बेंगलुरू: उस रिपोर्ट के दाख़िल करने के कुछ ही दिन के भीतर, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक के जबरन धर्म परिवर्तन के दावों की हवा निकाल दी गई थी, कर्नाटक में एक तहसीलदार का तबादला कर दिया गया है.
होसादुर्गा तहसीलदार वाई थिप्पेस्वामी ने 1 दिसंबर को एक रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि चित्रदुर्ग ज़िले के इस क़स्बे में, जबरन धर्म परिवर्तन की कोई घटना नहीं हुई थी. इस रिपोर्ट ने बीजेपी विधायक गूलीहट्टी शेखर के आरोपों का खंडन किया कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), और अन्य पिछड़े वर्ग (एबीसी) समुदायों के लोगों को, धर्म बदलकर जबरन ईसाई बनाया गया था.
अब, तहसीलदार का तबादला कर दिया गया है, जिसे सरकार ने एक ‘नियमित तबादला’ बताया है.
चित्रदुर्ग की उपायुक्त कविता एस मन्निकेरी ने शुक्रवार को दिप्रिंट से कहा, ‘उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है. वो दो साल से इस जगह पर तैनात थे. तबादले का धर्म परिवर्तन पर उनकी रिपोर्ट से कोई संबंध नहीं है’.
तहसीलदार ऑफिस के सूत्रों ने बताया कि पिछले दो हफ्ते से ख़राब चल रही वाई थिप्पेस्वामी की तबीयत को, उनके तबादले का कारण बताया जा रहा है. अधिकारी को अभी तक कोई वैकल्पिक तैनाती नहीं दी गई है.
जहां ज़िला प्रशासन ने उनके निष्कर्षों का समर्थन किया है, वहीं विधायक ने रिपोर्ट को ‘सरासर झूठ’ क़रार दिया है.
इस बीच, कर्नाटक सरकार विवादास्पद धर्मांतरण-विरोधी बिल को पेश करने को तैयार है, जिसके लिए वो अन्य के अलावा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पूर्वता का हवाला दे रही है.
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जांच रिपोर्ट
बीजेपी विधायक गूलीहट्टी शेखर ने सितंबर में उस वक़्त एक बखेड़ा खड़ा कर दिया, जब उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी मां को, प्रलोभन देकर ईसाई धर्म में शामिल कर लिया गया था. उन्होंने ये भी कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के हज़ारों लोगों को ईसाई मिशनरियों द्वारा फुसलाया जा रहा है.
शेखर ने राज्य की तमाम मिशनरियों तथा चर्चों के सर्वे का भी आदेश दे दिया. उनके आरोप के बाद कर्नाटक में धर्मांतरण-विरोधी बिल की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली. उन्होंने पहले दिप्रिंट को बताया कि उनकी मां अक्टूबर में हिंदू धर्म में वापस आ गईं थीं, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उनके समुदाय से हज़ारों लोगों को अभी भी फुसलाया जा रहा है.
आरोपों के बाद चित्रदुर्ग की उपायुक्त ने शेखर के गृह क्षेत्र होसादुर्गा में, जबरन धर्मांतर की घटनाओं की जांच का आदेश दे दिया. रिपोर्ट ने विधायक के दावों की हवा निकाल दी.
दो पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया, ‘हर शुक्रवार और रविवार को होसादुर्गा के पांच चर्चों और प्रार्थना कक्षों में, प्रार्थना सभाएं आयोजित होती हैं. उनमें शरीक होने वाले लोग अपनी मर्ज़ी और इच्छा से वहां आते हैं, लालच या प्रलोभन की वजह से नहीं. उन्हें सरकार से कोई लाभ नहीं मिल रहा है’. दिप्रिंट ने रिपोर्ट की एक प्रतिलिपि देखी है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि धर्म बदलकर ईसाई बनने वाले सभी परिवारों ने, किसी प्रलोभन या ज़बर्दस्ती के दावों से इनकार किया है. मन्निकेरी ने बृहस्पतिवार को दिप्रिंट से कहा, ‘कोई जबरन धर्मांतरण नहीं किए गए हैं, जैसा कि दावा किया गया था. हमने पूरी तरह से जांच कर ली है’.
BJP विधायक ने कहा रिपोर्ट के निष्कर्ष झूठे
लेकिन, जबरन धर्मांतरण को आरोपों का खंडन करने वाली रिपोर्ट से शेखर के रुख़ में कोई बदलाव नहीं आया है.
गूलीहट्टी शेखर ने शुक्रवार को दिप्रिंट से कहा, ‘बेशक उन्हें सिखाया पढ़ाया गया है, ये कहने के लिए कि उनके साथ ज़बर्दस्ती नहीं की गई है. ये मिशनरीज़ भावनात्मक और आर्थिक निराशा के समय उन्हें फुसलाती हैं’.
शेखर ने कहा, ‘रिपोर्ट की एक लाइन में ये भी कहा गया है कि जिन लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है, उनके घरों में हिंदू देवी-देवताओं के कोई फोटो नहीं थे’.
ये पूछे जाने पर कि फिर सरकार कैसे तय करेगी कि कोई प्रलोभन या लालच दिया गया था, शेखर ने कहा: ‘ये सब ख़त्म हो जाएगा अगर हम उन्हें मिलने वाले लाभ बंद कर दें. अगर परिवार से कोई एक व्यक्ति धर्म बदलता है, तो उसके पिता, भाई या कज़िन भाई को, पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की अनुमति होनी चाहिए’.
बीजेपी विधायक ने इस संभावना से इनकार किया कि ऐसा करना किसी व्यक्ति के धर्म के अधिकार का उल्लंघन होगा.
धर्मांतरण- विरोधी बिल को मंज़ूरी देगी कैबिनेट
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई विवादास्पद धर्मांतरण-विरोधी बिल को प्रदेश कैबिनेट के सामने रखने को तैयार हैं. 20 दिसंबर को एक कैबिनेट बैठक बुलाई गई है, जहां बिल के मसौदे को मंज़ूरी के लिए प्रस्तावित किया जाएगा.
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने दिप्रिंट से पुष्ट किया कि राज्य सरकार के विधि विभाग द्वारा तैयार किया गया मसौदा बिल, मंज़ूरी के लिए कैबिनेट के सामने रखा जाएगा. स्वीकृति मिल जाने के बाद बिल को अगले सप्ताह, विधान सभा के पटल पर रखा जाएगा.
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस प्रस्तावित धर्मांतरण-विरोधी बिल को ख़ारिज करने में मुखर रही है और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार तथा कांग्रेस विधायक दल के प्रमुख और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने बिल को अल्पसंख्यकों को परेशान करने का एक औज़ार क़रार दिया है.
इस हफ्ते दिप्रिंट के साथ एक इंटरव्यू में बोम्मई ने कहा कि धर्मांतरण-विरोधी बिल से जुड़ी शंकाएं ‘अनुचित’ हैं और सरकार का एकमात्र लक्ष्य ज़बर्दस्ती या मजबूरी में कराए गए धर्म परिवर्तनों को रोकना है.
बोम्मई ने कहा, ‘ये केवल कर्नाटक सरकार नहीं है, जो ऐसे क़ानून लाने की कोशिश कर रही है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और गुजरात जैसे अन्य राज्यों ने पहले ही, जबरन धर्म परिवर्तनों को प्रतिबंधित करने के लिए क़ानून बना लिए हैं. हमने इस क़ानून को लाने पर तब विचार किया जब जबरन धर्मांतरण के कई मामले हमारे सामने आए थे’.
ये देखते हुए कि कर्नाटक ने अपने हिसाब से धर्मांतरण-विरोधी बिल का मसौदा तैयार करने के लिए कई राज्यों के क़ानूनों का अध्ययन किया है, बीजेपी सूत्रों का सुझाव है कि संभावित क़ानून अन्य बातों के अलावा अंतर-धार्मिक विवाह, आरक्षण के फायदों के विनियामन और धर्म परिवर्तन की अधिकारिक सूचना अवधि आदि मुद्दों से भी निपटेगा.
राज्य में धर्म परिवर्तनों को रोकने के लिए बिल पेश करने का प्रस्ताव ऐसे समय पर आया है, जब कर्नाटक में ईसाइयों पर लगातार हमलों की घटनाएं देखी जा रही हैं और हिंदुत्व संगठन अवैध धर्म परिवर्तनों का आरोप लगा रहे हैं. कर्नाटक के ईसाई समुदाय ने आरोप लगाया है कि सरकार के बिल का प्रस्ताव लाने के बाद से समुदाय पर हमलों की घटनाएं बढ़ गईं हैं.
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