चेन्नई, 18 अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शुक्रवार को राज्यपालों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को सही दिशा में उठाया गया स्वागत योग्य कदम करार दिया और कहा कि इसने विभिन्न ‘लोकतंत्र विरोधी ताकतों’ को झकझोर दिया है।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने विधेयकों को मंजूरी देने के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय करने की उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर से की गयी आलोचना का सीधे तौर पर जिक्र नहीं किया। स्टालिन ने एक पत्रकार की टिप्पणी और एक अंग्रेजी दैनिक के संपादकीय को टैग किया जिसमें धनखड़ की आलोचना की गई थी।
स्टालिन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारे संविधान को अंगीकार किए गए 75 साल से अधिक समय बीत चुका है। मौजूदा दुर्भावना राज्यपालों, उपराष्ट्रपति और यहां तक कि राष्ट्रपति समेत संवैधानिक पदों के राजनीतिकरण से उपजी है, जिसका उद्देश्य विपक्षी सरकारों को कमजोर करना और सार्वजनिक चर्चा में दक्षिणपंथी विमर्श को आगे लाना है।’’
स्टालिन ने कहा कि लोकतंत्र में सरकारें चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा चलाई जाती हैं, औपचारिक नियुक्तियों द्वारा पदों पर बैठे लोगों के माध्यम से नहीं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी यही बात कही है और उसका ऐतिहासिक निर्णय प्रक्रिया को फिर दुरुस्त करने की दिशा में एक कदम है।’’
द्रमुक नेता ने कहा, ‘‘इसलिए, यह समझा जा सकता है कि इस स्वागत योग्य सुधार ने कई लोकतंत्र विरोधी ताकतों को झकझोर दिया है। समय की मांग है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि इस बदलाव को इसकी सही भावना के साथ लागू किया जाए।’’
भाषा रंजन रंजन माधव
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