चेन्नई, 21 जनवरी (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार को राज्य भर में उत्खनन कर निकाले गये खनिजों की मात्रा एवं खनन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों का आकलन करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘ प्रतिवादियों को तमिलनाडु में खनन क्रिया एवं संचालकों द्वारा उत्खनन कर निकाले गये खनिजों का आकलन करने तथा रॉयल्टी का निर्धारण करने एवं तद्नुसार उसकी वसूली के लिए खनन गतिविधियों में ड्रोन मापन उपायों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया जाता है।’’
न्यायाधीश ने कोयंबटूर के मदुक्करई गांव में एसोसिएटेड सीमेंट कंपनीज लिमिटेड की रिट याचिकाओं का निस्तारण करते हुए यह निर्देश दिया। इन याचिकाओं में मार्च, 2002 में यहां गुइंडी में भूगर्भ विज्ञान एवं खनन निदेशक द्वारा जारी किये गये आदेश को चुनौती दी गयी है। निदेशक ने याचिकाकर्ता-कंपनियों को लंबित नोटिसों के अनुसार रॉयल्टी देने का निर्देश दिया था।
न्यायाधीश ने प्रशासन को यह भी निर्देश दिया कि जब भी रिट याचिकाकर्ताओं द्वारा खनन किया जाता है तब ड्रोन मापन का इस्तेमाल करें और उनके द्वारा निकाले गये खनिज या चूनापत्थर की मात्रा का आकलन करें। अदालत ने कहा कि वे 20 साल के दौरान खो गये रजिस्टर /रिकार्ड को याचिकाकर्ता कंपनियों से प्राप्त करेंगे तथा बनाये गये सीमेंट उत्पाद की मात्रा के आधार पर उपभोग कारकों का निर्धारण करेंगे।
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राजकुमार माधव
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