नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को नीट-पीजी दाखिला के संबंध में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण से संबंधित मामले में सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय इस पर अपना फैसला बाद में सुनायेगा.
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने विभिन्न पक्षों से कहा कि वे अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें. इसके साथ ही पीठ ने कहा, ‘हम दो दिन से इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, हमें राष्ट्रीय हित में काउंसलिंग शुरू करनी चाहिए.’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह इस भ्रम को दूर करना चाहेंगे कि नियमों में बीच में बदलाव किया गया है. उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले, नियमों में कोई बदलाव नहीं हुआ है… जिस विषय को चुनौती दी गयी है, वह 2019 से अखिल भारतीय कोटा को छोड़कर पहले से ही लागू है.’
कुछ उम्मीदवारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और श्याम दीवान न्यायालय में पेश हुए. वहीं तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन पेश हुए.
केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि वह उस स्थिति को स्वीकार नहीं करेगा जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की श्रेणी में आने वाले लोगों को उनके किसी वैध अधिकार से वंचित रखा जाए, फिर चाहे आठ लाख रुपये की वार्षिक आय के मानदंड पर फिर से विचार करने से पहले या बाद का मामला हो.
वर्ष 2021-22 शैक्षणिक वर्ष से ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटा के कार्यान्वयन के लिए 29 जुलाई, 2021 की अधिसूचना को चुनौती देने वाले नीट-पीजी उम्मीदवारों ने आठ लाख रुपये की आय मानदंड लागू करने के सरकार के औचित्य का विरोध किया है. इन उम्मीदवारों का कहना है कि सरकार ने इस बारे में कोई अध्ययन नहीं किया है.
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