नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) से कहा है कि वह हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी के शाहदरा में अपनी संपत्तियों को न तो किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित करे, न इसपर कोई अधिकार प्रदान करे।
न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने समिति से यह आश्वासन भी मांगा कि वह संपत्तियों को किराये पर या किसी लाइसेंस के तहत नहीं देगी।
अदालत ने यह आदेश गुरु हरकृष्ण पब्लिक स्कूल (जीएचपीएस) सोसाइटी द्वारा संचालित स्कूलों के शिक्षकों को अन्य भत्ते और सेवानिवृत्ति लाभों के अलावा छठे और सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के अनुसार बकाया भुगतान करने में डीएसजीएमसी की विफलता पर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
उच्च न्यायालय ने पहले माना था कि डीएसजीएमसी द्वारा आदेश की जानबूझकर अवहेलना की गई थी।
अदालत ने दो मई को कहा, ‘‘तदनुसार, डीएसजीएमसी द्वारा सचिव के माध्यम से तथा जीएचपीएस (एनडी) सोसाइटी द्वारा अपने सचिव के माध्यम से एक हलफनामा दायर किया जाएगा कि इस भूमि पर किसी तीसरे पक्ष को न तो अधिकार दिया जाएगा, न इसे किसी को हस्तांतरित किया जाएगा। इतना ही नहीं, इसे किसी भी उद्देश्य के लिए न तो किराये पर दिया जाएगा, न किसी लाइसेंस के तहत, ताकि किसी भी तरह से संपत्तियों पर किसी अन्य का स्वामित्व या कब्जा न हो।’’
इसने संपत्तियों को सुरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया, जो काफी मूल्यवान प्रतीत होती हैं और इससे याचिकाकर्ताओं को देय लगभग 400 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करने में मदद मिलेगी।
अदालत ने डीएसजीसी से संबंधित दो भूखंडों और कुछ अन्य संपत्तियों के मूल्यांकन की रिपोर्ट भी अदालत द्वारा नियुक्त मूल्यांकनकर्ता से सात सितंबर तक मांगी है।
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नेत्रपाल सुरेश
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