नयी दिल्ली, 27 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सीमा शुल्क और केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संशोधित कानूनों के तहत गिरफ्तारी की शक्ति की संवैधानिक वैधता को बृहस्पतिवार को बरकरार रखा।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि उपयुक्त मामलों में गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए आवेदन की अनुमति दी जा सकती है और जब तथ्य स्पष्ट हों तथा गिरफ्तारी की आशंका के लिए उचित आधार मौजूद हो तो यह आवश्यक नहीं है कि ऐसी याचिकाएं केवल प्राथमिकी के बाद ही दायर की जाएं।
वर्ष 2018 में प्रमुख याचिकाकर्ता राधिका अग्रवाल की याचिका सहित लगभग 280 याचिकाओं में सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के प्रावधानों को सीआरपीसी एवं संविधान के अनुरूप न होने का दावा करते हुए चुनौती दी गई थी।
अपने और न्यायमूर्ति सुंदरेश की ओर से 63 पन्नों का फैसला लिखते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि संवैधानिक वैधता के साथ-साथ सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के तहत अधिकृत अधिकारियों की गिरफ्तारी के अधिकार को दी गई चुनौती को खारिज किया जाता है।
न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने प्रधान न्यायाधीश से सहमति जताई और 13 पन्नों का फैसला लिखा।
अग्रिम जमानत देने की शक्ति के मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह मुद्दा तब उत्पन्न होगा जब गिरफ्तारी की आशंका हो।
फैसले में कहा गया, ‘‘संहिता के तहत अदालतों में निहित यह शक्ति व्यक्तियों को गिरफ्तार होने से बचाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की पुष्टि करती है। उचित मामलों में, अग्रिम जमानत के लिए आवेदन की अनुमति दी जा सकती है, जो सशर्त भी हो सकती है।’’
अदालत ने जीएसटी अधिनियम की धारा 69 और 70 तथा सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 104 को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया तथा कर उल्लंघन को अपराध मानने एवं गिरफ्तारियां करने वाले प्रावधानों को लागू करने की विधायिका की क्षमता के पक्ष में फैसला सुनाया।
पीठ ने कुछ फैसलों का हवाला दिया और कहा कि हालांकि सीमा शुल्क अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं, लेकिन उनके पास संबंधित कानूनों के तहत अपराधियों की जांच करने और उन्हें गिरफ्तार करने का वैधानिक अधिकार है।
पीठ ओम प्रकाश बनाम भारत संघ के मामले में 2011 के फैसले के बाद सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के संशोधित प्रावधानों की वैधता पर विचार कर रही थी।
हालाँकि, फैसले में कहा गया कि गिरफ्तार लोगों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए विधायिका द्वारा स्थापित पूर्व शर्तों और सुरक्षा उपायों की पड़ताल करना महत्वपूर्ण है।
पीठ ने कहा, ‘‘यदि सीमा शुल्क के प्रधान आयुक्त या सीमा शुल्क आयुक्त के सामान्य या विशेष आदेश के अनुरूप इस संबंध में सशक्त सीमा शुल्क अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि किसी व्यक्ति ने धारा 132 या धारा 133 या धारा 135 या धारा 135-ए या धारा 136 के तहत दंडनीय अपराध किया है, तो वह ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है और जितनी जल्दी हो सके, उसे ऐसी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित करना होगा।’’
भाषा नेत्रपाल माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.