अमृतसर: अमृतसर के शहीद भगत सिंह बाजार में सूरज पवन की दुकान पर करण औजला और बब्बू मान जैसे कई पंजाबी गायकों के पोस्टकार्ड वाली पतंगें टंगी दिखाई दे रही हैं. लेकिन दुकान की बिक्री जो बढ़ा रहा है वह सिर्फ एक ही गायक है और वो है – सिद्धू मूसेवाला.
इन पतंगों की डिजाइन में शामिल है ‘तुमसे प्यार है. मिस यू,’ बीच में मूसेवाला के साथ, या बंदूक के साथ गायक की एक तस्वीर, या फिर बस 295 – उनका सबसे पॉपुलर गीत .
एक दुकान के मालिक पवन ने बताया कि इस बार मूसेवाला की डिजाइन वाली पतंगों का ही बोलबाला है. वह कहते हैं,’ ‘ मुझे याद नहीं कि मैं कितनी पतंगें बेच चुका हूं. मुझे लगता है कि मैंने 10 लाख मूसेवाला के डिजाइन वाली पतंग तो जरूर बेची होंगी.’
पतंगों की शुरुआती कीमत 5 रुपये है, मालिकों का दावा है कि वे मूस वाला पतंगों पर कोई लाभ नहीं कमा रहे हैं. एक अन्य दुकानदार सूरज कुमार ने कहा, ‘अगर कोई 25-30 पतंग खरीदता है, तो उसे कम से कम पांच पर मूसेवाला चाहिए होता है.’ पतंगों की छपाई तो उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली में होती है, लेकिन दिल्ली में भी इसकी उतनी ही मांग है.
हालांकि, पतंग पर मूसेवाला की तस्वीरों से हर कोई खुश नहीं है, इसमें उनके पिता भी शामिल हैं. गुरप्रीत सिंह, जो अपनी खुदरा दुकान के लिए पतंग खरीद रहे थे, ने कहा कि उसे यह अपमानजनक लगता है. उन्होंने कहा, ‘मूसेवाला एक लिजेंड हैं. उनकी मौत के बाद लोग उनके और भी ज्यादा दीवाने हो गए हैं. कुछ तो उनके चेहरे वाली राखी भी मांग रहे थे. लेकिन पतंग पर उनकी फोटो नहीं होनी चाहिए, पतंग कटेगी तो लोग उसपर चलेंगे. यह अपमानजनक है. यहां तक कि उनके परिवार ने भी अपराध किया है.’
अपने गानों में बंदूक की हिंसा को महिमामंडित करने के लिए आलोचना झेलने वाले सच्चे अंतरराष्ट्रीय रैपर मूसेवाला को पंजाब में शहीद जैसा दर्जा मिल गया है. आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा उनकी सुरक्षा वापस लेने के दो दिन बाद ही मई 2022 में उनकी हत्या, राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति इनमें से एक रही है.
उनकी मौत के बाद सिर्फ जेनरेशन जेड और मिलेनियल्स ही नहीं बल्कि बूढ़े और उम्र दराज भी उनकी धुनों पर थिरकने लगे हैं. 65 वर्षीय किसान कर सिंह ने कहा, ‘वह हमारे समय का कवि था. मैंने उसकी मृत्यु के बाद उसके संगीत खंगाले. वह पंजाबी संस्कृति के बारे में बहुत अधिक बात करते हैं और अन्य कलाकारों के विपरीत, उनके गीत गंदे नहीं हैं. इसलिए हर पंजाबी उन्हें प्यार से याद करता है.’
अमृतसर के एक दुकानदार गुरप्रीत सिंह ने कहा, ‘मूसेवाला ने दुनिया भर में पगड़ी का महिमामंडन किया है. उसने पंजाबियत को दुनियाभर में फैलाया है. वह अपने आपमें अनूठा था.
जिन दुकानदारों की बिक्री आसमान छू गई है, उनका कहना है कि मूसेवाला की मौत के बाद से गायक से जुड़ी किसी भी चीज की मांग बढ़ गई है. सूरज कुमार ने कहा कि सिद्धू मूसेवाला पतंग नहीं मिलने पर ग्राहक कुछ भी खरीदना नहीं चाहते हैं. कुमार भी अब उनके संगीत के मुरीद हो गए हैं. ‘मैंने पहले कभी उसका गाना नहीं सुना था यहां तक कि अपने बच्चों को भी मना किया करता था. वह कहते हैं, ‘लेकिन जबसे मैंने इसे सुना है मुझे वाकई वो बहुत पसंद आ रहा है.’ वह आगे कहते हैं कि वह मार दिया गया क्योंकि वह देश की सच्चाई बयां करता था. कुमार कहते हैं, ‘वह हमारे दिल की धड़कन है. हम उनकी याद को जिंदा रखना चाहते हैं.’
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मूसेवाला का बुखार
लोहड़ी के त्योहार से पहले पतंग मौसम में एक रंग और फ्लेवर भर देती है, लेकिन मूसेवाला हर जगह है – संगीत में, टी-शर्ट, बैग, चाबी की चेन से लेकर रेडियो तक पर. पंजाबी न केवल उन पर प्यार बरसा रहे हैं, बल्कि श्रद्धा भी दे रहे हैं.
मृत्यु के बाद मूसेवाला वही बन गया है जो यूनाइटेड किंगडम के लिए राजकुमारी डायना बन गईं थीं. उन्हें सेलिब्रिटी से एक हीरो की हैसियत तक ऊंचा उठा दिया गया है. लोगों में उनके माता-पिता के लिए गहरी सहानुभूति है, जिन्होंने अपना इकलौता बेटा खो दिया, और पगड़ी को गौरव दिलाने वाले पंजाब की एकमात्र सही मायने में अंतरराष्ट्रीय पॉप सनसनी के प्रति सम्मान है.
एक स्कूल बैग की दुकान के मालिक 70 वर्षीय जोगिंदर पाल ने कहा कि इस सीजन में दिवंगत गायक के मोटिफ वाले बैग की मांग रही है. वह कहते हैं, ‘उनकी मृत्यु के बाद हमें दिल्ली से सिर्फ उनके चेहरे वाले छपे बैग मिलने लगे. उनकी मृत्यु के ठीक बाद लोग सिद्धू मूसेवाला के साथ वाला बैग ही खरीदना चाहते थे. मैंने सिर्फ एक महीने में 300 से अधिक बैग को बेचा है. ‘
योगेश महाजन, जो अमृतसर में जलियांवाला बाग के पास एक बाजार में कपड़े बेचते हैं, ने कहा कि पंजाबी केवल उन टी-शर्ट खरीदना चाहते हैं जिन पर 295 गायक छपे हैं. उन्होंने कहा, ‘लोग उन्हें लेकर पूरी तरह पागल हो गए हैं. वह एक अच्छे इंसान थे. एक महान कलाकार. उन्होंने दुनिया भर में पंजाब का प्रचार किया. इसीलिए लोग उनसे प्यार करते हैं.’
महाजन की दुकान पर केवल स्थानीय ग्राहक ही नहीं, देश भर से खुदरा विक्रेता मूसेवाला से जुड़े सामान खरीदने आते हैं. ऐसे ही एक ग्राहक थे कोटा, राजस्थान के चरणजीत सिंह. वह कहते हैं, ‘मूसेवाला की नैपकिन, की चेन, पेंसिल, अस्थायी टैटू और कपड़ों में खूब मांग है. यही सब बच्चे चाहते हैं. कोटा में भी हर जगह मूसेवाला की फोटो ही नजर आ रही है. हम इन उत्पादों को बेचकर काफी पैसा कमा रहे हैं.’
मूसेवाला उन कलाकारों में शामिल हो गए हैं जो कुछ ही कलाकारों ने हासिल किया है, भले ही मरने के बाद.
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