नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में बंद इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) का आतंकी और आईईडी विशेषज्ञ तहसीन अख्तर एक बार फिर सुर्खियों में है.
जेल नंबर 8 में अख्तर की बैरक से एक मोबाइल हैंडसेट जब्त किया गया है, जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के बाहर 20 जिलेटिन छड़ों से भरी एसयूवी पार्क करने और 29 जनवरी को इजरायली दूतावास पर धमाकों की जिम्मेदारी लेने वाले टेलीग्राम संदेश भेजने के लिए किया गया था. ये संदेश कथित तौर पर एक छोटे से संगठन जैश-उल-हिंद की तरफ से भेजे गए थे.
तिहाड़ की जेल नंबर 8 में रखे गए कैदियों में इंडियन मुजाहिदीन और अलकायदा के सदस्य शामिल हैं, जिन्हें आतंकवाद से जुड़े मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है.
पुलिस के अनुसार, जैश-उल-हिंद तिहाड़ जेल के अंदर बनाया गया था.
कौन हैं तहसीन अख्तर?
अख्तर उर्फ मोनू को 2010 के बाद देश को हिलाकर रख देने वाले कई बम धमाकों में कथित तौर पर शामिल रहने के लिए जाना जाता है.
उसे 2016 में हैदराबाद में 2013 के दोहरे बम धमाकों के मामले में दोषी पाया गया था जिसमें कम से कम 13 लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हो गए थे. आईईडी का इस्तेमाल करके यह हमला हैदराबाद के व्यस्ततम व्यावसायिक इलाकों में शामिल सुखनगर के एक साइकिल स्टैंड पर किया गया था.
मार्च 2014 में 24 वर्षीय अख्तर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में स्थित नक्सलबाड़ी से गिरफ्तार किया था. पुलिस के मुताबिक अख्तर को नक्सलबाड़ी में भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित पानीटंकी इलाके में छिपा पाया गया था.
उनकी गिरफ्तारी की जानकारी राजस्थान से शीर्ष आईएम सदस्य और पाकिस्तानी आतंकी जिया-उर-रहमान उर्फ वकास की गिरफ्तारी के तीन दिन बाद सामने आई थी, और सुरक्षा एजेंसियों ने इसे संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना था.
पुलिस के अनुसार, अगस्त 2013 में भारत-नेपाल सीमा से इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक मोहम्मद जरार सिद्दीबप्पा उर्फ यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद अख्तर इंडियन मुजाहिदीन का ऑपरेशनल चीफ बन गया था.
बताया जाता है कि भटकल ने 29 अगस्त 2013 को अपनी गिरफ्तारी के समय जांच अधिकारियों को बताया था कि अख्तर आईएम का भारत प्रमुख है और कराची में बैठकर संगठन की चला रहे रियाज भटकल से सीधे बातचीत करता है. वह कथित तौर पर देशभर में मॉड्यूल को संभाला था. एनआईए ने बाद में अख्तर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था.
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इंजीनियरिंग छात्र से ‘बम विशेषज्ञ’ बना
अख्तर ने सीबीएसई बोर्ड की 12वीं कक्षा की परीक्षा में 48 फीसदी अंक हासिल किए थे, जिसके बाद उसने बिहार के दरभंगा में मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के लिए दाखिला लिया.
पूछताछ से मिली जानकारी के मुताबिक अख्तर की 2009 में दरभंगा के अल-हीरा पब्लिक स्कूल के पास स्थित एक लाइब्रेरी में आईएम के ही एक अन्य सदस्य गयूर जमाली से मुलाकात हुई जहां इन लोगों ने कुरान में उल्लिखित ‘जिहाद’ को लेकर कुछ अलग ही व्याख्याओं पर बात की.
अख्तर को फरवरी-मार्च 2010 में जमाली ने ही यासीन भटकल से पहली बार मिलवाया. अख्तर ने दरभंगा के जंगल में एक गोपनीय ठिकाने पर आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) तैयार करने के तमाम तरीकों पर प्रयोग किया और इसमें नाइट्रिक एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड, एचू2ओ2, पोटेशियम परमैंगनेट आदि रसायनों का इस्तेमाल किया जाता था.
‘टेक सैवी बम विशेषज्ञ’ के रूप में कुख्यात अख्तर को ही 27 अक्टूबर 2013 को नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान पटना को दहलाकर रख देने वाले सीरियल धमाकों का कथित मास्टरमाइंड माना जाता है. इन धमाकों में पांच लोग मारे गए थे और 83 से अधिक घायल हो गए थे.
2010 में वाराणसी के शीतला घाट पर बम विस्फोट, 2010 में जामा मस्जिद के बाहर कुकर बम धमाके, 2011 में मुंबई में सिलसिलेवार धमाकों और 2012 के पुणे विस्फोटों में भी उसे कथित तौर पर शामिल माना जाता है.
2016 में एक विशेष एनआईए अदालत ने अख्तर को 2013 के हैदराबाद विस्फोट मामले में कथित संलिप्तता के लिए यासीन भटकल, आईएम के गुर्गे असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी, जिया-उर-रहमान और एजाज शेख आदि के साथ दोषी ठहराया था.
शीर्ष पर पहुंचना चाहता था
अख्तर बिहार के समस्तीपुर का रहने वाला है और उसे 2011-2012 के आसपास आईएम के दरभंगा मॉड्यूल में शामिल किया गया था.
पुलिस के अनुसार अख्तर ने बहुत जल्द ही भटकल बंधुओं रियाज और यासीन का भरोसा हासिल कर लिया और शीर्ष पर पहुंचने का रास्ता बनाया. फिर यासीन की गिरफ्तारी के बाद उसने कथित तौर पर भारत के सारे मॉड्यूल की जिम्मेदारी संभाल ली.
2010 में अख्तर को पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों वकास और असदुल्ला अख्तर को सही सलामत उनके ठिकाने तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई, जो काठमांडू के रास्ते भारत में घुसे थे.
कहा जाता है कि युवा अख्तर काफी उत्सुक, प्रभावशाली और बहुत ही लगनशील था और यासीन का संरक्षण मिलने पर उसने बहुत जल्द ही आईईडी बनाना सीख लिया.
वह कथित तौर पर आईएम में युवाओं को शामिल करने और सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) जैसे संगठनों का सहारा लेने की जिम्मेदारी संभाल रहा था.
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यह एक अतानवादी है।।कोई स्टूडेंट नहीं ।।।गुप्ता जी इतना दम तो रखो की atankvadi को अतनवादी बोल Sako।।