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Friday, 22 November, 2024
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दूरसंचार कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार, कहा- एजीआर बकाए पर हमारा फैसला अंतिम

सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि टेलिकॉम कंपनियों ने लोगों के पैसे को हड़पा है लेकिन फिर भी वो अपनी कमाई का कुछ हिस्सा नहीं चुकाते हैं.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दूरसंचार कंपनियों को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया है कि कंपनियां एजीआर बकाया का स्व-मूल्यांकन या पुनः मूल्यांकन नहीं करेंगी, अन्यथा उन पर अदालत की अवमानना का मामला दर्ज किया जाएगा.

मामले की सुनवाई जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की तीन सदस्यीय बेंच कर रही थी.

सुनवाई स्थगित करने से पहले तीन सदस्यीय बेंच ने कहा, ‘हमारा निर्णायक मत है कि कोई स्व मूल्यांकन या बकाए का पुनर्मूल्यांकन नहीं किया जाएगा.’

सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि टेलिकॉम कंपनियों ने लोगों के पैसे को हड़पा है लेकिन फिर भी वो अपनी कमाई का कुछ हिस्सा नहीं चुकाते हैं. कोर्ट ने कहा कि दूरसंचार कम्पनियों ने एजीआर बकाया का स्व-मूल्यांकन करने के नाम पर गंभीर धोखा किया. एजीआर बकाया पर हमारा फैसला अंतिम है, इसका पूरी तरह से पालन किया जाए.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह दूरसंचार कम्पनियों के एमडी के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करेगा, अगर उन्होंने एजीआर बकाए को लेकर अदालत के बारे में फर्जी खबर प्रसारित कीं.

जस्टिस अरूण मिश्रा ने सुनवाई के दौरान कहा कि ‘टेलिकॉम कंपनियां काफी शक्तिशाली हैं और यही कारण है कि वो अखबारों को हर रोज़ स्टोरी करने के लिए प्रभावित करती हैं’. उन्होंने कहा कि अगर हम चाहे तो इन कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) को जेल भेज सकते हैं.


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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में कहा, ‘हम मानते हैं कि सार्वजनिक सेवा और और संचार व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए बीएसएनएल जैसा सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम बहुत महत्वपूर्ण है. बीएसएनएल बुरे वक्त से गुज़र रहा है. उन्होंने बताया कि 2014-15 और 2015-16 में इसकी स्थिति कुछ बेहतर थी.’

उन्होंने सदन को बताया, ‘हमारी सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल को पुनर्जीवित करने के लिए फैसला लिया है क्योंकि बाढ़, भूकंप जैसे स्थिति में ये लोगों की मदद करता है. कर्मचारी के लिए बीएसएनएल की राजस्व लागत 74%, एमटीएनएल 87%, एयरटेल 3%, वोडाफोन 6%, जियो की 4% है.’

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दूरसंचार मामले में सुनवाई के दौरान एजीआर बकाया पर समाचार पत्रों के लेख अदालत को प्रभावित नहीं करेंगे. अदालत ने केन्द्र की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उसने एजीआर बकाया अदा करने के लिए दूरसंचार कम्पनियों को 20 साल का समय देने का अनुरोध किया था. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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