर चीन से लगी सीमा पर अपनी तोपखाना इकाइयों की लड़ाकू क्षमता में वृद्धि कर रही है।
सेना में तोपखाना मामलों के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए तोपखाना इकाइयों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न आधुनिक प्लेटफॉर्म और उपकरण खरीदे जा रहे हैं।
उन्होंने 28 सितंबर को आर्टिलरी रेजिमेंट की 198वीं वर्षगांठ से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज, हम इतनी तेजी से आधुनिकीकरण कर रहे हैं, जितना पहले कभी नहीं किया गया और वह भी निर्धारित समय-सीमा के अंदर।’’
कुमार ने कहा कि हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से भी विकास कार्य प्रगति पर है।
हाइपरसोनिक मिसाइल पांच मैक की गति या ध्वनि की गति से पांच गुना से अधिक गति से उड़ सकती हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तरी सीमाओं पर के-9 वज्र, धनुष और सारंग सहित कई 155 मिमी तोपखाना प्रणाली तैनात की गई हैं।
सेना पहले ही 100 के-9 वज्र तोप प्रणाली तैनात कर चुकी है। यह 100 के-9एस की एक और खेप खरीदने की प्रक्रिया में है।
के-9 वज्र मूल रूप से रेगिस्तान में तैनाती के लिए खरीदी गई थीं, लेकिन पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद सेना ने इस ऊंचाई वाले क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में हॉवित्जर तोपों को तैनात कर दिया है।
भाषा
नेत्रपाल दिलीप
दिलीप
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