नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) कांग्रेस ने अल्प सेवा कमीशन (शॉर्ट सर्विस कमीशन) के तहत नियुक्त महिला सैन्य अधिकारियों को लेकर उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए शनिवार को कहा कि यह महिला अधिकारियों के लिए उम्मीद की किरण है।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि वह अल्प सेवा कमीशन की उन महिला सैन्य अधिकारियों को सेवा से मुक्त न करे जिन्होंने उन्हें स्थायी कमीशन (पीसी) देने से इनकार किए जाने के फैसले को चुनौती दी है।
न्यायालय ने कहा कि ‘‘मौजूदा स्थिति में उनका मनोबल नहीं गिराया’’ जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 69 अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं को अगस्त में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक उन्हें सेवा से मुक्त नहीं किया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) अनुमा आचार्य ने संवाददाताओं से कहा कि नौ मई को उच्चतम न्यायालय का एक आदेश महिला अधिकारियों के पक्ष में आया। उन्होंने कहा कि इस आदेश में ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ के तहत भर्ती महिला अधिकारी, जो याचिकाकर्ता थीं, को अगली सुनवाई तक सेवा में बहाल करने के लिए कहा गया है।
आचार्य के मुताबिक, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने महिला अधिकारियों को प्रतिभाशाली बताते हुए कहा कि ऐसे समय में उनका का मनोबल बढ़ा रहना चाहिए।
उनके अनुसार, केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि हर वर्ष ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ के तहत भर्ती केवल 250 अधिकारियों को ही स्थायी कमीशन दिया जा सकता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जो अनुभवी महिला अधिकारी हैं, वे भी युवा सैनिकों के मार्गदर्शन और मानसिक संबल के लिए बहुत आवश्यक हैं। उच्चतम न्यायालय का यह फैसला महिला अधिकारियों के लिए उम्मीद की किरण है।’’
अनुमा ने कहा, ‘‘मैं खुद इस केस की एक लाभार्थी रही हूं। जब 1992 में कांग्रेस की सरकार ने पहली बार महिला अधिकारियों की नियुक्ति शुरू की थी। तब वायु सेना ने रक्षा मंत्रालय की तरफ से एक परिपत्र 25 नवंबर 1991 को जारी किया था, जिसमें ये कहा गया था कि एक पायलट परियोजना के रूप में महिला अधिकारियों को लिया जाएगा। अगर प्रयोग सफल होता है, तो आने वाले छह साल के लिए उन्हें सेवा विस्तार दिया जाएगा। फिर 11 वर्षों के बाद महिला अधिकारियों से पूछा जाएगा कि क्या वे पेंशन वाली सेवा से जुड़ना चाहती हैं।’’
अनुमा ने कहा कि साल 1999 से 2004 के बीच में जब बाकी सरकारी नौकरियों में पुरानी पेंशन खत्म हुई, तो यह भी खत्म हुआ। आगे चल कर वर्ष 2007 में विंग कमांडर अनुमा जोशी और स्कॉर्डन लीडर रुखसान हक ने पहले यह मामला अदालत में दायर किया।
उनके मुताबिक, उच्चतम न्यायालय का निर्णय जो कल आया है, वह बहुत राहत देता है और आज जो देश का माहौल है, उसमें महिला अधिकारियों का मनोबल बढ़ाता है।
अनुमा ने कहा कि 2006 के बाद लगातार नीतियां बदलीं। उन्होंने कहा कि ढाई साल पहले महिलाओं को सेना में जगह दी गई, लेकिन अब हम सोच सकते हैं कि आज से 30 साल बाद एक या एक से अधिक महिलाओं को सेना अध्यक्ष के रूप में देख सकेंगे।
भारत -पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव पर उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी देश की सेनाओं के साथ हैं। सेना के सभी लोग जो तिरंगे को खुद से ऊपर रखते हैं, उन सभी का हम सम्मान करते हैं। हर सैन्यकर्मी के शौर्य को हमारा सलाम है।’’
भाषा हक दिलीप संतोष
संतोष
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