scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशझारखंड के शिक्षक फ्रांसिस मुंडा की मेहनत रंग लाई, स्वतंत्रता दिवस पर किए गए सम्मानित

झारखंड के शिक्षक फ्रांसिस मुंडा की मेहनत रंग लाई, स्वतंत्रता दिवस पर किए गए सम्मानित

दिप्रिंट में 9 अगस्त को छपी खबर का असर हो गया है. बच्चों को पढ़ाने के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए जिला प्रशासन ने उन्हें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सम्मानित किया है.

Text Size:

रांची: झारखंड के चाईबासा जिले में आने वाले एशिया के सबसे बड़े साल वृक्षों के जंगल सारंडा के शिक्षक फ्रांसिस मुंडा की मेहनत और दिप्रिंट में 9 अगस्त को छपी खबर का असर हो गया है. बच्चों को पढ़ाने के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए जिला प्रशासन ने उन्हें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सम्मानित किया है.

शनिवार को चाईबासा में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के एक कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी ने प्रशस्ति पत्र और शॉल ओढाकर उन्हें सम्मानित किया. इसके साथ ही रांगरिंग गांव, जहां शिक्षक फ्रांसिस मुंडा हर दिन 10 किलोमीटर पैदल चल कर पढ़ाने जाते हैं, वहां के विकास की योजना भी तैयार हो गई है. प्रशासन द्वारा अधिकतम तीन महीने के अंदर इसे पूरा किए जाने की बात कही जा रही है.

फोन पर दिप्रिंट से बातचीत में फ्रांसिस मुंडा ने बताया, ‘चार दिन पहले तक मेरे पास एक रुपया नहीं था. लेकिन इसके बाद तीन हजार रुपए आए हैं. उसी से मैंने राशन-पानी का इंतजाम किया है.’

फ्रांसिस बहुत खुश हैं सुनाई दे रहे थे, उन्होंने यह भी कहा, ‘सरकार ने मुझे इतने लोगों के बीच बुलाकर सम्मानित किया है, ऐसा तो हम कभी सोचे भी नहीं थे.’

सम्मानित किए जाने के दौरान फ्रांसिस भावुक हो गए वह दिप्रिंट से विशेष बातचीत में कहते हैं, ‘जब मंत्री शॉल ओढा रही थीं, ऐसा लग रहा था किसी ने मेरे सर पर हाथ रख दिया है. एक साहेब ने हमारे बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस भी दिया है. गांव में पहली बार बीडीओ-सीओ पहुंचे हैं. हम बता नहीं सकते कितना खुश हैं.’ इतना कहते ही वह रोने लगे.’

उन्होंने आगे बताया, ‘आनेवाले समय में वह और जोश के साथ बच्चों को पढ़ाने जाएंगे. साथ ही इलाके के अन्य समस्याओं के बारे में डीसी साहेब को भी बताएंगे. ताकि और बदलाव आए.’


यह भी पढ़ें: दसवीं पास हैं झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, आलोचना से हुए परेशान तो ले लिया 11वीं में एडमिशन


वनाधिकार पट्टा देने की प्रक्रिया शुरू, जल्द पहुंचेगा विकास

पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा के जिलाधिकारी अरवा राजकलम में दिप्रिंट को बताया, ‘बीते नौ अगस्त को सीएम के आदेश के बाद उस इलाके में ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर, सर्किल ऑफिसर को वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के लिए भेजा गया था. उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. वह गांव रेवेन्यू विलेज के अंतर्गत नहीं आता है. फॉरेस्ट राइट एक्ट के मुताबिक सबसे पहले गांव के लोगों को वनाधिकार पट्टा देना है. इसके लिए कागजी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसके बाद यह रेवेन्यू विलेज घोषित किया जाएगा. इसके तुरंत बाद वहां चापाकल, एक सामुदायिक भवन, बिजली आदि की सुविधा पहुंचाई जाएगी.’

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर बीते नौ अगस्त को दिप्रिंट ने सारंडा के रांगरिंग गांव और वहां पढ़ा रहे शिक्षक फ्रांसिस मुंडा के संघर्ष और समर्पण की सच्ची कहानी दिखाई थी. खबर छपने के बाद झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने इसपर संज्ञान लिया और जिले के डीसी को गांव और शिक्षक फ्रांसिस मुंडा को सभी जरूरी आवश्यकताएं मुहैया कराने का आदेश दिया था.

डीसी ने यह भी बताया, ‘यहां कुल 42 परिवार रहते हैं. ऐसे में रेवेन्यू विलेज डिक्लेयर होने के बाद ही इन्हें इलाके में किसी तरह का विकास का काम शुरू किया जा सकता है. इसके लिए वह लगातार वन विभाग के साथ मिलकर इसपर काम कर रहे हैं. उनके मुताबिक इन सब कामों को पूरा होने में लगभग तीन महीने लग जाएंगे. लेकिन उन्होंने आश्वस्त किया है कि तीन महीने के भीतर ही ये सब पूरा कर लिया जाएगा.’

विधायक, पूर्व अधिकारी सहित की लोग मदद को आए आगे

इधर फ्रांसिस मुंडा और उनके स्कूल की मदद के लिए कई हाथ आगे बढ़े हैं. बीते शुक्रवार को रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी राम प्रताप सिंह ने अपनी तरफ से स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के लिए 50 स्कूली ड्रेस मुहैया कराया. साथ ही शिक्षक फ्रांसिस मुंडा को 2,000 रुपए भी दिए. फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया , ‘जब वह उस शिक्षक से बात कर रहे थे, तो वह रोने लगे. इसके बाद मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि उन्हें लगातार मदद मिलती रहेगी, बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए कुछ स्थाई व्यवस्था के लिए वह प्रयास करेंगे.’

वहीं रांची की एक स्वयंसेवी संस्था प्रतिज्ञा भी मदद को आगे आई है. संस्था के सदस्य आदिल हसन ने बताया कि, ‘प्रतिज्ञा उस गांव में एक लाइब्रेरी का निर्माण कराएगी. हालांकि यह काम लॉकडाउन पूरी तरह खत्म होने के बाद ही हो सकेगा.’

वहीं फ्रांसिस मुंडा जिस एस्पायर नामक संस्था के लिए काम करते थे, उसने भी अपने छह महीने के प्रोजेक्ट को अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया है.

शनिवार को स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद एस्पायर संस्था के अन्य सदस्यों के साथ डीसी अरवा राजकमल ने बैठक की. जिसमें उनसे सहयोग करने को कहा गया. साथ ही रांगरिंग और आसपास के अन्य गांवों के लोगों की स्थिति संबंधी एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है. जिसके बाद राशन कार्ड, प्रधानमंत्री आवास, शौचालय जैसी अन्य सुविधाएं दी जाएंगी.


यह भी पढ़ें:झारखंड के सारंडा का यह आदिवासी शिक्षक, हर दिन 10 किमी. पैदल चल कर बच्चों को पढ़ाने आता है


यही नहीं, फ्रांसिस मुंडा के मुताबिक चक्रधरपुर विधानसभा के विधायक सुखराम उरांव ने भी शिक्षक को फोन कर उनकी हौसला अफजाई की. साथ ही बहुत जल्द उनसे मिलने और जरूरत के मुताबिक मदद करने की बात कही. वहीं मंझगांव विधानसभा के विधायक निरल पूर्ति ने भी फोन कर शुभकामनाएं दी और मदद का आश्वासन दिया है.

जिस सारंडा के विकास के लिए बहुचर्चित सारंडा एक्शन प्लान बना, वहां प्लान बनने के 11 साल बाद विकास की सुगबुगाहट हो रही है. रांगरिंग गांव के लोगों में पहली बार उम्मीद जगी है. वह बदलाव का इंतजार कर रहे हैं. जिला प्रशासन ने खाका तैयार कर लिया है. अब देखनेवाली बात ये होगी कि ऐसा मुमिकन हो पाता है या नहीं.

(आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं)

share & View comments