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Sunday, 6 October, 2024
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आशीष मिश्रा की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

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नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे एवं मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई करने के लिए शुक्रवार को सहमत हो गया। इस हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण के नेतृत्व वाली एक पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की उस दलील पर गौर किया कि मामले के अन्य आरोपी आशीष मिश्रा को दी गई राहत का हवाला देते हुए जमानत के लिए अदालत का रुख कर रहे हैं।

पीठ ने भूषण से कहा कि वह उच्च न्यायालय को सूचित करें कि शीर्ष अदालत जमानत रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ मैं मामले को 11 मार्च के लिए सूचीबद्ध कर सकता हूं। अन्य न्यायाधीश भी मौजूद होने चाहिए।’’

उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने 10 फरवरी को मिश्रा को जमानत दे दी थी, जिन्होंने चार महीने हिरासत में बिताए थे।

भूषण ने अदालत में दाखिल प्रतिवेदन में कहा कि उच्च न्यायालय ने मिश्रा को जमानत देते हुए कानून का पालन नहीं किया और उसके सबूतों से छेड़छाड़ करने सहित अन्य पहलुओं पर गौर नहीं किया।

भूषण ने कहा कि अन्य आरोपी भी इस फैसले का हवाला देकर अब जमानत मांग रहे हैं। उन्होंने उच्च न्यायालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि वह फिलहाल अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई ना करे।

पीठ ने कहा, ‘‘ उच्च न्यायालय के समक्ष ज्ञापन दाखिल करें कि हम मामले पर 11 मार्च को सुनवाई कर रहे हैं।’’

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों के तीन सदस्यों ने मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत देने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है।

गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला , जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई।

हाल ही में, अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की अपील करने करते हुए एक अन्य याचिका दायर की थी, जिनके पत्र पर शीर्ष अदालत ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया था।

किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में आशीष मिश्रा थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला था। हालांकि, उन्होंने आरोपों को खारिज किया है।

पिछले साल 17 नवंबर को, शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश एसआईटी द्वारा जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था।

किसान जगजीत सिंह, पवन कश्यप और सुखविंदर सिंह ने मिश्रा की जमानत रद्द करने की अपील करते हुए वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से याचिका दायर की है।

भाषा जोहेब अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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