त्रिची (तमिलनाडु) : त्रिची में किसानों ने अप्रत्याशित तरीके से कर्नाटक और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए कर्नाटक से तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ने की मांग की. कर्नाटक के साथ चल रहे विवाद पर किसानों ने अपना विरोध जताने के लिए मुंह में चूहे दबाकर प्रदर्शन किए.
#WATCH | A group of Tamil Nadu farmers in Tiruchirappalli holding dead rats in their mouths protest against the Karnataka government and demand the release of Cauvery water to the state from Karnataka pic.twitter.com/CwQyVelyjF
— ANI (@ANI) September 26, 2023
नेशनल साउथ इंडियन रिवर इंटरलिंकिंग फार्मर्स एसोसिएशन की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष अय्याकन्नू त्रिची में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों ने तमिलनाडु में खड़ी ‘कुरुवाई’ फसल को बचाने के लिए कावेरी जल के बंटवारे की मांग की.
इससे पहले त्रिची में किसानों के एक समूह ने कर्नाटक के साथ चल रहे विवाद को लेकर रविवार को कावेरी नदी के पानी में विरोध प्रदर्शन किया. किसान तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ने की मांग कर रहे हैं.
इस बीच, कर्नाटक के मांड्या में किसान कर्नाटक के बांधों से तमिलनाडु के लिए छोड़े जाने वाले पानी को रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने राज्य को 13 सितंबर से 15 दिनों के लिए अपने पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया है, जिसके बाद से पूरे कर्नाटक में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद में दखल देने से मना कर दिया और कहा, दोनों सीडब्ल्यूएमए व कावेरी वाटर रेग्युलेशन कमेटी (सीडब्ल्यूआरसी) लगातार बैठक कर रहे हैं हर 15 दिन पर पानी की जरूरत की निगरानी कर रहे हैं.
कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की ओर से फाइल की गई याचिका, जिसमें कावेरी के जल को 5 हजार से 7200 क्यूसेक प्रतिदिन बढ़ाने की मांग की गई थी, पर विचार करने से मना कर दिया.
कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा कर्नाटक से 28 सितंबर तक 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने मांग को लेकर कर्नाटक में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए और राजधानी बेंगलुरु में बंद का आह्वान किया गया है.
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने सभी पक्षों से इस मुद्दे पर राजनीति न करने की अपील की. उन्होंने कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि बीजेपी और जेडीएस दोनों कावेरी के मुद्दे पर राजनीति कर रही हैं. यह केवल राजनीति के लिए हो रहा है न कि राज्य के लिए या राज्य के लोगों के लिए, बंद का आह्वान करना उनका अधिकार है. लेकिन इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला है. जब हम अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करें तो दूसरों को परेशानी नहीं होनी चाहिए, जैसा कि एससी ने कहा है.”
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा, “अभी तक संकट को लेकर कोई फार्मुला लागू नहीं हुआ है. हम कावेरी जल बंटवारे के मुद्दे पर फार्मुले के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. जब भी कम बारिश होती है तो SC या CWMA ने इस संकट को लेकर समाधान का कोई फार्मुला नहीं दिया है, जल बंटवारे में संकट को लेकर फार्मूला होना चाहिए. एक अन्य समाधान मेकेदातु परियोजना है, जिससे 70 टीएमसी तक पानी बचाया जा सकता है, इससे दोनों राज्यों को फायदा होता है.”
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