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तमिलनाडु सरकार ने बजट के ‘लोगो’ में रुपये का प्रतीक चिह्न हटा कर तमिल अक्षर को शामिल किया

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चेन्नई, 13 मार्च (भाषा) तमिलनाडु सरकार ने भाषा को लेकर केंद्र के साथ बढ़ते विवाद के बीच, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट के ‘लोगो’ में भारतीय रुपये के देवनागरी लिपि वाले प्रतीक चिह्न की जगह एक तमिल अक्षर का उपयोग किया है। राज्य सरकार का यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत त्रि-भाषा फॉर्मूला के खिलाफ उसके अड़ियल रुख का संकेत देता है।

तमिलनाडु सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को खारिज करने के बाद उत्पन्न राजनीतिक विवाद के बीच राज्य में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नीत सरकार ने यह कदम उठाया है।

प्रतीक चिह्न बदले जाने से राजनीतिक विवाद शुरू हो गया। भाजपा नेताओं ने द्रमुक पर हमला बोला है, जबकि राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों ने पूछा कि क्या ऐसा कोई नियम है जो इस तरह के चित्रण पर रोक लगाता हो।

मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के जरिये राज्य में हिंदी थोपने का प्रयास करने का आरोप लगाया और दावा किया कि एनईपी एक ‘‘भगवा नीति’’ है जिसका उद्देश्य हिंदी को बढ़ावा देना और उसे आगे बढ़ाना है, न कि राष्ट्र को बढ़ावा देना।

द्रमुक ने यह भी कहा है कि तमिलनाडु ब्रिटिश उपनिवेशवाद की जगह ‘हिंदी उपनिवेशवाद’ को बर्दाश्त नहीं करेगा, जबकि केंद्र ने स्टालिन सरकार पर ‘‘बेईमान’’ होने और राजनीति के लिए राज्य में ‘‘छात्रों का भविष्य बर्बाद करने’’ का आरोप लगाया है।

राज्य सरकार द्वारा बृहस्पतिवार को जारी किये गए ‘लोगो’ में तमिल शब्द ‘रुबय’ का प्रथम अक्षर अंकित किया गया है। तमिल भाषा में भारतीय मुद्रा को ‘रुबय’ कहा जाता है।

‘लोगो’ में यह भी लिखा है कि ‘‘सभी के लिए सब कुछ’’, जिससे राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक शासन के समावेशी मॉडल के दावे का संकेत मिलता है।

तमिलनाडु के वित्त मंत्री थंगम थेन्नारासु वित्त वर्ष 2025-26 के लिए शुक्रवार को राज्य विधानसभा में बजट पेश करने वाले हैं।

विवाद उत्पन्न होने पर, द्रमुक ने राज्य सरकार के कदम का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि स्थानीय भाषा का उपयोग करने में कुछ भी गलत नहीं है।

वहीं, राज्य में विपक्षी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) और भाजपा ने इस मामले को लेकर एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की और इसे अन्य मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की चाल बताया।

राज्य सरकार के कदम की प्रदेश भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने आलोचना की है।

उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘द्रमुक सरकार का वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राज्य का बजट एक तमिल द्वारा डिजाइन किये गए रुपये के उस प्रतीक चिह्न को प्रतिस्थापित करता है, जिसे पूरे भारत द्वारा अपनाया गया और हमारी मुद्रा में शामिल किया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘तिरु उदय कुमार, जिन्होंने रुपये का प्रतीक चिह्ल डिजाइन किया था, द्रमुक के एक पूर्व विधायक के बेटे हैं। आप कितनी मूर्खता करेंगे।’’

उन्होंने तमिलनाडु के वित्त वर्ष 2024-25 के बजट का ‘लोगो’ भी साझा किया, जिसमें भारतीय रुपये का प्रतीक चिह्न अंकित था।

वहीं, द्रमुक प्रवक्ता सरवनन अन्नादुरई ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि कोई भी कानून ‘‘तमिल के इस अक्षर के उपयोग को नहीं रोकता है।’’

उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘फिर, इतना आक्रोश क्यों है।’’

भाजपा की वरिष्ठ नेता एवं पार्टी की प्रदेश इकाई की पूर्व प्रमुख तमिलिसाई सुंदरराजन ने भी द्रमुक की आलोचना की।

उन्होंने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘‘हम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री (स्टालिन) और तमिलनाडु सरकार के रवैये से बहुत दुखी हैं।’’

उन्होंने कहा कि यह ‘‘मूर्खता’’ है, जैसा कि अन्नामलाई ने भी कहा है। उन्होंने सवाल किया कि इतने लंबे समय के बाद यह बदलाव क्यों किया गया और क्या वे ‘‘अब तमिल बन गए हैं।’’

उन्होंने द्रमुक पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वे राष्ट्रीय अखंडता और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ हैं।’’

वहीं, द्रमुक विधायक एझिलन नागनाथन ने स्टालिन सरकार के इस कदम को उचित ठहराया और कहा कि मातृभाषा का उपयोग करने में कुछ भी गलत नहीं है।

उन्होंने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘सभी उद्देश्यों के लिए मातृभाषा का उपयोग करना केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सिद्धांत है। इसतरह, यह उसी तर्ज पर है।’’

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह बहुत स्पष्ट है कि हमारे पास बजट की तमिल प्रतिलिपि है और उसमें रुपये के लिए एक तमिल अक्षर का उपयोग किया गया है। इसतरह, हम आधिकारिक उद्देश्यों के लिए मातृभाषा का उपयोग कर रहे हैं, जो हर जगह अनिवार्य है।’’

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपति ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में दावा किया कि स्टालिन ने साबित कर दिया है कि वह पिछले चार वर्षों में अपनी सरकार की ‘‘विफलताओं’’ को छिपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

नारायणन ने कहा, ‘‘चिह्ल को 2010 में एक तमिल व्यक्ति ने डिजाइन किया था और वह भी संप्रग शासन के दौरान…।’’

अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ और पूर्व मंत्री डी. जयकुमार ने द्रमुक सरकार पर तमिलनाडु की समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिए नाटक करने का आरोप लगाया।

तमिलनाडु राज्य योजना आयोग के कार्यकारी उपाध्यक्ष जे जयरंजन ने कहा, ‘‘हम देवनागरी का इस्तेमाल नहीं करना चाहते। बस इतना ही।’’ जब उनसे पूछा गया कि एक तमिल द्वारा डिजाइन किये गए प्रतीक चिह्ल का उपयोग क्यों नहीं किया जाए, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘‘तमिलों ने बहुत कुछ हासिल किया है। हम हर चीज को समायोजित नहीं कर सकते।’’

यह घटनाक्रम केंद्र और तमिलनाडु के बीच भाषा को लेकर जारी विवाद के बीच हुआ है, जिसमें तमिलनाडु ने केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। हालांकि, केंद्र ने इस आरोप से इनकार किया है।

द्रमुक का कहना है कि केंद्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रि-भाषा फार्मूले के कार्यान्वयन के माध्यम से तमिलनाडु पर हिंदी भाषा ‘थोपना’ चाहता है।

राज्य सरकार का कहना है कि वह त्रि-भाषा फार्मूले का पालन नहीं करेगी, बल्कि तमिल और अंग्रेजी की, अपनी दशकों पुरानी द्वि-भाषा नीति पर ही कायम रहेगी।

एक सरकारी पोर्टल के अनुसार, रुपये का प्रतीक चिह्न देवनागरी ‘र’ और रोमन लिपि के ‘आर’ अक्षर का मिश्रण है, जिसके शीर्ष पर दो समानांतर क्षैतिज पट्टियां हैं जो राष्ट्रीय ध्वज और गणित में उपयोग किये जाने वाले ‘बराबर’ के चिह्न का प्रतिनिधित्व करती हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘रुपये के चिह्न को भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को अपनाया था।’’

भाषा सुभाष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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