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Sunday, 1 December, 2024
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दसवीं पास हैं झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, आलोचना से हुए परेशान तो ले लिया 11वीं में एडमिशन

झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो दसवीं पास हैं. शिक्षा मंत्री बनाए जाने दे दौरान विपक्षी पार्टियों से लेकर दबी जुबान में अपनी पार्टी के साथियों ने भी मजाक उड़ाया था. तभी सोच लिया था आगे पढ़ूंगा, आज उन्होंने 11वीं में एडमिशन ले लिया है.

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रांची: क्या हो जब सूबे का शिक्षा मंत्री सिर्फ दसवीं पास हो. क्या राज्य की जनता और क्या मंत्रालय के अधिकारी सभी ऐसी निगाहों से देखते हैं कि मंत्री बेचारा लाचार ही हो गया. कुछ ऐसा ही हुआ झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के साथ.

जगरनाथ महतो महज़ 10वीं पास हैं, लोगों ने कटाक्ष करना शुरू कर दिया. वह इससे काफी दुखी हो गए. बोले मैं अब और पढ़ूंगा और फिर उन्होंने ले लिया ग्यारहवीं में एडमिशन. पहुंच गए बोकारो जिले के देवी महतो इंटर कॉलेज. जगरनाथ महतो सोमवार 10 अगस्त को कॉलेज पहुंचे. जहां उन्होंने 1100 रुपए का फॉर्म भरा और दाखिला ले लिया. उन्होंने जिस कॉलेज में दाखिला लिया है, वह उनके ही विधानसभा क्षेत्र डुमरी में है.

जगरनाथ ने दिप्रिंट से कहा, ‘जब मैं मंत्री पद की शपथ ले रहा था और मुझे शिक्षा जैसा विभाग मिला, तो कई लोगों ने मुझपर व्यंग्य किए. उनका कहना था कि दसवीं पास क्या चलाएगा शिक्षा मंत्रालय. उसी दिन मैंने इसे चैलेंज के रूप में स्वीकार किया. अब मैं पढ़ाई भी करूंगा, अच्छे नंबरों से पास भी होकर दिखाउंगा.’

महतो ने आगे कहा , ‘मंत्रालय और कॉलेज की पढ़ाई के बीच सामजस्य बिठाते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों का भी विकास करूंगा. मैं खेती भी करूंगा.’

सोमवार 10 अगस्त को ही हुई एक घोषणा के बारे में उन्होंने कहा कि जल्द ही पूरे राज्य में 4116 लीडर खोले जाएंगे. यह मॉडल स्कूल होगा.’


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बचपन से ही कूदे राजनीति में, गरीबी की वजह भी बनी कारण

दसवीं के बाद पढ़ाई छूटने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘उस वक्त झारखंड आंदोलन अपने चरम पर था. हम भी नौजवान थे, कूद पड़े आंदोलन में विनोद बिहारी महतो के नेतृत्व में राजनीति करने लगे.’

महतो ने दिप्रिंट को बताया, ‘वह एक छोटे किसान परिवार से आते हैं, गरीबी की वजह से भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए.’

उन्होंने कहा, ‘इसका मलाल हमेशा ही रहता था. लेकिन इस बार अपनी इस स्थिति को वह पूरी तरह से बदलने के लिए तैयार हैं.’ जानकारी के मुताबिक मंत्री ने दसवीं की परीक्षा साल 1995 में चंद्रपूरा प्रखंड के नेहरू उच्च विद्यालय से पास की थी.

हालांकि रेग्युलर क्लास और 75 प्रतिशत अनिवार्य उपस्थिति के सवाल उन्होंने बस इतना कहा, ‘सब हो जाएगा.’

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक जिस देवी महतो इंटर कॉलेज में उन्होंने एडमिशन लिया है उसकी स्थापना भी उन्होंने विधायक रहने के दौरान साल 2006 में करवाई थी. यह सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज है. यानी यह सरकारी अनुदान पर चलता है, पूरी तरह सरकार नियंत्रित कॉलेज नहीं है.

महतो साल 2005 में वह पहली बार विधायक बने थे.

75 फीसदी अटेंडेंस है जरूरी

कॉलेज के प्रचार्य दिनेश प्रसाद वर्णवाल ने कहा, ‘शिक्षा मंत्री ही इस कॉलेज समिति के चेयरमैन हैं. कॉलेज के संचालन के लिए एक गवर्निंग बॉडी है. कॉलेज में सभी छात्रों के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है.’

दिप्रिंट से बातचीत में कॉलेज के प्रिंसिपल दिनेश ने कहा, ‘मंत्री जी ने भी कहा है कि वह आकर क्लास करेंगे. लेकिन मुझे यह व्यवहारिक नहीं लग रहा है, क्योंकि उनके पास काम बहुत है.

उन्होंने कहा, ‘नियम के मुताबिक अगर वह 75 फीसदी अटेंडेंस दर्ज नहीं करा पाते हैं तो परीक्षा देने में कठिनाई आ सकती है. हालांकि उस वक्त इस केस में हम झारखंड एकेडमिक काउंसिल से परामर्श लेंगे. जैसा वह कहेगी, वैसा करेंगे.’

हाल ही में नई शिक्षा नीति पर महतो ने कमेंट किया था. उन्होंने कहा था कि शिक्षा नीति को लागू करने से पहले विभिन्न स्तरों पर विचार विमर्श किया जाएगा. बुद्धिजीवियों की राय ली जाएगी. कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा, फिर पास किया जाएगा. उन्होंने साल 2020 तक पारा शिक्षकों की व्यवस्था खत्म करने पर भी सवाल उठाया था. साथ ही यह भी कहा कि इस नीति से कुछ हो न हो, कई लोगों की नौकरी जरूर चली जाएगी.

जिसका विरोध बीजेपी के प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने यह कह कर किया था कि मंत्री चाहें तो उनके साथ इस मसले पर डिबेट कर सकते हैं. उनका सारा भ्रम दूर हो जाएगा.

और भी मंत्री हैं दसवीं और बारहवीं पास

ऐसा नहीं है कि हेमंत सोरेन की सरकार में सिर्फ जगरनाथ ही दसवीं पास हो, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी, समाज कल्याण मंत्री चंपई सोरेन दसवीं पास हैं. वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता बारहवीं पास हैं. इसके अलावा जल संसाधन मंत्री मिथिलेश ठाकुर और परिवहन मंत्री आलमगीर आलम ग्रैजुएट हैं.

वहीं वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव पीएचडी हैं. रामेश्वर उरांव पूर्व आईपीएस हैं. ये वही अधिकारी हैं जिन्होंने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री लालकृष्ण आडवानी को रथयात्रा निकालने के दौरान गिरफ्तार किया था. फिर नौकरी से त्यागपत्र देकर राजनीति में आ गए.

साथियों की सराहना, विपक्षियों ने ली चुटकी

जगरनाथ महतो के आगे पढ़ाई के लिए उठाए गए कदम की उनके साथी मंत्रियों और विधायकों ने दिल खोलकर प्रशंसा की है. मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहते हैं, ‘यह बहुत ही साहसिक कदम है. उन्होंने पहले तो स्वीकार किया कि दसवीं पास हैं. उम्र और राजनीति के इस पड़ाव पर आकर ऐसा निर्णय लेना इतना आसान नहीं होता है. मैं उनके इस कदम से बहुत खुश हूं और यह प्रशंसनीय कदम है.’

वहीं अन्य दसवीं पास मंत्रियों के लिए उन्होंने कहा, ‘शिक्षा मंत्री से सीख लेते हुए बाकी मंत्रियों को भी आगे की पढ़ाई करनी चाहिए और कॉलेज में दाखिला लेना चाहिए. क्योंकि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है.’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘राजनीति और एकेडमिक शिक्षा का आपस में बहुत ज्यादा संबंध नहीं है. दोनों में अलग तरीके से ज्ञान हासिल किया जाता है.’

मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि उन्होंने विरोधियों का मुंह बंद कर दिया है. वह खुद भी शिक्षित होंगे, राज्य को भी शिक्षित करेंगे. मुझे उम्मीद है कि आनेवाले समय में उनके नाम के आगे डॉक्टर भी लगेगा.

वहीं विपक्षी पार्टी के नेताओं ने भी तारीफ की है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश कहते हैं, ‘हमारी आलोचना का अच्छा असर हुआ है. अगर प्रदेश का शिक्षा मंत्री ग्यारहवीं और बारहवीं पास करते हैं, ये अच्छी बात है. इसका हम स्वागत भी करते हैं.’


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वहीं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुके बीजेपी के प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने कहा, ‘आगे की पढ़ाई करने से शायद शिक्षा मंत्री अब नई शिक्षा नीति को बेहतर समझ पाएंगे. हालांकि मैं उनके इस कदम की प्रशंसा करता हूं. जहां तक उनके शिक्षा मंत्री बनाए जाने का सवाल है, यह सीएम का विशेषाधिकार है. लेकिन जब आपको जानकारी नहीं होती है, तो ऐसे में ब्यूरोक्रैट्स अपने हिसाब से विभाग को चलाते हैं.’

हालांकि देखने वाली बात ये होगी कि मंत्री कक्षाओं में कितनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. अगर पढ़ने कॉलेज जाते हैं तो अपने साथ वाले छात्र-छात्राओं को कैसा महसूस कराते हैं. या फिर अपने पावर का इस्तेमाल कर केवल परीक्षा देकर काम चलाएंगे.

( आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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