नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक के मेंगलुरु में एक शिक्षण संस्थान के परिसर के स्थानांतरण के कारण 250 छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होने की संभावना के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत हासिल शक्तियों का इस्तेमाल किया।
अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत को उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में “पूर्ण न्याय” सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश या नियम पारित करने का अधिकार देता है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मंगलुरु में एक संपत्ति से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान अनुच्छेद 142 में प्रदत्त शक्ति का इस्तेमाल किया। इस संपत्ति से एक होटल प्रबंधन संस्थान का संचालन किया जा रहा है।
पीठ ने कहा, “एक ओर जहां याचिकाकर्ता को वर्तमान परिसर खाली करना है, वहीं दूसरी ओर वह परिसर जहां वह अपना संस्थान स्थानांतरित करना चाहता है, तैयार नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता को अपना संस्थान किसी अस्थायी स्थान पर स्थानांतरित करना होगा।”
उसने कहा, “हम पाते हैं कि यह एक उचित मामला है, जिसमें इस न्यायालय को न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम उक्त शक्ति का इस्तेमाल करने में विफल रहते हैं, तो लगभग 250 छात्रों का करियर खतरे में पड़ जाएगा।”
संपत्ति के मालिक और संस्थान के बीच हुए समझौते के तहत संस्थान को 30 अप्रैल 2025 तक या उससे पहले उक्त संपत्ति खाली करनी है।
भाषा पारुल पवनेश
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